चिकित्सा ज्योतिष में हम जन्म कुण्डली का अध्ययन तो करते ही है साथ ही वर्ग कुण्डलियाँ भी बहुत महत्व रखती हैं. कई बार जन्म कुण्डली में स्वास्थ्य के नजरिये से कोई परेशानी दिखाई नहीं देती है लेकिन जब हम वर्ग कुण्डली को देखते हैं तब उसमें बहुत सी बाते स्पष्ट होती हैं. स्वास्थ्य के लिए जिन वर्ग कुण्डलियों को देखा जाता है वह है - नवांश कुण्डली, द्रेष्काण कुंडली, द्वादशांश कुंडली और त्रिशांश कुण्डली. इन चारों का चिकित्सा जगत में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान माना गया है. किसी भी व्यक्ति के अरिष्ट को देखने के लिए जन्म कुंडली के साथ इन चारों वर्ग कुंडलियों का भी अध्ययन किया जाना आवश्यक होता है. उसके बाद जाकर किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है. आइए इन वर्ग कुण्डलियों के विषय में जानने का प्रयास करें.
नवांश कुंडली | Navansh Kundali
जन्म कुण्डली की तरह ही इस कुंडली का अध्ययन भी जीवन के सभी पहलुओं को देखने के लिए किया जाता है. इसके बलाबल का अध्ययन किया जाएगा. लग्नेश की जो स्थिति जन्म कुंडली में है क्या वही नवांश में भी है आदि बातों का अध्ययन किया जाता है. जो शुभ ग्रह जन्म कुंडली में बली है और अगर वह नवांश में बलहीन है तब ग्रह कमजोर माना जाता है. यदि कोई ग्रह जन्म कुंडली में तो कमजोर है लेकिन नवांश में बली हो गया है तब उस ग्रह को बल मिल जाता है और अपनी दशा/अन्तर्दशा आने पर अशुभ फलों में कमी कर देता है.
नवांश कुंडली का निर्माण 30 अंशों के 9 बराबर भाग करने पर होता है. एक भाग 3 अंश 20 मिनट का होता है. इसकी गणना कई प्रकार से की जाती है.
द्रेष्काण कुंडली | Dreshkan Kundali
इस कुंडली का निर्माण 30 अंश के 3 बराबर भाग करने पर होता है. एक भाग 10 अंश का होता है. स्वास्थ्य के संदर्भ में यह वर्ग कुंडली भी अपना महत्व रखती है. इस कुंडली के लग्न और लग्नेश का अध्ययन किया जाता है. अष्टम और अष्टमेश का अध्ययन किया जाता है. जन्म कुण्डली के लग्न की राशि द्रेष्काण में किस भाव में गई है, यह देखा जाता है. जन्म कुंडली के लग्नेश की द्रेष्काण में स्थिति देखी जाती है. यदि यह सभी बली अवस्था में है तब व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. साथ ही दशा/अन्तर्दशानाथ का अध्ययन भी आवश्यक है. यदि दशा/अन्तर्दशानाथ की स्थिति यहाँ अनुकूल नहीं है तब उस समय व्यक्ति को सचेत रहना चाहिए. स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
द्वादशांश कुंडली | Dwadshansh Kundali
इस कुंडली का निर्माण 30 अंशों के 12 बराबर भाग करने पर होता है. इस कुंडली का अध्ययन भी द्रेष्काण कुंडली की तरह ही होता है. जन्म कुंडली के लग्न/लग्नेश की इस कुंडली में स्थिति देखी जाएगी. द्वादशांश कुंडली का अपना लग्न और लग्नेश भी देखा जाएगा. यदि यह सभी यहाँ बली है तब स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ कम आती है और आती भी हैं तब जल्द ही व्यक्ति ठीक भी हो जाता है. इस कुंडली में भी दशा/अन्तर्दशानाथ स्वामी का आंकलन किया जाता है. यदि अच्छी हालत में है तो अच्छे फल मिलते हैं और अगर बुरी हालत में है तब बुरे फल मिलने की संभावना बनती है.
त्रिशांश कुंडली | Trishansh Kundali
स्वास्थ्य के आंकलन में इस कुंडली का सर्वाधिक महत्व माना गया है. इस कुण्डली की गणना का तरीका अलग होता है. इसमें सम/विषम राशियों के आधार पर गणना की जाती है और 30 अंशों के 6 बराबर भाग किए जाते हैं. फिर उसी के हिसाब से ग्रहों को बिठाया जाता है. इस कुंडली में सभी ग्रहों का अध्ययन किया जाता है. ग्रह की अवस्था क्या है अर्थात वह पीड़ित है या नहीं. बली है या बलहीन है. जन्म कुंडली के लग्न/लग्नेश का अध्ययन किया जाएगा कि वह यहाँ किस स्थिति में है. त्रिशांश कुंडली के लग्न की स्थिति देखी जाएगी और लग्नेश का विश्लेषण किया जाएगा. फिर उसके बाद दशा/अन्तर्दशानाथ की स्थिति का अवलोकन किया जाएगा कि वह किस हालात में है. उसके बाद कहीं जाकर किसी नतीजे पर पहुंचा जाएगा.
उपरोक्त सभी पहलुओं का सूक्ष्मता से अध्ययन करने के बाद ही किसी व्यक्ति की कुंडली के बारे में कुछ कहना उचित होता है, केवल जन्म कुंडली के आधार पर कुछ गलत नहीं कहना चाहिए.
 
                 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            