चतुर्ग्रही योग से अर्थ होता है कि जब कोई चार ग्रह एक साथ किसी एक राशि में स्थित हों. इस योग के प्रभाव के फलस्वरुप राशि पर उन सभी चार ग्रहों का प्रभाव होने पर विशेष लक्ष्ण उभरते हैं. कुंडली के किसी भी भाव मे स्थिति चार ग्रहों का योग उन के प्रभाव से भरा होता है.

चतुर्ग्रही योग समय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस वर्ष यह योग 11 दिसंबर से 15 दिसंबर के बीच वृश्चिक राशि में बनेगा. इस समय पर सूर्य, बुध, शुक्र और केतु ग्रह सभी वृश्चिक राशि में एक साथ आने से चतुर्ग्रही योग का निर्माण होगा. वृश्चिक राशि जल तत्व की राशि है और इस राशि में बना हुआ चतुर्ग्रही योग भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाओं का कारण भी बन सकता है. इस समय पर सूर्य का केतु से ग्रसित होना ओर शुक्र बुध का साथ होना स्थिति को परेशान करने वाला होगा.

सूर्य अग्नि है, शुक्र जल है, केतु भ्रम विरक्ति है, बुध मन की प्रसन्नता है. ऎसे में जब इन सभी कि स्थिति वृश्चिक राशि में होगा तो ऎसे में उत्साह कि कमी होगी एक प्रकार की उदासी और उन्मुक्ता भी दिखाई देगी. इस अवधि के दौरान जो भी इन ग्रहों के विशेष कारक माने गए हैं उन सभी का योग मंगल की राशि वृश्चिक में बन रहा है. इस समय पर बेचैनी का प्रभाव अधिक रहेगा.

चतुर्ग्रही योग का इन राशियों पर होगा असर

कुंडली में मौजूद चतुर्ग्रही योग का प्रभाव कई प्रकार के फलों को देने में सक्षम होता है. यह योग मुख्य रुप से उन सभी राशि वालों पर असर डालेगा जिन ग्रहों का संबंध इन राशि वालों से होगा. इसमें सिंह राशि, मिथुन, कन्या, वृषभ, तुला और वृश्चिक राशि वालों पर इसका विशेष असर होगा.

वृश्चिक राशि में बुध, केतु, सूर्य और शनि हैं. इन ग्रहों के कारण चतुर्ग्रही योग बन रहा है. इससे पहले वृश्चिक राशि में सूर्य, बुध और केतु ही थे. फिर शुक्र के आने से चर्तुग्रही योग का निर्माण हुआ. इसके बाद सूर्य का राशि बदलकर धनु में जाने पर इस योग की समाप्ति होगी.

चतुर्ग्रही योग का प्रभाव

  • जब भी दो से अधिक ग्रह एक ही राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दौरान कई तरह की विपरित परिस्थितियां और घटनाएं अधिक हो सकती हैं. चतुर्ग्रही योग की वजह से सामाजिक, राजनैतिक और प्राकृतिक रुप से बदलाव की संभावना दिखने को मिलती हैं. ग्रहों की ऐसी स्थिति से समाज और व्यक्ति का प्रभाव में अप्रत्याशित घटनाएं देखने को मिल सकती हैं.
  • वृश्चिक राशि में केतु ग्रह के साथ होने से सूर्य, शुक्र ओर बुध पीड़ित भी हो रहा हैं. ऎसे में ये स्थिति राजकीय स्तर पर परेशानी बढ़ा सकती है. इसके प्रभाव से प्रशासन और सामाजिक सोच में बड़े बदलाव होने की संभावना भी अधिक दिखाई देती है.
  • राहु-केतु के कारण सूर्य के भी पीड़ित होने से देश में अराजकता और सांप्रदायिक विवादों की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है. मीडिया हाउस और इलैक्ट्रानिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए ये स्थिति परेशानी को बढ़ाने वाली होगी.
  • शुक्र अपनी विरोधी राशि में स्थित होंगे ऎसे में कई चमक-दमक से जुड़े कामों में बड़े फैसले हो सकते हैं. इसी से संबंधित बड़ी घटनाएं भी होने की संभावना है. केतु के बुध के साथ होने पर विवाद, झगड़े, तनाव, गलत काम, हानि, संक्रमण से जुड़ी बिमारियां बढ़ने की संभावना भी इस समय पर परेशानी दे सकती है. राहु-केतु की स्थिति के कारण शुभ ग्रहों के प्रभावों में कमी भी आएगी.
  • ज्योतिष में जब भी सूर्य का संबंध राहु-केतु के साथ होता है तो उस स्थिति में ग्रहण योग की संभावना बढ़ जाती है. यह दोनों ग्रहों का संबंध सूर्य शुक्र के साथ होने पर ग्रहों के कारण कुछ न कुछ वातावरण में बदलाव होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है. इन ग्रहों के प्रभाव से देश और बाहरी संपर्क से जुड़े बड़े फैसले और बदलाव भी हो सकते हैं.
  • आपकी राशि पर चतुर्ग्रही योग का असर

    वृश्चिक राशि में सूर्य, बुध, शुक्र और केतु के होने से चार राशियों के लिए समय परेशानी बढ़ा सकता है. वृश्चिक वालोम को मानसिक और शारीरिक क्षेत्र में परेशानी झेलनी पड़ सकती है. इस राशि के लिए समय ठीक नहीं रहेगा. वहीं इसके अलावा अन्य राशि वालों के लिए मिला-जुला समय हो सकता है.

    मेष, कर्क, मकर, कुंभ, मीन राशि वालों को अचानक से परेशानियां बढ़ सकती हैं. वृषभ, तुला , मिथुन, सिंह, कन्या राशि के जातकों के लिए चतुर्ग्रही योग अनुकूल नहीं रह पाएगा.