सौभाग्य और सुख की प्राप्ति में एक और व्रत है जिसे कजली तृतीया के रुप में मनाया जाता है. भाद्रपद माह में आने वाला यह व्रत सुख एवं सौभाग्य को देने वाला होता है. भाद्र माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कज्जली तृतीया का पर्व मनाते हैं. कजली

ज्येष्ठ माह में आने वाली 30वीं तिथि “ज्येष्ठ अमावस्या” कहलाती है. इस अमावस्या तिथि के दौरान पूजा पाठ और स्नान दान का विशेष आयोजन किया जाता है. हिन्दू पंचांग में अमावस्या तिथि को लेकर कई प्रकार के मत प्रचलित हैं ओर साथ ही इस तिथि में किए

हयग्रीव को श्री विष्णु भगवान का एक अवतार रुप माना गया है. सावन मास की पूर्णिमा को हयग्रीव जयंती मनाई जाती है. भगवान विष्णु के अवतारों में से एक हयग्रीव ने वेदों का कल्याण किया. इस कारण यह अवतार जीवन में ज्ञान को प्रदान करने वाला है.

देवी की शक्तियों में से एक मां छिन्नमस्तिका का स्वरुप अत्यंत ही प्रभावशाली है. छिन्नमस्तिका को चिन्तपूर्णि माता के नाम से भी जाना जाता है. देवी के सभी रुपों का संबंध विभिन्न शक्ति पीठों से रहा है. भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में देवी के

आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि के दौरान श्री विष्णु भगवान का पूजन और गुरु का पूजन किया जाता है. वर्ष भर में आने वाली सभी प्रमुख पूर्णिमाओं में एक आषाढ़ पूर्णिमा भी है. इस दिन भी किसी विशेष कार्य का आयोजन होता है और विशेष पूजन भी होता है. इस

भारत में चली आ रही संत एवं भक्ति परंपरा के मध्य एक नाम रामानुजाचार्य जी का भी आता है. यह दर्शन शास्त्र में अपनी भूमिका को दर्शाते हैं. रामानुजाचार्य जी ने अपनी ज्ञान एवं आध्यात्मिक ऊर्जा द्वारा देश भर में भक्ति का प्रचार किया. वैष्णव सन्त

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को चंपक द्वादशी का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष चम्पा द्वादशी 07 जून 2025 को मनाई जाएगी. इस तिथि में भगवन श्री विष्णु का पूजन होता है और भगवान की चंपा के फूलों से पूजा होती है. श्री कृष्णा को चंपा

इस वर्ष आषाढ़, शुक्ल षष्ठी को 30 जून, 2025, सोमवार के दिन स्कंद षष्ठी का त्यौहार मनाया जाएगा. स्कंद षष्ठी के दिन भगवान स्कंद की पूजा की जाती है. भगवान स्कंद सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाले होते हैं. स्कन्द षष्ठी पूजा मुहूर्त समय

नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना का पर्व रहा है. सृष्टि में मौजूद प्रकृति ही वह शक्ति है जो जीवन के संचालन में अपना योग्दान देती है. इसी प्रकृति का सानिध्य पाकर पुरुष का जीवन भी नए चरण एवं स्वरुप को पाता है और इसी क्रम में आने वाले

इस वर्ष 24 जुलाई 2025 को श्रावण अमावस्या मनाई जाएगी . सावन मास में मनाई जाने वाली अमावस्या “हरियाली अमावस्या” के नाम से भी पुकारी जाती है. इसके अलावा इसे चितलगी अमावस्‍या, चुक्कला अमावस्‍या, गटारी अमावस्‍या इत्यदि नामों से भी पुकारा जाता

सावन माह में शुक्ल पक्ष के दौरान आने वाली चतुर्थी तिथि “वरद चतुर्थी” के नाम से मनाई जाती है. इस वर्ष 28 जुलाई 2025 को वरद चतुर्थी का व्रत संपन्न होगा. इस दिन भगवान श्री गणेश का पूजन होता है. वरद चतुर्थी का अर्थ हुआ भगवन श्री गणेश द्वारा

सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या तिथि सोमवती अमावस्या कहलाती है. इस तिथि में सोमवार का दिन और अमावस्या तिथि का संयोग होने के कारण यह दिन एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण दिन बनता है. इस समय पर उपवास और पूजा नियम को करने से नकारात्मकता दूर होती है और

29 मार्च और 21 सितंबर 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण कई तरह से अपना प्रभाव डालने वाला होगा. इस ग्रहण का प्रभाव दक्षिणी पूर्वी यूरोप, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका कुछ कुछ क्षेत्रों, प्रशांत और हिन्द महासागर एवं मध्य पूर्वी एशिया के कुछ क्षेत्रों में

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को विवस्वत सप्तमी के रुप में मनाई जाती है. इस वर्ष 2025 में विवस्वत सप्तमी तिथि 02 जुलाई को मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व बताया जाता है. सूर्य के अनेकों नाम हैं जिनमें से एक

सूर्य की पूजा एवं साधना का पर्व है करवीर व्रत. प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल प्रतिपदा के दिन करवीर व्रत संपन्न होता है और सूर्य की पूजा की जाती है. इस वर्ष 28 मई 2025 को करवीर व्रत किया जाएगा. हिन्दु धर्म में सूर्य देव को आत्मा का

शास्त्रों में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दौरान किये जाने वाले बहुत से यम-नियम आदि का उल्लेख मिलता है, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दौरान दिये गए नियमों का पालन करना चाहिए और उन नियमों का पालन करने से जीवन में आती है शुभता और मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण.

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रंभा तृतीया के रुप में मनाया जाता है. इस वर्ष 29 मई 2025 के दिन रम्भा तृतीया का उत्सव मनाया जाएगा. इस दिन अप्सरा रम्भा की पूजा की जाती है. धर्म शास्त्रों में वेद पुराणों में अप्सराओं का वर्णन प्राप्त

वैशाख अमावस्या का पर्व वैशाख माह की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है. वैशाख अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने व धर्म स्थलों पर जाकर दान-जप-तप इत्यादि करने का भी विशेष महत्व माना गया है. वैशाख अमावस्या पूजा मुहूर्त इस वर्ष

भारत में संक्रांति का पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. किसी भी माह की सूर्य संक्रांति के दिन किया गया दान अन्य शुभ दिनों की तुलना में दस गुना पुण्य देता है. इसी श्रृंखला में आती है वैशाख माह की संक्रांति. इस वर्ष वैशाख संक्रांति

वैशाख पूर्णिमा का उत्सव रोशनी से भरपूर और हर दिशाओं को प्रकाशित करने वाला त्यौहार है. पूर्णिमा का समय "ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय ॥" इन पंक्तियों को चरितार्थ करने जैसा है. यह वह समय होता है जब अंधकार का पूर्ण