कुंडली से जाने विभिन्न भावों का फल

कुंडली में जब भविष्यफल का फल जानना हो तो उस समय पर जो भाव अधिक सक्रिय होता है उसके जीवन में वह समय अधिक संघर्ष या सफलता की स्थिति को दर्शाता है. ऎसे में कुंडली का विश्लेषण किसी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को निर्धारित करने के लिए किया जाता है. ज्योतिष के क्षेत्र में इस प्रकार की कुंडली का अपना महत्व होता है. भविष्यफल कुंडली के विश्लेषण के दौरान जन्म कुंडली की दशा और योगों के निर्माण पर विचार किया जाता है.

सभी भविष्यवाणियां दोनों प्रकार की कुंडली के गहन विश्लेषण के बाद की जानी चाहिए. उस वर्ष की  कुण्डली में लग्न बनने वाले भावों का विश्लेषण उस वर्ष विशेष की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्ष की शुरुआत में जो भाव लग्न बनता है वह उस विशिष्ट अवधि के दौरान व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए जिम्मेदार होता है. 

पहला भाव

यदि किसी व्यक्ति का लग्न किसी विशेष वर्ष में ग्रहों से प्रभावित होता है तो जीवन में कुंडली का लग्न विशेष महत्व रखता है. यह समय व्यक्ति के लिए विशेष होता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से स्थिति पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है. व्यक्ति को अपने जीवन के हर पहलू में बहुत उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है. करियर और जीवन में कई तरह के मामलों में संघर्ष अधिक बढ़ सकता है. कुछ मामलों में रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है. जब इस समय पर लग्न अधिक प्रभावित होता है तो यह जीवन के अधिकांश पक्ष को भी अपने असर में लेता है. 

दूसरा भाव 

जब कुंडली के दूसरे भाव पर एक्टिव होता है तब कुंडली में द्वितीय भाव वाले प्रभावों के लिए मिश्रित परिणामों से गुजरना पड़ता है. ऐसे समय पर व्यक्ति संपत्ति या आय के नए स्रोत से आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकता है. धन और वित्त के मामले में यह समय कुछ लाभ दे सकता है. लेकिन इसके अलावा आकस्मिक दुर्घटनाओं और अप्रत्याशित घटनाओं की भारी संभावनाएं भी इस समय पर रहती है. व्यक्ति को विभिन्न सामान्य स्वास्थ्य रोगों और कुछ मानसिक चिंताओं से भी पीड़ित होना पड़ सकता है. इस समय के दौरान पर व्यक्ति अपनी भाषा के कारण भी कई तरह की चीजों का सामना कर सकता है.

तीसरा भाव

कुंडली का जब तीसरा भाव अधिक प्रभावित होता है तो जीवन में संघर्ष फर मेहनत की अधिकता बढ़ सकती है. उस समय पर व्यक्ति को शक्ति और पराक्रम में वृद्धि का अनुभव हो सकता है. उसके प्रयासों का लाभ उसके भाई बंधुओं को भी मिलता है. अगर यहां शुभता का प्रभाव होता है तो यह समय यश और धन की प्राप्ति दिलाने वाला होता है. व्यक्ति स्वयं भी ऐसे कार्य करता है जिससे समाज में उसके लिए अत्यधिक सम्मान और सम्मान होता है. इस समय के दौरान व्यक्ति को कई तरह की यात्राएं भी करने को मिलती हैं. 

चौथा भाव

कुंडली में चतुर्थ भाव जब अधिक प्रभावी बनता है तो व्यक्ति जीवन में सुख प्राप्त करता है. वह कोई नया वाहन या अन्य वैभवशाली वस्तुए ख़रीद सकता है जो उन्हें सुख और प्रसन्नता प्रदान कर सकती हैं. कमाई का ज्यादातर हिस्सा घर की साज-सज्जा पर खर्च हो जाता है. धन यश, पहचान और सम्मान की दृष्टि से यह माह अनुकूल बना हुआ है.

पांचवां भाव

कुंडली का पंचम भाव जब अधिक प्रभावी बनता है तो व्यक्ति को काफी अनुकूल परिणाम देता है. व्यक्ति इस जीवन के हर पहलू में सुखद परिणाम प्राप्त करता है. वह जो भी कार्य हाथ में लेता है वह उसे सफलता के साथ पूरा कर पाने में सक्षम बनता है. विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में कई तरह के बदलाव देखने को मिल सकते हैं. यह समय नए रिश्तों के आरंभ का भी समय होता है. 

छठा भाव

जन्म कुंडली का छठा भाव जब अधिक प्रभावी होता है तो स्थिति संघर्ष की अधिकता वाली हो सकती है. इस अवधि में व्यक्ति को काफी शत्रुता का सामना करना पड़ सकता है. कार्यक्षेत्र में उन्हें बहुत प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है. व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कार्यक्षेत्र में बाधाओं का भी सामना करना पड़ सकता है. धन की हानि, शत्रुओं से परेशानी, घर में विवाद जैसी बातें असर डालती हैं. 

सातवां भाव

कुंडली का सप्तम भाव जब अधिक प्रभावित होता है तो विवाह, नए संबंधों की शुरुआत, व्यापार एवं पार्टनरशीप के लिए विशेष समय होता है. कुछ शुभ मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं. जो लोग अविवाहित हैं, उनके लि परिणय सूत्र में बंधने की संभावना प्रबल दिखाई देती है. अपने द्वारा किए गए कार्यों के लिए वह मान सम्मान भी प्राप्त करता है.

आठवां भाव

कुण्डली का अष्टम भाव जब अधिक प्रभावी होता है, तब यह समय आकस्मिक घटनाओं का होता है. बहुत सी समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है. उनके जीवन में कई अप्रत्याशित घटनाएं घटती हैं. स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ सकती है. व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में बहुत असफलता का सामना करना पड़ता है. इस समय पर मान सम्मान में कमी के भी संकेत मिल सकते हैं. 

नवम भाव

जब कुंडली में नवम भाव अधिक प्रभावित होता है तो ऎसे में उस दौरान इसके कई शुभ फलों की प्राप्ति का समय भी होता है. यह भाग्य का समय भी कहा जाता है. व्यक्ति को व्यापार और कार्यक्षेत्र में अपार सफलता मिलती है. वह वैभवशाली जीवन व्यतीत करता है. उसके द्वारा किए गए सभी कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं. व्यक्ति विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेता है.

दशम भाव 

जिस भी समय दशम भाव पर अधिक असर पड़ता है तो उस समय पर बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है. इस समय कोई भी नया काम शुरू हो सकता है या काम में बदलाव की स्थिति उभर सकती है. नए अवसरों का समय होता है इसे उचित रुप से संभाल कर काम करने से ही लाभ भी मिलता है. इस समय व्यक्ति को सरकारी सेवा में जाने का अवसर प्राप्त होता है. यदि व्यक्ति सरकारी सेवाओं के लिए काम करने में सक्षम नहीं है तो उसे अपने वर्तमान कार्यस्थल पर ही सफलता, प्रसिद्धि और पहचान मिलती है.

ग्यारहवां भाव

ग्यारहवां भाव जब कुंडली में अधिक प्रभावित होता है तो लाभ के मामले सामने आते हैं. व्यवसाय करने वाले व्यक्तिों को अपने क्षेत्र में अपार सफलता मिलती है. बेरोजगार लोगों को नौकरी के अवसर प्राप्त होते हैं. इस समय की शुरुआत के साथ ही व्यक्ति की अधिकांश चिंताएं दूर हो जाती हैं. कुछ उपलब्धियों को पाने का समय बनता है. 

बारहवां घर

जब जन्म कुण्डली का बारहवां भाव अधिक प्रभावी बनता है तो व्यक्ति को बहुत अधिक खर्च का सामना करना पड़ सकता है. व्यक्ति की इच्छाएं बढ़ सकती हैं. इस समय पर बाहरी संपर्क अधिक बन सकते हैं. ख़र्चे अधिक बढ़ने लगते हैं. इस समय क़र्ज़ लेने या दूसरे से पैसे उधार लेने की ज़रूरत महसूस होती है. मानसिक और आर्थिक तनाव का सामना करना पड़ता है.