वर्गोत्तम नवमांश ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण स्थिति मानी जाती है. इसे विशेष रूप से व्यक्ति की जन्मकुंडली में नवमांश कुंडली में देखा जाता है. यह व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपना असर डालता है. वर्गोत्तम नवमांश वह नवमांश होता
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बुध को भारतीय ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है. यह ग्रह बुद्धि, संवाद, शिक्षा, व्यापार, तकनीकी कौशल, लेखन, गणना और सोचने की क्षमता से संबंधित होता है. नवांश कुंडली में बुध का प्रभाव हमारे मानसिक कार्यों, सोचने की प्रक्रिया और
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वैदिक ज्योतिष नवांश कुंडली मंगल के बल को दर्शाती है. मंगल को नेतृत्व, शक्ति, महत्वाकांक्षा, दृढ़ संकल्प और शारीरिक कौशल जैसे गुणों से जोड़ा जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह किसी व्यक्ति की नई पहल करने, चुनौतियों का सामना करने और बाधाओं को
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ज्योतिष में सूर्य पिता का प्रतीक है, जिसे अक्सर ग्रहों के राजा के रूप में दर्शाया जाता है. वैदिक ज्योतिष में इसे प्रमुख स्थान दिया गया है. यह व्यक्ति की पहचान और चेतना का मूल है. सूर्य को अक्सर आत्मकारक कहा जाता है, जिसका अर्थ है आत्मा का
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विजया एकादशी हिन्दू धर्म में विशेष रूप से महत्व रखने वाला व्रत है, जो हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह एकादशी विशेष रूप से विजय, सफलता और समृद्धि के लिए जानी जाती है। विजया एकादशी का पालन करने से व्यक्ति की
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ज्योतिष में लव इमोशन के लिए शुक्र मुख्य ग्रह मान अगया है. शुक्र के बिना किसी के जीवन में प्रेम का अंकुर जन्म नहीं ले सकता है. शुक्र अगर अच्छा है तो फिर प्यार की कमी नहीं होगी लेकिन अगर शुक्र कमजोर है तो फिर जीवन भर अपने प्रेम के लिए संघर्ष
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ज्योतिष शास्त्र में विभिन्न प्रकार के योगों का विशेष स्थान है, जो किसी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर असर डालते हैं. इन योगों में से एक महत्वपूर्ण योग है "शोभन योग", जो व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की विशेष स्थिति के आधार पर उत्पन्न
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हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में एक दर्श अमावस्या होती है. दर्श अमावस्या का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह चंद्रमा के अदृश्य होने का दिन होता है, जब सूर्य और चंद्रमा एक-दूसरे के समीप होते हैं. फाल्गुन माह की दर्श
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तीसरे भाव में बैठा शुक्र प्रभावशाली बातों से जोड़ सकता है. व्यक्ति की बोलचल उसकी बात करने की क्षमता दूसरों पर जबरदस्त तरीके से असर डालने वाली होती है. शुक्र, प्रेम, सौंदर्य और शांति का ग्रह, हमारे व्यक्तित्व और रिश्तों को आकार देने में एक
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ज्योतिष के 27 योगों में से चतुर्थ स्थान में सौभाग्य योग को स्थान प्राप्त होता है. चौथा नित्य एवं नैसर्गिक योग होने के साथ ही ये एक बहुत शुभ योग माना जाता है. इस योग को ज्योतिष में उन कुछ शुभ योगों में स्थान प्राप्त है जिन्हें शुभ योगों की
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वेदिक ज्योतिष में ग्रहों के हर स्थिति का विश्लेषण करने के लिए कई महत्वपूर्ण पक्ष हैं। ग्रहों का अस्त होना विशेष रुप से शुक्र का अस्त होना भी गोचर के विषय में महत्वपूर्ण घटना है। शुक्र जब अस्त होता है तो उसके प्रभाव के चलते कई कार्यों को
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आयुष्मान योग भारतीय ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण योग माना जाता है. यह योग किसी व्यक्ति के जीवन में दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक होता है. यह विशेष रूप से तब बनता है जब कुंडली में किसी विशिष्ट ग्रह स्थिति का मिलन होता है.
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ज्योतिष में बनने वाले सत्ताईस योगों में से एक योग है विष्कुंभ योग, विष्कुम्भ योग एक ऐसा दुर्लभ और शक्तिशाली योग है, जो ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह योग तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कुछ विशेष ग्रहों की
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आनन्दादि योग का उल्लेख भारतीय ज्योतिष शास्त्र में विशेष रूप से किया जाता है. ज्योतिष में, योग का मतलब होता है विभिन्न नक्षत्र, योग तिथि वार इत्यादि की स्थितियों और उनके आपसी संबंधों के माध्यम से उत्पन्न होने वाली विशेष परिस्थितियां. जब जो
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चंद्रमा-मंगल युति एक सामान्य ज्योतिष के उन खास युति योगों में से एक है जो आर्थिक स्थिति को बेहतर बनने वाले और व्यक्ति को काफी आत्मविश्वास से भर देता है. मंगल ग्रह क्रोध, साहस और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. वहीं, चंद्रमा इमोशन, शांति और
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वक्री मंगल कर्क राशि में नव ग्रहों में मंगल को जोश और साहस का ग्रह माना जाता है. मंगल जब भी गोचर में बदलाव करता है उसका असर सभी पर होता है. जब मंगल कर्क राशि में वक्री होता है तो ये स्थिति मिलेजुले असर दिखा सकती है. कुछ मामलों में मंगल की
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सिंह लग्न के लिए बाधक ग्रह और उसका प्रभाव सूर्य सिंह लग्न को शक्ति प्रदान करता है, जो स्वयं में केन्द्रित होने से ही मिलती है. सिंह लग्न के लिए नवम भाव बाधक बनता है और नवम भाव का स्वामी बाधकेश बनता है. सिंह लग्न में बाधक मेष राशि होती है
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कुंडली में ग्रह राशि भाव दृष्टि सूत्र ज्योतिशष में ग्रहों की दृष्टि विशेष प्रभाव रखती है. राशि दृष्टि को समझ कर कुंडली के मुख्य पहलूओं पर विचार कर पाना संभव होता है. ग्रह दृष्टि का प्रभाव विशेष प्रभाव देता है. ग्रह दृष्टि से कुंडली के फल
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ज्योतिष में अनेकों योगों का उल्लेख मिलता है जिनके आधार पर कुंडली की शुभता या निर्बलता को समझ पाना संभव होता है. इन्हीं में से एक योग है केन्द्राधिपति दोष. यह यह ऎसा दोष है जब शुभ ग्रह गुरु, शुक्र, बुध और शुभ चन्द्रमा केन्द्र प्रथम, चतुर्थ,
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कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र और बाधकेश प्रभाव कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र बनता है. शुक्र कर्क लग्न के लिए बाधकेश होता है. शुक्र एक अनुकूल शुभ ग्रह होने पर भी कर्क लग्न के लिए बाधक का काम करता है. शुक्र की स्थिति कई मायनों में अपना असर डालता