वैदिक ज्योतिष के कई मुख्य योगों की श्रृंखला में शारदा योग भी आता है. शारदा योग के बनने से व्यक्ति भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में तरक्की तथा उन्नति करता है. जैसे लेखक, कवि, राजनेता या अभिनेता आदि बनने के योग अलग होते हैं. जब यह किसी व्यक्ति विशेष की कुंडली में बनते हैं तभी वह कोई विशेष व्यक्ति बन पाता है अन्यथा वह आम जीवन ही बसर करता है.
स्त्रीपुत्रबन्धु सुखरुपगुणानुरक्ता:
भूपप्रिया गुरूमहीसुर देवभक्ता ।
विद्या विनोदरतिशीलतपोबलाढ़्या:
जाता: स्वधर्मनिरता भुवि शारदाख्ये ॥
शारदा योग का निर्माण | Formation of Sharda Yoga
शारदा योग कुण्डली में विशेष परिस्थितियों में बनता है जो इस प्रकार हैं यदि दशम भाव का स्वामी पंचम भाव में स्थित हो तथा बली सूर्य सिंह राशि में हो तो इस योग का निर्माण होता है. इसके अतिरिक्त यदि दशम भाव स्वामि पंचमभाव में हो और बुध व गुरु केन्द्र में स्थित हों तथा सूर्य स्वराशि में स्थित हो तो यह योग बनता है.
शारदा योग में जो भी ग्रह शामिल होते हैं उनका म्नजबूत एवं बली स्थिति में होना आवश्यक माना जाता है और तभी इस योग के प्रभाव भी लक्षित हो पाते हैं. शारदा योग वाले व्यक्ति राज सरकार से सम्मानित होते हैं. इस योग के जातक धार्मिक, तपस्वी, गुणी तथा विद्वान होते हैं. धन- धान्य, संतान तथा घर के सुख से सम्पन्न होते हैं.
शारदा योग का प्रभाव | Effect of Sharda Yoga
यदि आपकी कुण्डली में दशमेश पंचमभाव में स्थित है, बुध व गुरु केन्द्र में है और सूर्य स्वराशि में स्थित है तो शारदा योग जातको को अच्छी उपलब्धियां प्रदान करने वाला होता है. इन परिस्तिथियों में यदि अशुभ ग्रहों का किसी भी प्रकार से समावेश हो रहा हो तो यह योग नहीं बन पाता और जातक इसके शुभ फलों से वंचित रह जाता है.
योग बशारदा योग के निर्माण में बली ग्रहों की विशेष भूमिका होती है. इसमें शामिल ग्रह अपनी मजबूत स्थिति के कारण इस योग को शुभ प्रभाव प्रदान करने वाला बनाते हैं. जातक की कुण्डली में स्थित ग्रह बली होकर शारदा योग का निर्वाह कर सकते हैं. यदि इस योग में शामिल ग्रह में से एक भी ग्रह निर्बल होता है तब यह योग कमजोर होकर फल देने में सक्षम नही होता है.
कुण्डली में इस योग के होने से जातक को माँ शारदा का आशिर्वाद प्राप्त होता है. यदि बुध केन्द्र में हो तो बुद्धि देने वाला होता है और सूर्य के प्रकाश के कारण जातक की बुद्धि शुद्ध और तीव्र होती है. दशम भाव कार्य क्षेत्र को दर्शाता है इसलिए दशमेश पंचम में आने के कारण बुद्धि, व्यापार करने में कुशलता पाता है. जातक का ज्ञान विस्तृत होता है तथा जन उपयोगी बनकर समाज में अपनी अच्छी भूमिका निभाता है. इस योग के बनने से जातक को राजसम्मान की प्राप्ति होती है, सरकार में उच्च पद प्राप्त हो सकता है.
इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को स्त्री और पुत्र सुख की प्राप्ति होती है. उसे अपने बंन्धुओं से सुख और सहयोग की प्राप्ति होती है. ऎसा जातक विवेकी, न्यायप्रिय बनता है. शारदा योग के प्रभाव से जातक धार्मिक प्रवृति के व्यक्ति हो सकते हैं. तपस्वी, शुभ गुणों से भरपूर तथा विद्वान व्यक्ति हो सकता है. व्यक्ति धन- धान्य से संपन्न, घर तथा संतान सुख से सुखी होता है तथा मान-प्रतिष्ठा स्थपित करने में सफल हो सकता है.
 
                 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            