बुध का आत्मकारक होना वाणिज्य में देता है सफलता

बुध को वैश्य वर्ग का माना गया है, अर्थात व्यापार से संबंधित ग्रह के रुप में बुध को विशेष रुप से देखा जाता है. बुध की स्थिति कुंडली में एक अच्छे वाणिज्य को दर्शाने वाली होती है. बुध एक ऎसा ग्रह है जो बिड़ पर अपना गहरा असर डालने में सक्षम होता है. जब बात आती है आत्मकारक रुप में बुध की तब यह बेहद ही शुभता को दिखाने वाली होती है. बुध आत्मकारक होकर अवसरों को देने में सहायक होगा. व्यक्ति अपने काम के क्षेत्र में उपलब्धियों को पाने में सफल होगा. 

बुध को मिथुन राशि और कन्या राशि का स्वामित्व प्राप्त है. कई पौराणिक कथाओं में बुध की भक्ति एवं उसकी कठोर साधना का शुभ फल भी जीवन में देखने को मिलता है. बुध ग्रह स्वतंत्र अभिव्यक्ति और संचार का ग्रह है. बुध एक अवसरवादी ग्रह भी माना गया है. जब कुंडली में बुध अच्छा होता है तो लोग अच्छे वक्ता होते हैं और चापलूसी भरे शब्दों की बौछार करने में भी उन्हें कोई पकड़ नहीं सकता है.  व्यक्ति में मीठे शब्दों को कहने की कला भी अच्छी होती है.  बुध का असर हर ओर देखने को मिलता है. संचार ही एकमात्र ऐसी चीज नहीं है जो बुध का गुण है इसके अलावा लोगों के मध्य तालमेल को आगे बढ़ाने का काम भी यह करता है. एक मजबूत बुध आत्मकारक होकर अच्छा विश्लेषण कौशल, अच्छा सामाजिक जीवन और मनोविनोद का गुण देने में सक्षम होता है. यदि किसी का वाक चातुर्य कमाल का है और पारिवारिक जीवन अच्छा है, तो इसका मतलब है कि बुध काफी मेहरबान है उन लोगों की कुंडली में.

ज्योतिष में बुध: सामान्य विशेषताए

ऋषि पराशर बुध ग्रह को एक आकर्षक व्यक्तित्व वाले देवता के रूप में वर्णित करते हैं और अपने शब्दों की पसंद से आपको प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. ज्योतिष अनुसार बुध को अच्छी चीजों का का शौक है. बुध प्राय: हरे रंग से प्रतिध्वनित होता है जिसका अर्थ है की यह रंग उसके प्रिय रंगों में शामिल होता है. यह शांति पसंद ग्रह है. बुध कभी व्यर्थ के विवाद में पड़ने को नहीं कहता है अपितु तर्क शक्ति के आधार पर जीवन को जीने की योग्यता देता है.  हरा रंग सहजता, संतुलन और सामंजस्य से संबंधित है और इसी का असर जीवन पर जब पड़ता है तो यह शुभता काम करती है. बुध में उत्तेजित मन को शांत करने की क्षमता है. तुलसी भगवान विष्णु को अर्पित की जाती है, जो बुध के प्रतीक रुप में भी स्थान पाती है. बुध संबंधी कई समस्याओं के लिए हरी तुलसी के उपयोग की सलाह दी जाती है. बुध अपना सबसे अच्छा प्रभाव तब दिखाना शुरू करता है जब व्यक्ति अपने जीवन के आरंभिक वर्ष में होता है. बुध संचार का ग्रह है. यह एक दोहरी प्रकृति वाला ग्रह है जो कन्या और मिथुन पर अधिकार रखता है. 

ज्योतिष में बुध से प्रभावित शरीर के अंग हाथ, कान, फेफड़े और तंत्रिका तंत्र होते हैं. यह लोगों के कलात्मक और स्किल्स को भी विकसित करता है. इसलिए किसी सर्जन, पेंटर, कमेंटेटर आदि के ज्योतिष में अक्सर मजबूत बुध देखा जा सकता है. सभी राशियों में अपनी यात्रा पूरी करने में इसे बारह महीने लगते हैं, और प्रत्येक राशि पर प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि बुध किस घर में किस स्थिति में बैठा है. बुध के उदार प्रभाव से व्यक्ति का परिवार और समाज में मान-सम्मान ऊंचा रहेगा. लोग उन्हें पेशे और शिक्षा के क्षेत्र में एक-दूसरे के नजरिए से देखेंगे. मजबूत बुध वाला व्यक्ति अपने रिश्तेदारों के लिए आंख का तारा होगा. बुध के शुभ प्रभाव के लिए हरा पन्ना बहुत अच्छा माना गया है. . 

वैदिक ज्योतिष में बुध का विश्लेषण 

वैदिक ज्योतिष में बुध को अक्सर बुध ग्रह कहा जाता है, किंवदंतियों में, बुद्ध को चंद्रमा और तारा के पुत्र के रूप में देखा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्रमा बृहस्पति की पत्नी तारा पर आसक्त हो जाते हैं जिससे तारा को बुध की प्राप्ति होती है. इस कारण बुध को चंद्रमा और बृहपति दोनों के साथ संबंधित माना गया है. बुद्धि और आकर्षक व्यक्तित्व का मेल भी बुध से मिलता है. बुध के विषय में एक विचार यह भी है कि 32 वर्ष की आयु में पूर्ण परिपक्वता तक पहुंचता है. ज्योतिष शास्त्र में बुध को प्राय: बुद्धि प्रमुख कहा गया है. उनकी सुंदरता और भगवान विष्णु के परप भक्त होने के कारण उन्हें भगवान विष्णु की छवि के रूप में माना जाता है. बुध ग्रह के स्वामी विष्णु हैं. बुधवार को बुध ग्रह का दिन माना जाता है और उस दिन उनकी पूजा करने से बुध के कारण आने वाली सभी बाधाएं और बाधाएं दूर हो जाती हैं.

ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को वाणी का देव कहा जाता है. यह व्यक्ति के स्वर एवं कंठ पर अपना प्रभाव डालता है. ज्योतिष में बुध को सौर मंडल का मस्तिष्क कहा जाता है. यह एक शांत और रचिनात्मकता से परिपूर्ण ग्रह है. बुध की महादशा अवधि 17 वर्ष तक रहती है. बुध वात प्रकृति का होता है और बुध के प्रभाव में आने वाले जातक अच्छे गायक, अच्छे व्यवहार वाले होते हैं. लग्न में एक मजबूत बुध बुद्धि, शिक्षा, सामाजिक और व्यावसायिक मामलों, रिश्तेदारों के साथ संबंध, हास्य आदि में वृद्धि करता है. इसके विपरित जन्म कुंडली में कमजोर बुध अन्य अशुभ ग्रहों के साथ मिलने पर परिवार और दोस्तों के बीच संबंधों में समस्या पैदा कर सकता है. धन और प्रतिष्ठा की हानि करता है . 

आत्मकारक बुध का प्रभाव 

अब जब बुध कुंडली में आत्मकारक होता है तो उसके जो भी सकारात्मक पक्ष हैं वह दो गुने रुप में हमारे सामने होते हैं. बुध का आत्मकारक होना व्यापार में व्यक्ति को सफलताओं को दिलाने में सहायक होता है. यदि बुध आत्मकारक होकर शुभ ग्रहों की दृष्टि एवं प्रभाव में होता है तो उसके कारण व्यक्ति को एक अच्छी सफलता पाने का सुख भी मिलता है. इसी प्रकार यदि आत्मकारक बुध अगर कमजोर होता है या बुध पाप ग्रहों के असर में होता है तब व्यापार में दूसरों की ओर से असहयोग अधिक मिलता है. व्यक्ति के अच्छे कार्यों को भी कोई सराहता नही हैं व्यापार में सफलता पाने के लिए लम्बा संघर्ष बना रहता है.