शनि का सभी लग्नों पर असर और इससे मिलने वाले प्रभाव

शनि का प्रभाव प्रत्येक लग्न के लिए विशेष होता है. किसी लग्न में शनि बेहद खराब हैं तो किसी के लिए बेहद उत्तम होते हैं वहीं किसी के लिए सम भाव के साथ दिखाइ देते हैं. अब शनि हम पर कैसा असर डालता है वह कई बातों के आधार से समझा जाता है जिसका एक पक्ष शनि का लग्न प्रभाव भी होता है. शनि व्यक्ति को जीवन में अनुशासित रहना और न्याय का सम्मान करना सिखाता है. शनि एक शिक्षक की भाम्ति होता है जो ऊर्जा को सही दिशा में उपयोग करने के लिए तैयार करता है. 

मेष लग्न के लिए शनि 

मेष लग्न के लिए शनि दसवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी होता है. इस लग्न के लिए दशम भाव नौकरी व्यवसाय एवं कर्म का होता है तो एकादश भाव, आय का भाव माना जाता है. इन भाव में सबसे उपयोगी माने जाने वाले शनि का प्रभाव मेष लग्न के लिए मिलाजुला रहता है. आय में अप्रत्याशित वृद्धि होने की संभावना रहती है. एक से अधिक स्रोत से आमदनी भी प्राप्त होती है. जो भी चुनौतियां झेली हैं और जितनी मेहनत की है, वह सब शनि के प्रभाव द्वारा ही होती है जिनका पूरा फल भी मिलता है. सभी इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं पूरी होती हैं यदि प्रयास सदैव बने रहते हैं. 

वृष लग्न के लिए शनि 

वृष लग्न के लिए शनि नवम और दशम भाव का स्वामी ग्रह होता है. इस कारण काफी शुभ माना जाता है. शनि इनके भाग्य स्थान का स्वामी भी होता है. कर्म भाव के प्रभाव दिखाने वाला होता है. इस लग्न के लिए शनि भाग्य और कर्म भाव दोनों का स्वामी होने के कारण अनुकूल अवसरों का प्रबल कारक भी बन जाता है. अप्रत्याशित विजय दिलाने में सहायक भी बनता है. कर्मों के स्वामी होकर यह परिणाम को प्रभावित करता है. 

मिथुन लग्न के लिए शनि 

शनि मिथुन लग्न के लिए अष्टम और नवम भाव का स्वामी ग्रह होता है. शनि का मिथुन लग्न पर अच्छा और खराब दोनों तरह का फल देखने को मिलता है. भाग्य भाव का स्वामी होकर शनि दूर की यात्रा के योग बनाता है. लंबी यात्राएं आपके जीवन में सफलता के योग ला सकती हैं. वहीं अष्टम का स्वामी होने के कारण हालाँकि ये यात्राएँ आपको थकान और बेचैनी से भी प्रभावित करने वाली भी हो सकती हैं. पिता के साथ आपके संबंध प्रभावित होते हैं, यह स्थिति पिता की सेहत के लिए भी विशेष होती है. अपनी मेहनत से अपना भविष्य बनाने का मौका देता है. इसलिए मिथुन लग्न वाले जितनी मेहनत करते हैं उतना ही अधिक फल पाते हैं. 

कर्क लग्न के लिए शनि 

कर्क लग्न के लिए शनि सप्तम और अष्टम भाव का स्वामी ग्रह होता है. कर्क राशि के लिए शनि अच्छा नहीं माना जाता है. कामकाज में सदैव चुनौतियां आती हैं. पूरे प्रयास करने पर ही सफल हो सकते हैं. काम को लेकर दबाव के साथ मानसिक तनाव भी रहता है. वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव रहता है. कर्क लग्न के लिए शनि की ढैय्या साढेसाती बेहद खराब होती है. मेहनत और चतुराई से जीवन की परेशानी से निकलने में कामयाब होते हैं. अचानक धन लाभ होने के योग भी बनते हैं. स्वास्थ्य को लेकर भी अधिक ध्यान रखना होता है. 

सिंह लग्न के लिए शनि 

सिंह लग्न के लिए शनि छठे और सातवें भाव का स्वामी ग्रह होता है. सिंह के लिए भी शनि खराब ग्रह ही होता है. वैवाहिक जीवन को लेकर काफी अव्यवस्थित महसूस करवाता है. स्वभाव या तानाशाही रवैया जीवन में परेशानी का सबब बनता है. प्रेम संबंधों का सुख भी साधारण ही मिलता है. कार्यक्षेत्र में व्यापार में सफलता मिलने के योग संघर्ष के पश्चात ही मिलते हैं. कार्यकुशलता  सफलता दिलाने में सहायक बनती है. शत्रुओं एवं रोग का प्रभाव पड़ता है. 

कन्या लग्न के लिए शनि

शनि कन्या लग्न के लिए पंचम भाव और षष्ठ भाव का स्वामी ग्रह होता है. शनि इन पर मिलाजुला असर डालता है. विरोधियों को देता है और उनसे लड़ने की क्षमता भी देता है. अपने शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम बनाता है. आर्थिक क्षेत्र में कर्ज इत्यादि से प्रभावित कर सकता है. संतान सुख को लेकर अधिक चिंता दे सकता है. अपने जीवन में कर्म एवं परिश्रम को करने से ही शनि बेहतर परिणाम देता है.

तुला लग्न के लिए शनि 

शनि तुला लग्न के लिए चतुर्थ और पंचम भाव का स्वामी ग्रह होता है. तुला लग्न के लिए शनि बेहद शुभ ग्रह माना गया है. अच्छे भावों का स्वामी होकर जीवन में सुख समृद्धि को प्रदान करने वाला ग्रह होता है. पंचम भाव का स्वामी होकर शनि प्रेम संबंधों के लिए परीक्षा का समय देता है और अगर अपने रिश्ते में ईमानदार और वफादार होते हैं तो रिश्ता बहुत खूबसूरत बनाता है. शिक्षा के क्षेत्र में उच्च शिक्षा अर्जित करने का अवसर भी देता है. भौतिक सुख साधनों को प्रदान करता है. 

वृश्चिक लग्न के लिए शनि 

वृश्चिक लग्न के लिए शनि तीसरे और चौथे भाव का स्वामी होता है. चतुर्थ भाव का स्वामी होकर शनि का प्रभाव परिवार से दूर ले जाने का काम करता है. व्यक्ति को अपना जन्म स्थान बदलना होता है. घर परिवार से दूर जा कर ही सफलता मिलने के अधिक अवसर होते हैं. 

धनु लग्न के लिए शनि 

धनु लग्न के लिए शनि दूसरे और तीसरे भाव का स्वामी ग्रह होता है. धनु लग्न पर इसका प्रभाव परिश्रम और अत्यधिक प्रयासों के लिए होता है. साढ़ेसाती का असर अधिक पड़ता है. व्यक्ति अपने काम को करने में धीमा होता है, लेकिन जो भी काम करना चाहता है उसे पूरी शिद्दत से करता है. सफलता पाने में सामाजिक रुप से सफल रहता है. व्यक्ति के दोस्त हों, पड़ोसी, रिश्तेदार या भाई-बहन, सभी काम में सहयोग देने वाले होते हैं. 

मकर लग्न के लिए शनि 

मकर लग्न के लिए शनि  लग्न और दूसरे भाव का स्वामी ग्रह होता है. शनि का प्रभाव मिश्रित परिणाम लेकर आता है. परिवार में तनाव का माहौल मिलता है. बड़ा परिवार प्राप्त होता है. अपनों के साथ कुछ मनमुटाव महसूस करता है. व्यक्ति का बैंक बैलेंस स्थिर होता है. धन संचय करने में सफल रहता है. प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त से भी अच्छा मुनाफा पाता है. परिवार की जरूरतों को पूरा करने में खुद को सीमित रखता है. 

कुंभ लग्न के लिए शनि 

कुम्भ लग्न के लिए शनि बारहवें ओर लग्न भाव का स्वामी होता है. शनि के प्रभाव के कारण व्यक्ति को अपने कार्यों को सही दिशा में करना होता है. अपने कार्यक्षेत्र में मेहनत अधिक रहती है ओर सफलता सामान्य होती है. जितनी अधिक मेहनत करता है व्यक्ति उतने ही अच्छे परिणाम पाने में सक्षम होता है. जीवन में नवीनताओं से जुड़ाव पाता है और उन्मुक्त होकर जीने की चाह रखता है. 

मीन लग्न के लिए शनि 

मीन लग्न के लिए शनि एकादश भाव और बारहवें भाव का स्वामी ग्रह होता है. इनके लिए शनि मिलेजुले प्रभाव देने वाला ग्रह होता है. जीवन में स्वास्थ्य पर बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है. शनि का प्रभाव पैरों में दर्द, टखनों में दर्द या पैर में किसी तरह की चोट या मोच दे सकता है. नेत्र संबंधी विकार भी कुछ अपना असर डाल सकते हैं. यात्राओं को प्रदान करता है और इच्छाओं को पूरा करने की क्षमता भी देता है.