गार्नेट जिसे रक्तमणि और तामडा़ नाम से भी जाना जाता है. एक बहुत ही प्रभावशाली रत्न है. आज के समय में हर व्यक्ति किसी ना किसी बात को लेकर परेशान रहता है. अपनी परेशानियों का हल खोजने के लिए वह कई बार अपने भविष्य की जाँच भी कराता है. जाँच
Read More..
द्वादश भाव मोक्ष स्थान है, इस भाव से व्यक्ति के व्यय देखे जाते है. यह भाव हानियां, व्यय, बायीं आंख, व्यर्थ के अपव्यय, मोक्ष, यौनानन्द, विदेश यात्रायें, गुप्त शत्रु, पाप, अपना स्थान छोडना, बैरियों से भय, मृ्त्यु के उपरान्त की स्थिति, पंजे,
Read More..
रत्नों के खनिज ओलीवीन को पेरीडोट कहा जाता है. इसमें लौह तत्व होने से इस उपरत्न का रंग गहरा हरा होता है. इसके अतिरिक्त यह हरे रंग के साथ सुनहरे पीले रंग की आभा लिए हुए भी होता है. जैतून के जैसे हरे रंग में मिलता है.हरे-पीले अथवा नींबू के
Read More..
ज्योतिष में योग शब्द से अभिप्राय ग्रहों के संबन्ध से है, यह सम्बन्ध ग्रहों की युत्ति, दृ्ष्टि संबन्ध्, परिवर्तन तथा अन्य कई कारणों से बन सकता है. जिस प्रकार धर्म में बुद्धि और शरीर का योग, आयुर्वेद में दो या दो से अधिक औषधियों का योग
Read More..
पूर्वाषाढा नक्षत्र को जल नक्षत्र कहा जाता है. इस नक्षत्र के स्वामी शुक्र है. इसलिए इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति के स्वभाव और आचार-विचार पर शुक्र का प्रभाव देखने में आता है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति को दूसरों पर उपकार
Read More..
मालव्य योग - पांच महापुरुष योग | Malavya Yoga - Pancha Mahapurusha Yoga | How is Malavya Yoga Formed
Read More..
तृतीय भाव पराक्रम भाव भी कहलाता है. इस भाव के अन्य कुछ नाम अपिक्लिम भाव, उपचय भाव, त्रिषडय भाव है. तृ्तीय भाव से व्यक्ति की ताकत, साहस, दीर्घायु, छोटे भाई, दृ्ढता, छोटी यात्राएं, लेखन, सम्बन्ध, दिमागी उलझने, आनन्द, बाजू, नौकर, अच्छे गुण,
Read More..
विशाखा नक्षत्र ज्योतिष शास्त्र के 27 नक्षत्रों में से 16वां नक्षत्र है. इस नक्षत्र के स्वामी गुरु है. गुरु का स्वामित्व होने के कारण इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को ज्ञान अर्जन में विशेष रुचि होती है. इस नक्षत्र के व्यक्ति सदैव
Read More..
हस्त नक्षत्र चन्द्र का नक्षत्र है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों के स्वभाव में चन्द्र के गुण स्वत: होते है. 27 नक्षत्रों में हस्त नक्षत्र 13वां नक्षत्र है. इस नक्षत्र का व्यक्ति स्वभाव से बुद्धिमान प्रकृति का होता है. अपने लिए
Read More..
शरीर में मौजूद प्रत्येक चक्र शरीर के अलग-अलग अंगों में स्थित हैं इसमें से एक चक्र है मूलाधार चक्र. मूलाधार को मूल आधार, अधार, प्रथम चक्र, बेस या रूट चक्र भी कहते हैं. यह हमारे शरीर का प्रथम चक्र तथा प्राणशक्ति का आधार होता है. हमारा शरीर
Read More..
सौरमण्डल के सन्दर्भ में कुछ आवश्यक बातों को आपके लिए समझना आवश्यक है. ग्रह और नक्षत्रों के विभाजन के विषय में आपने पिछले अध्यायों में जानकारी हासिल की है. इसके अतिरिक्त सौरमण्डल से जुडी़ कुछ बातों को आप और समझ लें जिनका ज्योतिषीय दृष्टि से
Read More..
कन्या राशि, राशिभचक्र की छठवीं राशि है. यह राशि व्यापार कार्य करने वाले व्यक्तियों की राशि मानी जाती है. इसका कारण इस राशि के व्यक्तियों में सामान्य से अधिक बुद्धि का होना, और इस राशि के व्यक्तियों का व्यवहारिक होना है. कन्या राशि की
Read More..
इस उपरत्न की खोज 1791 में हुई थी. इस उपरत्न को फ्रेन्च खनिज-विज्ञानी डियोदैट-दे-डोलोमियू(Deodat de Dolomieu) ने आल्प्स(Alps) में भ्रमण करते हुए खोजा था. उन्हीं के नाम पर इस उपरत्न का नाम डोलोमाईट पड़ गया. यह उपरत्न पृथ्वी की उपरी सतह पर
Read More..
घर में बालक का जन्म् होने पर बालक की कुण्डली बनवाई जाती है. कुण्डली में ग्रहों की स्थिति से बन रहे योगों की जानकारी प्राप्त की जाती है. ( sematext ) तथा सभी शुभ – अशुभ योगों के अलावा कुण्डली में बन रहे धन योगों का भी विश्लेषण कराया
Read More..
पंचांग का एक महत्वपूर्ण अंग करण है. करण 11 होते हैं और हर 1 तिथि में 2 करण आते हैं. प्रत्येक करण का अपना एक अलग प्रभाव होता है. व्यक्ति के जीवन और उसके कार्यों पर करणों का प्रभाव भी स्पष्ट होता है. शकुनि करण के प्रभाव से जातक उत्साहित और
Read More..
अम्बर उपरत्न विभिन्न रंगों में उपलब्ध होता है. यह पीले रंग से लेकर लाल रंग तक के रंगो में पाया जाता है. परन्तु अम्बर उपरत्न का रंग सामान्यतया शहद के रंग जैसा होता है. इसी रंग का अम्बर अधिक प्रचलित है. सबसे अच्छा अम्बर उपरत्न पारदर्शी होता
Read More..
इस उपरत्न का यह नाम सिंहला नाम पर पडा़ है. सीलोन द्वीप को संस्कृत में सिंहला या सिंहली कहते थें. वर्तमान श्रीलंका का यह प्राचीन नाम है. यह उपरत्न इस द्वीप पर पाए जाने से सिन्हेलाईट कहलाता है. इस उपरत्न की सर्वप्रथम खोज 1952 में हुई थी. इस
Read More..
सूर्य से बारह अंशों की दूरी पर तिथि बनती है, तथा सूर्य से छ: अंशों कि दूरी पर करण बनता है. इस प्रकार एक तिथि में दो करण होते है. करण ज्योतिष शास्त्र में पंचाग का भाग है, व इसे मुहूर्त कार्यों में प्रयोग किया जाता है. वणिज करण को सामान्य
Read More..
यह आसानी से उपलब्ध होने वाला उपरत्न है. यह अपारदर्शी होता है. यह आयरन आक्साइड से बना खनिज है. यह हल्के काले रंग से गहरे काले रंग तक के रंगों में पाया जाता है. भूरे रंग, भूरे व लाल रंग के मिश्रण तथा लाल रंग में भी कभी-कभी पाया जाता है.