कौलव करण

करण के फलों को जानने से पहले करण किसे कहते है, यह जानने का प्रयास करते है. तिथि के आधे भाग को करण कहते है. करणों की संख्या 11 है. इसमें बव, बालव, कौलव, तैंतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुध्न है. करण ज्योतिष के एक भाग पंचाग का महत्वपूर्ण अंग होता है.

कौलव करण- स्वामी

कौलव करण के स्वामी मित्र हैं. सूर्य का एक अन्य नाम मित्र भी है. मित्र के प्रभाव से कौलव करण में शुभता और प्रभावक्षमता भी अच्छी होती है. जिस जातक का जन्म कौलव करण में हुआ हो, और उस व्यक्ति को मानसिक, आर्थिक अथवा स्वास्थ्य संबन्धी किसी प्रकार की कोई परेशानी रहती हो, ऎसे में जातक के लिए इस करण के स्वामी “मित्र” का पूजन करना अत्यंत लाभदायक होता है.

कौलव करण कब होता है

कौलव करण एक गतिशील करण है. यह चलायमान रहता है. तिथि में ये करण बार-बार आता है. यह एक सौम्य करण माना गया है. अस्थिर करण होने पर यह पूर्णिमा और अमावस की तिथियों को छोड़ कर बाकी तिथियों की गणना के अनुरुप आता रहता है.

कौलव करण-चरसंज्ञक करण

कौलव करण चरसंज्ञक है. शेष अन्य चरसंज्ञक करणों में बव, बालव, तैतिल, गर, वणिज और विष्टि है. बाकी के बचे हुए चार करण शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न ध्रुव करण कहलाते है.

कौलव करण में क्या काम करें

कौलव करण को शुभ करण की श्रेणी में रखा गया है. इस करण में शुभ एवं मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं. यह करण किसी काम के शुरु करने या किसी यात्रा को करने के लिए लिया जा सकता है. कौलव करण में व्यक्ति को अधूरे बचे हुए कामों को पूरा करने का मौका भी मिलता है. इस समय पर व्यक्ति अपनी जीत के लिए बहुत अधिक प्रयसशील रहता है.

इस करण में जातक कठोर कर्म भी कर सकता है. अगर कोई सरकारी काम अटका हुआ है तो इस करण के दौरान उस काम के लिए प्रयास करने से लाभ मिलने की उम्मीद बंध जाती है. व्यक्ति साहस और मेहनत से भरे कामों को कर सकने में भी सक्षम होता है.

कौलव करण का मुहूर्त में महत्व

मुहूर्त निकालने के लिए कौलव करण को उपयोग में लिया जाता है. इस करण के दौरान व्यक्ति अपनी नौकरी में ज्वाइनिंग का काम कर सकता है. इस समय किसी के साथ मित्रता एवं किसी प्रकार के संधि प्रस्तावों पर भी काम शुरु किया जा सकता है.

कौलव करण में जन्मा जातक

व्यक्ति के स्वभाव को न केवल उसकी जन्म राशि और जन्म लग्न प्रभावित करता है, बल्कि जिस नक्षत्र में व्यक्ति जन्म लेता है, उस करण के विशेषताएं भी व्यक्ति के स्वभाव को प्रभावित करती है. आईये कौलव करण में जन्म लेने वाले व्यक्ति को समझने का प्रयास करते है.

कौलव करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति सबसे प्रीति करने वाला होता है. उसके अनेक मित्र होते है, तथा समय पर उसे मित्रों का सुख व सहयोग प्राप्त होता रहता है. इस करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति स्वाभिमानी होता है. इस करण में व्यक्ति अपनी मेहनत के बल पर जीवन में सफलता प्राप्त करता है.

कौलव करण में जन्मा जातक आध्यात्मिक उन्नती पाने की इच्छा भी रखता है. वह एक बेहतर वक्ता बन सकता है और उसकी विचारशीलता लोगों को प्रभावित करने में भी सक्षम होती है. व्यक्ति को घूमने का शौक होगा. वह अकेले यात्राएं भी कर सकता है. मित्रता निभाना जानता होगा और अपने साथियों के लिए मददगार भी होगा.

कौलव करण फल

कौलव करण को ऊर्ध्व की स्थिति वाला कहा गया है अर्थात यह करण सभी करणों में ऊपर की स्थिति प्राप्त करने वाला करण है. इस करण के प्रभाव से व्यक्ति मिलनसार, स्वाभिमानी, मुखिया हो सकता है . इसमें किए गए कामों में व्यवधान नही आते हैं और काम पूरा भी होता है. कौलव करण व्यक्ति को रहस्यात्मक भी बनाता है. अपने मन की बात को दूसरों तक आसानी से नही खोलने देता है.