जन्म कुण्डली के आधार पर व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बताया जाता है. सभी का भविष्य अलग होता है. कोई सुखी तो कोई दुखी रहता है अथवा किसी को मिश्रित फल जीवन में मिलते हैं. किसी भी बात के होने में कुण्डली के योग महत्व रखते हैं और जिस ग्रह की दशा/अन्तर्दशा चल रही होती है वह महत्व रखती है. बहुत बार जन्म कुण्डली में योग अच्छे बने होते हैं और ग्रह भी बली अवस्था में होता है लेकिन फिर भी व्यक्ति को शुभ फल नहीं मिलते हैं क्योकि ग्रह वर्ग कुण्डली में कमजोर हो जाता है इसलिए ही वैदिक ज्योतिष में वर्ग कुण्डलियों का अत्यधिक महत्व माना जाता है.
जन्म कुण्डली में मौजूद फलो का स्वाद वर्ग कुण्डलियो में मिलता है. अगर ग्रह जन्म कुण्डली में बली है और संबंधित वर्ग कुण्डली में कमजोर है तब अनुकूल फल नहीं मिलते हैं और यदि ग्रह जन्म कुण्डली में कमजोर और संबंधित वर्ग कुण्डली में बली है तब कुछ बाधाओ के बाद फल अनुकूल मिलते हैं. आज इस वेबकास्ट में हम वैदिक ज्योतिष में वर्ग कुण्डलियो के महत्व की बात करेगें.
वर्ग कुण्डली के लग्न, लग्नेश और संबंधित भाव और भावेश का विश्लेषण किया जाता है. जैसे संतान के लिए सप्तांश कुण्डली का आंकलन किया जाता है इसलिए सप्तांश कुण्डली का लग्न, लग्नेश, पंचम भाव और पंचमेश को देखा जाएगा. जन्म कुण्डली के पंचमेश की स्थिति सप्तांश में भी देखी जाएगी तब जाकर किसी निर्णय पर पहुंचा जाता है.
होरा कुण्डली, द्रेष्काण और चतुर्थांश कुण्डली | Hora Kudali, Dreshkan and Chaturthansh Kundali
- होरा कुण्डली का आंकलन धन के लिए किया जाता है.
- स्त्री संज्ञक (female planet) चंद्रमा की होरा में और पुरुष ग्रह सूर्य की होरा में अच्छे माने जाते हैं.
- द्रेष्काण कुण्डली या D-3 कुण्डली को भाई-बहनो के लिए देखा जाता है.
- चतुर्थांश कुण्डली को भूमि, जमीन और भाग्य के लिए देखा जाता है.
होरा कुण्डली अर्थात D-2 कुण्डली से आरंभ करते हैं. होरा कुण्डली का आंकलन धन के लिए किया जाता है.
स्त्री संज्ञक (female planet) चंद्रमा की होरा में और पुरुष ग्रह सूर्य की होरा में अच्छे माने जाते हैं क्योकि चंद्रमा को स्त्री समान माना जाता है और सूर्य को पुरुष समान माना जाता है.
द्रेष्काण कुण्डली या D-3 कुण्डली को भाई-बहनो के लिए देखा जाता है. कुल कितने बहन भाई होगें यह इस कुण्डली से पता चलता है. आपको भाई-बहनों का सुख मिलेगा या नहीं, इसका विश्लेषण इसी कुण्डली से किया जाता है.
चतुर्थांश कुण्डली अथवा D-4 का आंकलन भूमि, जमीन और भाग्य के लिए देखा जाता है. आपका भाग्य कैसा रहेगा इसकी पुष्टि इस कुण्डली से होती है. आप घर बना पाएंगे या नहीं अथवा कैसा घर होगा आदि बातों की जानकारी इस कुण्डली के माध्यम से मिलती है.
सप्तांश, नवांश और दशमांश कुण्डली | Saptansh, Navansh and Dashmansh Kundali
- सप्तांश कुण्डली अथवा D-7 का आंकलन संतान के लिए किया जाता है.
- जन्म कुण्डली में संतान के योग हैं और सप्तांश कुण्डली में नही है तब परेशानी आती है.
- नवांश कुण्डली अथवा D-9 कुण्डली सबसे अधिक महत्व रखती है. इसे जीवनसाथी के लिए देखा जाता है.
- दशमांश कुण्डली अथवा D-10 कुण्डली का आंकलन कैरियर के लिए किया जाता है.
आइए अब सप्तांश कुण्डली की बात करें. सप्तांश कुण्डली अथवा D-7 का आंकलन संतान के लिए किया जाता है. संतान कैसी होगी और उनसे सुख मिलेगा या नही आदि बातो की पुष्टि इस कुण्डली से होती है.
यदि आपकी जन्म कुण्डली में संतान के योग हैं और सप्तांश कुण्डली में नही है तब संतान होने में परेशानी आ सकती है.
नवांश कुण्डली अथवा D-9 कुण्डली सभी वर्ग कुण्डलियो में सबसे अधिक महत्व रखती है. वैसे तो इसे जीवनसाथी के लिए देखा जाता है कि वह कैसा होगा और उसके साथ संबंध कैसे रहेगे आदि बातें देखी जाती हैं. लेकिन इस कुण्डली को जीवन के हर क्षेत्र के लिए भी देखा जाता है. जो योग जन्म कुण्डली में बनते हैं उनकी पुष्टि इस कुडली में होती है. जन्म कुण्डली शरीर है तो नवांश कुण्दली को आत्मा माना जाता है.
दशमांश कुण्डली अथवा D-10 कुण्डली का आंकलन कैरियर के लिए किया जाता है. जन्म कुण्डली के दशम भाव की पुष्टि दशमांश कुण्डली से होती है. कैरियर में सफलता मिलेगी या नही आदि बातो की पुष्टि इस कुण्डली से होती है.
द्वादशांश, षोडशांश और विशांश कुण्डली | Dwadshansh, Shodshansh and Vishansh Kundali
- द्वादशांश कुण्डली अथवा D-12 का आंकलन माता-पिता के लिए किया जाता है.
- षोडशांश कुण्डली अथवा D-16 का विश्लेषण वाहन सुख के लिए किया जाता है.
- विशांश कुण्डली अथवा D-20 को व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास के लिए देखा जाता है.
द्वादशांश कुण्डली अथवा D-12 का आंकलन माता-पिता के लिए किया जाता है. आपके माता-पिता से संबंधित हर बात को इस कुण्डली से देखा जा सकता है. इनके स्वास्थ्य के बारे में और इनसे मिलने वाले सुख - दुख से जुड़ी बातो की पुष्टि इस वर्ग कुण्डली से होती है.
षोडशांश कुण्डली अथवा D-16 का विश्लेषण वाहन सुख के लिए किया जाता है. यदि जन्म कुण्डली में वाहन सुख है और इस कुण्डली में नही है तब आपको अपना मनपसंद वाहन सुख मिलने में दिक्कत हो सकती है. यदि दोनो कुण्डलियो में इसकी पुष्टि होती है तब आपको अति उत्तम कोटि का वाहन मिल सकता है.
विशांश कुण्डली अथवा D-20 को व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास के लिए देखा जाता है. आपका धार्मिक बातो में या आध्यात्म की ओर झुकाव है या नही अथवा आप आस्तिक होगे या नास्तिक होगें आदि बातो को इस कुण्डली से देखा जाता है.
चतुर्विशांश, सप्तविशांश और त्रिशांश कुण्डली | Chaturvishansh, Saptavishansh and Trishansh Kundali
- चतुर्विशांश कुण्डली अथवा D-24 को शिक्षा के लिए देखा जाता है.
- सप्तविशांश कुण्डली अथवा D-27 को जीवन के बलाबल और कमजोरियो के लिए देखा जाता है.
- त्रिशांश कुण्डली अथवा D-30 को स्वास्थ्य और दुर्घटनाओ के लिए देखा जाता है.
चतुर्विशांश कुण्डली अथवा D-24 को शिक्षा के लिए देखा जाता है. शिक्षा का स्तर कैसा होगा आदि बाते इस कुण्डली से सिद्ध होती हैं. जन्म कुण्डली में अगर सब ठीक है और यह कुण्डली कमजोर है तब शिक्षा में बाधा आ सकती है.
सप्तविशांश कुण्डली अथवा D-27 को जीवन के बलाबल और कमजोरियो के लिए देखा जाता है. आपका भीतरी और बाहरी बलाबल इस कुण्डली से देखा जाता है. आपकी कमजोरियाँ भी इस कुण्डली से देखी जाती है.
त्रिशांश कुण्डली अथवा D-30 को स्वास्थ्य और दुर्घटनाओ के लिए देखा जाता है. शारीरिक बिमारियो को इस कुण्डली से देखा जाता है. जीवन के कठिन समय और परेशानियो की पुष्टि इसी कुण्डली से होती है.
चत्वारिशांश, अक्षवेदांश और षष्टियांश कुण्डली | Chatvarishansh, Akshvedansh and Shashtiyansh Kundali
- चत्वारिशांश अथवा D-40 चार्ट से जीवन के सामान्य शुभ-अशुभ बातों को देखा जाता है.
- अक्षवेदांश अथवा D-45 चार्ट से व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में और पैतृक संपत्ति के बारे में देखा जाता है.
- षष्टियाँश अथवा D-60 चार्ट से पूर्व जन्म के कर्म देखे जाते हैं.
चत्वारिशांश अथवा D-40 चार्ट से जीवन के सामान्य शुभ-अशुभ बातों को देखा जाता है. यह वर्ग कुण्डली माता की ओर से मिलने वाली संपत्ति के बारे में भी बताती है.
अक्षवेदांश अथवा D-45 चार्ट से व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में पता चलता है और पैतृक संपत्ति अथवा पिता की ओर से मिलने वाली संपत्ति के बारे में देखा जाता है.
षष्टियाँश अथवा D-60 चार्ट से पूर्व जन्म के कर्म देखे जाते हैं. पूर्व जन्म के कर्मो का पुन: भुगतान इस कुण्डली से देखा जाता है. D-1 और D-60 चार्ट को एक्-दूसरे का पूरक माना जाता है. आपके जीवन में कोई घटना “कब“ होगी, यह जन्म कुण्डली बताती है और वह घटना “क्यो” होगी यह डी-60 कुण्डली बताती है. महर्षि पराशर ने इस वर्ग कुण्डली को जीवन के सभी पहलुओ को जांचने के लिए महत्वपूर्ण माना है.
 
                 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            