जन्म कुण्डली में अष्टकवर्ग की गणना बहुत महत्व रखती है. इसके द्वारा बहुत सी बातों का विश्लेषण किया जा सकता है. जीवन खण्ड का कौन सा भाग शुभ होगा और कौन सा भाग अशुभ होगा आदि बाते देखने के साथ अष्टकवर्ग द्वारा राजयोग भी देखा जाता है. आइए अष्टकवर्ग के योगो से बनने वाले राजयोगो को जानने का प्रयास करें.
- जन्म कुण्डली में मंगल और शुक्र उच्च राशि में हो, शनि व बृहस्पति त्रिकोण भाव में हो और लग्न में 40 से अधिक बिन्दु स्थित हो तब इसे राजयोग माना जाता है.
- यदि लग्न, चन्द्र लग्न और सूर्य लग्न तीनो में ही 30 बिन्दु स्थित है तब व्यक्ति अपने प्रयासों से जीवन में उन्नति करता है और आगे बढ़ता है.
- यदि सूर्य और बृहस्पति अपनी-अपनी उच्च राशियों में 30 बिन्दुओ के साथ स्थित है और लग्न के बिन्दुओ की संख्या, अन्य भावों के बिन्दुओ से अधिक है व्यक्ति राजा के समान जीवन जीने वाला होता है.
- जन्म कुण्डली के चतुर्थ और एकादश दोनो भावों में प्रत्येक में 30-30 बिन्दु हो तब व्यक्ति 40 वर्ष की उम्र में समृद्ध होता है.
- जन्म कुण्डली के लग्न, चन्द्र राशि, दशम और एकादश भाव में प्रत्येक में 30-30 बिन्दु हो और लग्न अथवा चंद्रमा, बृहस्पति से दृष्ट हो तब ऎसा व्यक्ति राजा के समान माना गया है.
- जन्म कुण्डली में मंगल तथा शुक्र अपनी-अपनी उच्च राशियों में हों, शनि कुंभ्ह में हो और बृहस्पति धनु राशि में 40 बिन्दुओ के साथ लग्न में हो तब इसे राजयोगकारी माना गया है.
- जन्म कुण्डली में उच्च का सूर्य लग्न में और चतुर्थ भाव में बृहस्पति 40 बिन्दुओ के साथ हो तब यह स्थिति भी राजयोगकारी मानी गई है.
- जन्म कुण्डली में शुभ ग्रह केन्द्र अथवा त्रिकोण में स्थित हों और उनसे संबंधित सर्वाष्टकवर्ग के भावों में प्राप्त बिन्दुओ की संख्या द्वारा इंगित आयु का समय जातक के लिए अच्छा माना गया है.
- पति-पत्नी की जन्म कुण्डलियों में एक-दूसरे की चंद्र राशि में 28 बिन्दु से अधिक होने पर वैवाहिक जीवन अच्छा होता है.
उपरोक्त राजयोगों के अलावा हम आपको सर्वाष्टकवर्ग में दिए गए कुल बिन्दुओ के फल के बारे में भी बताने का प्रयास कर रहे हैं जो निम्नलिखित हैं :-
| बिन्दु | परिणाम | 
|---|---|
| 14 बिन्दु | कष्टकारी और मृत्युभय देने वाले | 
| 15 बिन्दु | सरकार से भय रहने की संभावना बनती है | 
| 16 बिन्दु | दुर्भाग्य | 
| 17 बिन्दु | बीमारी अथवा स्थान की हानि | 
| 18 बिन्दु | धन हानि | 
| 19 बिन्दु | सगे संबंधियों से लड़ाई-झगडे की संभावना | 
| 20 बिन्दु | व्यय अधिक होगा और जातक कुकर्मो में लिप्त रहेगा | 
| 21 बिन्दु | बीमारी अथवा धन की हानि | 
| 22 बिन्दु | स्मरण व विवेक शक्ति की हानि, कमजोरी व सगे संबंधियो से परेशानी | 
| 23 बिन्दु | मानसिक चिन्ताएँ, कष्ट और हानि | 
| 24 बिन्दु | अचानक हानि अथवा अतिव्ययता से धनहानि | 
| 25 बिन्दु | दुर्भाग्य | 
| 26 बिन्दु | परेशानियाँ, शिथिलता, स्वभाव में अस्थिरता | 
| 27 बिन्दु | व्यय अधिक, व्याकुलता, अस्पष्ट विचार और दुविधाजनक मस्तिष्क | 
| 28 बिन्दु | धन लाभ लेकिन संतोषजनक नही | 
| 29 बिन्दु | व्यक्ति सम्मान पाता है. | 
| 30 बिन्दु | यश, कीर्ति व सम्मान मिले | 
| 31 से 33 बिन्दु | प्रयास अच्छे व मान-सम्मान की प्राप्ति | 
| 34 से 40 बिन्दु | व्यक्ति सभी प्रकार की भौतिक सुख-समृद्धि पाता है | 
| 41 बिन्दु | उत्तम धन संपत्ति और अन्य कई स्तोत्रो से आय | 
| 42 बिन्दु | भौतिक सुख, धार्मिक, धनवान, प्रेम व सम्मान की जातक को प्राप्ति हो | 
| 43 बिन्दु | धन संपत्ति और खुशी मिलें | 
| 44 - 45 बिन्दु | एक से अधिक स्तोत्रो से धनलाभ, मान - सम्मान | 
| 46 - 47 बिन्दु | व्यक्ति सभी गुणो तथा सुखो से युक्त, पवित्र व श्रेष्ठ कार्य करे | 
 
                 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            