मिथुन राशि के व्यक्तियों में बौद्धिक योग्यता सामान्य से अधिक होती है. सभी व्यक्ति अपनी जन्म राशि की विशेषताओं के अनुरुप व्यवहार करते है. जिन व्यक्तियों की जन्म राशि मिथुन है, वे स्वभाव से विनोदी, और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते है. आईए
Read More..
कार्नेलियन उपरत्न को हिन्दी में "रात-रतुवा" कहा जाता है(Carnelion stone is called Rat-Ratua in Hindi). रात-रतुवा को रोडोनाइट के नाम से भी जाना है. इस उपरत्न को मूँगा रत्न के स्थान पर धारण किया जा सकता है. लाल रंग के कारण यह रत्न बहुत ही
Read More..
नवम भाव धर्म का भाव है. इस भाव से सौभाग्य देखा जाता है. इसके अतिरिक्त नवम भाव पिता, पुत्र का भाव भी है. व्यक्ति की धार्मिक आस्था इसी भाव से देखी जाती है. किसी भी व्यक्ति का ईष्टदेव कौन सा होना चाहिए, इसकी व्याख्या नवम भाव ही करता है. नवम
Read More..
राशिचक्र 12 राशियों से मिलकर बना है, इस चक्र में 360 अंश होते है. तथा 360 अंशों को 12 भागों में बराबर बांटने पर 12 राशियों का निर्माण होता है. सभी व्यक्तियों का जीवन 12 राशियों, 9 ग्रह और 27 नक्षत्रों से प्रभावित रहता है. 12 राशियों से
Read More..
वर्तमान समय में दैनिक जीवन के सभी कार्यों को शुभ मुहूर्त निकाल कर करना संभव नहीं है. अगर कोई व्यक्ति ऎसा प्रयास करता भी है तो मुहूर्त समय की शुद्धि में कमी रहेगी. या फिर व्यक्ति के कार्य विल्मबित होते रहेगें. ऎसे में ज्योतिष व्यक्ति के
Read More..
कनकदण्ड योग उस समय बनता है, जब सातों ग्रह मीन, मेष, वृ्षभ, और तुला राशियों में होते है. यह योग व्यक्ति को श्रेष्ठ धर्मपरायण बनाता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है. जिस भी क्षेत्र में होता है, उसमें विरोधमुक्त होता है.
Read More..
हिन्दू कैलेण्डर के बारह मासों में से सावन का महीना अपनी विशेष पहचान रखता है. इस माह में चारों ओर हरियाली छाई रहती है. ऎसा लगता है मानों प्रकृति में एक नई जान आ गई है. वेदों में मानव तथा प्रकृति का बडा़ ही गहरा संबंध बताया गया है. वेदों में
Read More..
चन्द्रमा की एक कला तिथि कहलाती है. एक तिथि से दो नक्षत्र बनते है. इस प्रकार कृ्ष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्षों की तिथियां मिलाकर 30 तिथियां बनती है. चरण एक तिथि में दो होते है. इस हिसाब से करण कुल 60 होने चाहिए. पर करण 60 न होकर केवल
Read More..
अनेक विद्वानों के मतानुसार लग्न की राशि के अनुसार व्यक्ति का व्यवसाय होता है. लग्न में जो राशि आती है और लग्न में स्थित ग्रहों के गुणधर्म के अनुसार व्यक्ति की आजीविका होती है. कई विद्वानों का मानना है कि व्यवसाय के विश्लेषण में जो महत्व
Read More..
शनि ग्रह को समझने के लिए सबसे पहले शनि की कारक वस्तुओं को जानना आवश्यक है. शनि ज्योतिष में आयु का कारक ग्रह है. इसके प्रभाव से प्राकृ्तिक आपदायें, मृ्त्यु, बुढापें, रोग, निर्धनता,पाप, भय, गोपनीयता, कारावास, नौकरी, विज्ञान नियम, तेल-खनिज,
Read More..
शुक्र पत्नी का प्रतिनिधित्व करता है. वह विवाह का कारक ग्रह है, ज्योतिष में शुक्र से वाहन, काम सुख, आभूषण, भौतिक सुख सुविधाओं का कारक ग्रह है. शुक्र से आराम पसन्द होने की प्रकृ्ति, प्रेम संबन्ध, इत्र, सुगन्ध, अच्छे वस्त्र, सुन्दरता, सजावट,
Read More..
द्वितीय भाव क्या है । Dhan Bhava Meaning | Second House in Horoscope | 2nd House in Indian Astrology
Read More..
वर्ग कुण्डलियाँ | Varga Kundalis किसी भी कुण्डली का अध्ययन करते समय संबंधित भाव की वर्ग कुण्डली का अध्ययन अवश्य करना चाहिए. वैदिक ज्योतिष में कई वर्ग कुण्डलियों का अध्ययन किया जाता है. जिनमें से कुछ वर्ग कुण्डलियाँ प्रमुख है. लग्न कुण्डली
Read More..
कई व्यक्ति जीवन में दूसरों के अधीन रहकर कार्य करते हैं अर्थात नौकरी से अपनी आजीविका प्राप्त करते हैं. बहुत से व्यक्ति ऎसे भी होते हैं जिन्हें किसी के अधीन रहकर कार्य करना रास नही आता है. ऎसे व्यक्ति स्वतंत्र रुप से कार्य करना पसन्द करते
Read More..
इस उपरत्न की जानकारी 18वीं सदी से प्राप्त होती है. यह एक टिकाऊ उपरत्न है. यह पारदर्शी, पारभासी अथवा अपारदर्शी तीनों ही रुपों में पाया जाता है. इस उपरत्न का रंग लौह सांद्रता के आधार पर होता है. कई बार यह गहरा हरा, भूरा अथवा पूरा काला भी
Read More..
जैमिनी ज्योतिष | Jaimini Astrology ज्योतिष के संसार में दो महर्षियों की महान देन रही है. महर्षि पराशर तथा महर्षि जैमिनी. महर्षि पराशर ने वैदिक ज्योतिष से लोगों को परिचित कराया तो जैमिनी ज्योतिष महर्षि जैमिनी की देन है. इन्होंने लगभग 11,00
Read More..
अक्षवेदांश चतु:चत्वारिशांश या D-45 | Akshavedansha or Chatu Chatvariyansha Kundali or D-45 इस वर्ग कुण्डली को पंच चत्वार्यांश भी कहते हैं. इस कुण्डली से व्यक्ति विशेष का चरित्र देखा जाता है. सामान्यतया अच्छे तथा बुरे दोनों प्रकार के प्रभाव
Read More..
जीवनसाथी के विषय से जुडे़ अनेक प्रश्न होते हैं, उनके साथ ही विवाह संबंधी प्रश्न के बाद प्रश्नकर्त्ता का अगला प्रश्न संतान से संबंधित होता है. संतान कब तक होगी? कैसी होगी? सब ठीक होगा? आदि प्रश्नों का कई बार ज्योतिषी को जवाब देना पड़ता है.
Read More..
रत्न, खनिज का एक सुंदर टुकडा़ होता है. खानों से निकालने के बाद रत्नों को संवारा जाता है. इन्हें अलंकृत किया जाता है. कई प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद रत्नों को गहनों के रुप में इस्तेमाल किया जाता है. जो व्यक्ति रत्न खरीदने में असमर्थ होते
Read More..
वर-वधू की कुण्डली का मिलान करते समय मांगलिक दोष व अन्य ग्रहों दोषों के साथ साथ अष्टकूट मिलान भी किया जाता है. अष्टकूट मिलान के अलावा इसे कूट मिलान भी कहा जाता है. कूट मिलान करते समय आठ मिलान प्रकार के मिलान किए जाते है. जिसमें वर्ण मिलान,