सृष्टि में विभिन्न प्रकार के रत्नों का भण्डार मानव को कल्याणकारी मंगल कामनाओं के साथ वरदान स्वरूप प्राप्त हुआ है. व्यक्ति रत्नों को अपने भाग्य को चमकाने के लिए धारण करता है, रत्न द्वारा वह स्वयं को सुखी तथा सम्पन्न रखने की चाहत रखता है. रत्नों में चमत्कारी शक्ति है जो ग्रहों के विपरीत प्रभाव को कम करके ग्रह के बल को बढा़ते हैं. प्राचीन समय से ही भाग्य को बलवान बनाने के लिए रत्नों को धारण किया जाता रहा है. रत्नों में अद्भूत शक्ति होती है.
ग्रहों तथा रत्नों का क्या सम्बन्ध है इसे समझकर ही हम रत्नों के लाभ को प्राप्त कर सकते हैं. ग्रहों में व्यक्ति के सृजन एवं संहार की जितनी प्रबल शक्ति है उतनी ही शक्ति रत्नों में ग्रहों की शक्ति घटाने तथा बढ़ाने की भी होती है. रत्न कि शक्ति को आकर्षण की विकर्षण की शक्ति कहते हैं. रत्नों में ग्रहों की रश्मियों, रंगों, चुम्बकत्व की शक्ति होती है.
रत्न व्यक्ति के भाग्य को शिखर तक पहुंचा सकता है. रत्न के अनुकूल प्रभाव को पाने के लिए उचित प्रकार से जांच करवाकर ही रत्न धारण करना चाहिए. ग्रहों की स्थिति के अनुसार रत्न धारण करना चाहिए. रत्न धारण करते समय ग्रहों की दशा एवं अन्तर्दशा का भी ख्याल रखना चाहिए. रत्न पहनते समय मात्रा का ख्याल रखना आवश्यक होता है अगर मात्रा सही नहीं हो तो फल प्राप्ति में विलम्ब होता है.
इसलिए रत्न धारण करते समय यह विचार अवश्य कर लेना चाहिए कि जिस रत्न को धारण करने जा रहे हैं वह अपने से सम्बन्धित ग्रह की शक्ति को आकर्षित करने एवं परावर्तित करने की क्षमता रखता है. इसी प्रकार शुभ ग्रहों के अशुभ के शुभत्व पूर्ण रश्मियों को आकर्षित करके ग्रह की शक्ति बढ़कर भाग्य को चमका सकती है.
कब कौन-सा रत्न धारण करना हमारे लिए भाग्यवर्द्धक होगा और कौन सा रत्न धारण करके हम बुरे ग्रह के कुप्रभावों से अपने को बचा सकेगा. रत्न न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी उपयोगी माने गए हैं आज के समय में इसे पूर्ण रुप से अनेक कामों के लिए उपयोग किया जाने लगा है. भाग्य एवं स्वास्थ्य दोनों का योग बन गए हैं
ग्रह और रत्न | Planets and Gemstones
ग्रह रत्न धारण करने का विशेष नियम है. कुण्डली में सूर्य को बलशाली बनाना हो तो सोने की अंगूठी में माणिक्य धारण करना चाहिए. इसी प्रकार सभी ग्रहों का अपना रत्न और धातु है.
चन्द्रमा का रत्न है मोती और धातु है चांदी. मंगल का रत्न है मूंगा और धातु है तांबा. बुध का रत्न है पन्ना और धातु है सोना इसी प्रकार से गुरू का रत्न पुखराज है और धातु है सोना. शुक्र का रत्न है हीरा और धातु चांदी है. शनि का रत्न नीलम और धातु लोहा है. राहु का प्रिय रत्न है गोमेद और धातु है अष्टधातु. केतु का रत्न है लहसुनियां जिसे सोना अथवा तांबा किसी भी अंगूठी में धारण किया जा सकता है.
रत्न संबंधी सावधानी
रत्नों में ग्रहों की उर्जा को अवशोषित करने की अद्भुत क्षमता होती है। रत्नों में विराजमान गुणों के कारण रत्नों को ग्रहों का अंश भी माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र की सभी शाखाओं में रत्नों के महत्व का वर्णन मिलता है. रत्न शुभ फल देने की शक्ति रखता है तो अशुभ फल देने की भी इसमें ताकत है. रत्नों के नाकारात्मक फल का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए रत्नों को धारण करने से पहले कुछ सावधानियों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है.किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व किसी अच्छे ज्योतिष से सलाह अवश्य लें और रत्न की प्राण प्रतिष्ठा करके उसे धारण करें. जिस ग्रह की दशा अन्तर्दशा के समय अशुभ प्रभाव मिल रहा हो उस ग्रह से सम्बन्धित रत्न पहनना शुभ फलदायी नहीं होता है. इस स्थिति में इस ग्रह के मित्र ग्रह का रत्न एवं लग्नेश का रत्न धारण करना लाभप्रद होता है. रत्न की शुद्धता की जांच करवाकर ही धारण करना चाहिए धब्बेदार और दरारों वाले रत्न भी शुभफलदायी नहीं होते हैं.
 
                 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            