दशानाथ जिस भाव का स्वामी या कारक होता है वह उसके फल अपनी दशा भुक्ति में कई प्रकार से देने का प्रयास करता है. जैसे कि कोई ग्रह जिस भाव में स्थित है उस भाव का फल वह पहले देगा, उसके पश्चात वह जिस राशि में है उस राशि के गुणों के अनुसार फल प्रदान करेगा. और जिन ग्रहों की उस पर दृष्टि होगी या जिन ग्रहों द्वारा दशानाथ दृष्टित है उनके प्रभाव के अनुसार फल प्रदान करेगा.
लग्न की दशा | Ascendant’s Dasha
लग्न जातक के स्वास्थ्य एवं शाररिक बनावट को दर्शाता है तथा देह संबंधि सुख दुखों का निर्धारण करता है. लग्नेश की दशा में लग्न के शत्रु जैसे षष्ठेश या शत्रु ग्रह के समय शरीर को कष्ट एवं मृत्यु तुल्य कष्ट भोगना पड़ सकता है. इस बात को इस प्रकार से समझा जा सकता है कि लग्न का संबंध आयुष्य और शरीर से होता है और इस कारण स्वास्थ्य प्रभावित होना स्वाभाविक होगा ही.
द्वितीय भाव | Second house
यह भाव कुटुंब एवं धन संपदा को दर्शाता है इसके साथ ही साथ यह नेत्र और वाणी का कारक भी है. इस प्रकार धनेश अपनी दशा समय धन, परिवार का सुख ओर प्रभावशाली वाणी प्रदान करने में सहायक होता है.
धनेश का सूर्य से संबंध होने पर जातक परोपकारी, धनी एवं विद्वान होता है. किंतु धनेश का संबंध शनि से होने पर विद्या प्राप्ति में बाधा का संकेत मिलता है.
सूर्य या चंद्रमा के निर्बल, शत्रु क्षेत्रिय या दृष्ट अथवा नीच होने पर नेत्र एवं मन की स्थिति में विकार उत्पन्न हो सकते हैं. यदि यह केतु या मंगल से दृष्ट हों तो नेत्र हीनता या दृष्टि संबंधि दोष हो सकता है.
तृतीय भाव | Third house
यह भाव साहस पराक्रम, भाई बहन, का प्रतीक होता है. यदि जन्मांग में द्वादशेश तीसरे भाव में हो तो वह तृतीय भाव की हानि कर सकता है. ऎसा जातक भी बंधुओं के सुख से वंचित रह सकता है. अन्यथा इनसे द्वेष व ईर्ष्या का भाव रख सकता है.
इसी प्रकार तृतीयेश का अष्टम या अष्टमेश से संबंध होने पर जातक में आत्महत्या एवं हीनता की भावना देखी जा सकती है.
चतुर्थ भाव | Fourth house
चतुर्थेश की दशा में चंद्रमा की भुक्ति जातक को जनता का प्रिय बना सकती है तथा राजनीति में सफलता को दर्शाती है.
चतुर्थ भाव पिड़ित होने पर या चतुर्थेश पाप ग्रहों से दृष्ट होने पर चतुर्थेश अपनी दशा में राजद्रोह या जातक की लोकप्रियता में नुकसान को दर्शाता है. चतुर्थेश या चंद्रमा का नीचस्थ होना चुनाव में पराजय दिला सकता है.
पंचम भाव | Fifth house
पंचम भाव में राहु केतु की स्थिति हो तथा पंचमेश बली, शुभग्रह से युक्त या दृष्ट हो तो पंचमेश की दशा भुक्ति के समय अचानक धन लाभ के योग बन सकते हैं. इसके अतिरिक्त अपनी दशा काल में कोई भी योग कारक ग्रह का राहु केतु से संबंध होने पर वह अपनी दशा में धन लाभ प्रदान करता है.
षष्ठम भाव | Sixth house
यह रोग, रिपु और ऋण का भाव कहलाता है. यदि षष्ठेश अपनी दशा अंतर्दशा में प्राय: रोग एवं शत्रु भय द्वारा उतपन्न हो सकता है.
यदि दशास्वामी का षष्ठेश ग्रह की अन्तर्दशा हो अथवा दशानाथ के नैसर्गिक शत्रु की भुक्ति में प्राय: अनिष्ट व पाप फल प्राप्त हो सकता है.
अंतर्दशा वाला ग्रह दशानाथ के साथ लग्नेश का भी शत्रु हो तथा दशानाथ से षष्ठ अथवा अष्टम भाव में हो तो जातक हानि या कष्ट उठा सकता है.
लग्नेश से षष्ठ भाव का स्वामी ग्रह अपनी दशा में रोग, शत्रु का भय दे सकता है.
सप्तम भाव | Seventh house
सप्तमेश की दशा अथवा सप्तम भाव के कारक शुक्र की दशा या बुक्ति में विवाह का योग देख अजा सकता है.
कुछ के अनुसार शुक्र के साथ गुरू की दशा या गोचर के गुरू की सप्तम भाव या सप्तमेश से दृष्टि होने पर वैवाहिक सुख को देखा जा सकता है.
अष्टम भाव | Eighth house
अष्टमेश पापी होकर लग्नस्थ हो तथा लग्न शुभ ग्रह की दृष्टि से वंचित हो तो अष्टमेश की दशा शाररिक कष्ट का संकेत देती है.
किंतु यदि अष्टमेश बली हो य अशुभ ग्रहों से युति संगत या दृष्ट हो तो जातक को लंबी आयु प्राप्त होती है. और अगर लग्नेश या अष्टमेश दोनों ही बली हों तो जातक अच्छा स्वास्थ्य एवं दीर्घायु पाता है.
नवम भाव | Ninth house
नवमेश की दशा बुक्ति में प्राय: भाग्योदय, पदोन्नति, धन लाभ एवं सुख की प्राप्ति देखी जा सकती है.
यदि नवमेश पापी हो या दशानाथ पाप ग्रह के साथ नवमस्थ हों तो दुख एवं अपमान की प्राप्ति होती है. जातक पर मिथ्या कलंक भी लग सकता है.
दशम भाव | Tenth house
दशमेश शुभ ग्रह हो तथा शुभता से पूर्ण अवं शुभ ग्रहों से दृष्ट या युति में हो तो इसकी दशा अन्तर्दशा में उन्नती एवं मान सम्मान की प्राप्ति होती है.
एकादश भाव | Eleventh house
लाभेश की दशा में धन संबंधि अच्छे फल प्राप्त होते हैं. किंतु इसी के साथ चिंता एवं क्लेश भी बढ़ सकते हैं.
एकादशेश भाव शरीर एक लिए प्राय: कष्टकारी हो सकता है यह अपनी दशा में धन लाभ तो देता है परंतु देह की हानि भी कर सकता है. लाभेश की दशा माता के लिए कष्टकारी हो सकती है.
द्वादश भाव | Twelfth house
यह व्यय का भाव है. द्वादशेश जिस भाव हो अथवा जिस ग्रह से युक्त या दृष्ट हो तो प्राय: उसका फल वह अपनी दशा में दे सकता है.
द्वादश भाव के स्वामी की दशा में शुभ ग्रह की भुक्ति में वैभव एवं सुख भी प्राप्त हो सकता है.
गोचर में शुभ ग्रह की द्वादश भाव पर दृष्टि या युति जातक को दान धर्म करने वाला बनाती है.
 
                 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            