शुक्र ग्रह का नकारात्मक एवं खराब प्रभाव क्यों है इतना घातक

शुक्र ग्रह का असर जीवन में कई तरह की भिन्नताओं को दिखाने वाला होता है. शुक्र पर एक बहुत अलग लेकिन व्यावहारिक परिभाषा तब अधिक सप्ष्ट होती है जब ग्रह अपने प्रभावों को दिखाने में सक्षम होता है. शुक्र की स्थिति पर विचार देना एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थितो है. शुक्र के खराब होने के बुरे प्रभावों को जानकर यह समझ पाना इसके मिलने वाले फलों को दिखाने वाला होता है. यह भी पता होना चाहिए कि शुक्र ग्रह का इतना महत्व क्यों रखता है. 

शुक्र बृहस्पति के पश्चात सबसे शुभ ग्रह है. किसी भी व्यक्ति के लिए, यह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह भौतिक वस्तुओं, आनंद और विलासिता के सुख को देता है, बृहस्पति के साथ-साथ शुक्र को भी गुरु की उपाधी प्राप्त है. यह इच्छाओं और व्यसनों पर नियंत्रण और अधिकार रखता है. शुक्र प्रेम, ग्लैमर और संतुष्टि को दिलाने वाला ग्रह है. शुक्र एक चमकीला, स्त्री गुणों से भरपूर ग्रह है. प्रेम, विवाह, सौंदर्य और हर प्रकार के सुख का आधार इसे माना जाता है. शुक्र की अवधि भी लम्बी होती है अपनी महादशा में यह बीस वर्षों तक अपना असर दिखाता है. किसी कुण्डली में शुक्र अनुकूल स्थिति में है तो उसकी दशा में जीवन में प्रचुरता, आनंद और आराम जरुर मिलता है. शुक्र ग्रह कुंडली में स्त्री पत्नी का प्रतिनिधित्व करता है. सप्तम भाव का कारक होता है जो विवाह और व्यापारिक साझेदारी का भाव भी होता है, यदि कुंडली में शुक्र  खराब होगा तो यह एक असफल विवाह और प्रेम संबंध देने वाला होगा. 

शुक्र का प्रभाव किसी के जीवन में उसके आत्मविश्वास, भावनात्मक सुरक्षा और आंतरिक खुशी के लिए विशेष रुप से जिम्मेदार माना गया है.  यदि बाहरी आत्मविश्वास के लिए सूर्य जिम्मेदार है तो आंतरिक आत्मविश्वास के लिए शुक्र का प्रभाव अत्यंत विशेष हो जाता है. शुक्र जीवन में आंतरिक भावनात्मक सुरक्षा के लिए विशेष होता है. शुक्र बताता है कि हम खुद से कितना प्यार करते हैं और कितनी नफरत. इसलिए शुक्र व्यक्ति के जीवन में आंतरिक शांति और अशांति के लिए विशेष ग्रह बन जाता है. जिस प्रकार चंद्रमा का असर मन को आंदोलित करता है उसी प्रकात शुक्र का असर व्यक्ति की भीतरी सजगता उसकी अभिव्यक्ति पर अपना असर डालता है. 

जब जीवन आपको नीचे गिराता है, तो शुक्र का प्रभाव ही है जो आपको वापस लड़ने का बल देता है. आंतरिक विश्वास इसी से मिलता है. यह शुक्र ग्रह जीवन का वास्तविक सुख देता है. शुक्र ही भीतर की बुरी भावनाओं को दूर करने के लिए जिम्‍मेदार है. हम जैसे हैं वैसे ही खुद को प्यार करने के लिए शुक्र ही भाव देता है. बाहरी नकारात्मकता से प्रभावित हुए बिना जीवन में सफलता की राह पर बढ़ने के लिए जितनी आसानी से नकारात्मक भावनाओं को दूर कर सकते हैं वह हमें शुक्र से प्राप्त होती हैं. 

शुक्र के शुभ और अशुभ असर का भावनात्मक रुप से प्रभाव  

शुक्र इतना मजबूत है कि वह व्यक्ति को काफी समझदार एवं बौद्धिक बनाता है. किसी भी प्रकार के नकारात्मक असर को व्यक्ति आसानी से अपने ऊपर हावि नहीं होने देगा यदि शुक्र कुंडली में मजबूत है. शुक्र के मजबूत होने पर व्यक्ति का भावनात्मक संतुलन बहुत मजबूत होता है. किसी भी प्रकार का भावनात्मक प्रदर्शन व्यक्ति को आसानी से अपने जाल में नहीं फंसा सकता है. यह शुक्र की वास्तविक शक्ति है. सूर्य एक प्रकार का शुद्ध अहंकार है. लेकिन शुक्र के द्वारा इसके भी दो पक्ष दिखाई दे सकते हैं. शुक्र अगर खराब है तो बाहरी आत्मविश्वास तो बहुत होता है लेकिन अंदर से असुरक्षित अनुभव किया जा सकता है. ऎसे व्यक्ति की कमजोरी भी आसानी से नजर नहीं आती है. एक मजबूत शुक्र द्वारा ही नकारात्मक भावनाओं से अप्रभावित रहने में सहायता मिल सकती है. एक मजबूत शुक्र वाला व्यक्ति जीवनसाथी को अपने स्वाभिमान से धोखा नहीं देने देता है, लेकिन जब शुक्र भावनात्मक सुरक्षा देने के लिए पर्याप्त रूप से स्थिर नहीं है, तो व्यक्ति अन्य संबंधों की तलाश करना चाहते हैं,

शुक्र खराब होता है तो इसके विपरित असर दिखाता है. आत्मविश्वास की कमी देखने को मिल सकती है. कोई भी व्यक्ति आपको आसानी से भावनात्मक चोट पहुंचा सकता है. अपने दिल में एक बड़ा भावनात्मक बोझ लेकर चल सकते हैं. नकारात्मकता से इतनी आसानी से प्रभावित हो जाते हैं की स्वयं को व्यक्ति बहुत अधिक असुरक्षित महसुस कर सकता है.  दोस्ती, रोमांटिक रिश्तों और आस-पास के माहौल को लेकर असुरक्षित महसूस कर सकता है. खराब शुक्र इतना मजबूत नहीं है कि खुशी का एहसास करा सके, खराब शुक्र बहुत खराब मिजाज देता है, रोमांस में असुरक्षितता बेवफाई की ओर ले जा सकता है. हेराफेरी करवा सकता है. 

शुक्र के नकारात्मक पक्ष में कई तरह की स्थितियां देखने को मिल सकती हैं. 

शुक्र का असर यदि नकारात्मक रुप से दिखाई देने लगे तो यह विष की भांति कार्य करने वाला होता है.  शुक्र के विषैले प्रभाव द्वारा व्यक्ति में न केवल असुरक्षित भावनात्मक स्थिति होती है अपित गलत चीजों के प्रति आकर्षण भी होता है. जीवन में असंतुलित हो सकते हैं. व्यक्ति दूसरों की पीठ में छुरा घोंपने की हद तक चला जा सकता है. ऐसा इस कारण से भी होता है क्योंकि शुक्र की कुछ बातें व्यक्ति को अपने बारे में इतना हीन महसूस कराती हैं, कि वह ईर्ष्या से बाहर दूसरों के साथ कुछ बुरा करके दूसरों की खुशियों को नष्ट करने की चाह रखेगा. खराब शुक्र व्यक्ति को खुशी और भावनात्मक स्थिरता और भाग्य से वंचित कर देने वाला होता है. कमजोर निर्बल पाप प्रभावित शुक्र व्यक्ति में इतनी नकारात्मकता भर सकता है कि वह दूसरों के सुख से ईर्ष्या करने वाला बना सकता है. ऎसे में व्यक्ति हर ओर व हर जगह नफरत उगलते दिखाई दे सकता है. यह जीवन के कई पहलूओं पर दिखाई देसकता है.