किसी ग्रह के मित्र क्षेत्री ग्रह होने पर उक्त ग्रह का प्रभाव बली अवस्था में मौजूद रहता है. ग्रह की मित्र क्षेत्र में स्थिति के होने पर कुण्डली में उसके अनुकूल प्रभाव देखने को मिलते हैं. कहीं न कहीं यह स्थिति ग्रह के लिए सहायक का काम करने वाली बनती है और इससे जातक अपने कर्म क्षेत्र में जूझारू दिखाई देता है और उसके प्रयास भी उसकी सफलता में बहुत सहायक बनते हैं.
जातक को मित्रों का सहयोग मिलता है और उनके साथ से वह आगे जाने में सफल रहता है. जातक कीर्ति पाता है और यशस्वी होकर समाज में अच्छी स्थिति पाने में सफल रहता है. व्यक्ति को अनेक प्रकार को कठिनाईयों को दूर करने का साहस मिलता है वह दृढ़ता के साथ अपने फैसलों को आगे लेकर चलने वाला बनता है.
सूर्य | Sun
सूर्य के मित्र क्षेत्री होने पर उसे सबलता मिलती है. जातक को उसकी महत्ता मिलती है वह अपने कामों में परिश्रमी और अपने बल व सामर्थ्य का उपयोग करने वाला बनता है. मित्रों का सुख पाने वाला और उनके सहयोग की प्राप्ति में सफल रहता है. भाई बंधुओं के साथ प्रेम पूर्ण व्यवहार करने वाला होता है किसी न किसी रूप में उनके साथ मिलकर कार्यों को करने वाला बनता है. शत्रुओं को पराजित करने में सफल रहता है. भय से दूर रहकर अपने पराक्रम से भाग्य को अनुकूल बनाने में प्रयासरत रहता है. गुरू जनों व ब्राह्मणों की सम्मति को पाकर काम को करने वाला बनता है. धन धान्य की प्राप्ति होती है.
चंद्रमा | Moon
चंद्रमा के मित्र क्षेत्री होने पर चंद्रमा के शुभाशुभ फलों की प्राप्ति होती है. जातक को को राज्य सम्मान और शुभ वस्त्रों की प्राप्ति होती है. किसी न किसी रूप में जातक को स्त्री पक्ष से प्रेम की प्राप्ति अवश्य होती है. जातक सज्जन, मधुर भाषी और अपनों का साथ पाने वाला होता है. जातक को जल द्वारा धन की प्राप्ति होती है. अपने कर्मों की शुभता से वह दूसरों को संतुष्ट रखने की कोशिश में सफल रहता है. दूसरों के दूख को दूर करने वाला और दूसरों के साथ जल्दी से घुलमिल जाने वाला होता है. सभी के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करने की चाहत रखता है.
मंगल | Mars
मंगल के मित्रक्षेत्री होने पर जातक को साहस और बल की प्राप्ति होती है वह अपने शौर्य व पराक्रम द्वारा कर्मक्षेत्र में आगे बढ़ता जाता है. कुल में श्रेष्ठ स्थान पाने वाला होता है. निर्बलों की सहायता करने में सदैव तत्पर रहता है. मित्रों में प्रमुख स्थान पाने वाला होता है. गुरू जनों की सेवा में तत्पर रहते हुए अपने शुभ फलों में वृद्धि करता है.
बुध | Mercury
बुध ग्रह के मित्रक्षेत्री होने पर जातक को ज्ञान की प्राप्ति होती है, मित्रों की अच्छी संगती उसे शुभ कार्यों को करने की ओर प्रेरित करती है. जातक अपने लोगों से युक्त और परिवार के सहयोग को पाने वाला होता है. उसे मंत्रालय संबंधी कार्यों में स्थान भी मिल सकता है. वाचाल होता है तथा अपने बौद्धिक तर्कों के समक्ष सभी को चुप करा देने में भी सक्षम होता है. बुध के शुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति के स्वभाव में परोपकारिता का भाव भी निहीत होता है वह उदार और साधुजनों की सेवा करने वाला होता है.
बृहस्पति | Jupiter
बृहस्पति के मित्र क्षेत्री होने पर जातक विनम्र, योग्य और ज्ञानवान होता है. राज्य से समान पाने वाला और गुरूजनों का प्रिय बनता है किसी भी स्थिति में जातक के निर्णय बहुत निष्पक्ष होते हैं तथा सभी की सहमती को पाने वाले होते हैं. व्यक्ति स्थिर संपदा से युक्त होता है यदि कुण्डली पर बुरे प्रभाव हों तो वह भी गुरू की अनुकूल स्थिति से कम होने की ओर अग्रसर होते हैं. व्यक्ति के समक्ष कोई भी आसनी से टिक नहीं पाता है.
शुक्र | Venus
शुक्र के मित्रक्षेत्री होने पर ग्रह बली होता है और व्यक्ति को सुख और वैभव की ओर आकर्षित करता है. जातक अपने जीवन में महंगे सामान और आभूषणों को पाने की चाह रखता है चकाचौंध से युक्त जीवन जीने की चाह रहती है. किसी भी क्षेत्र में अपने प्रतिभा का प्रदर्शन करने से पिछे नहीं हटता है. कला से संबंधित कामों की ओर रूझान रहता है तथा प्रेम प्राप्ति की चाह रखता है.
शनि | Saturn
शनि के मित्रक्षेत्री होने पर जातक मित्र और बांधवों से सुख पाता है. स्थिरचित का विद्वान और विनयशील होता है. कर्मठ और न्यायशील होता है. जातक में सेवाभाव भी बहुत होगा और सभी के प्रति समान भावना रखने वाला होगा.
 
                 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            
