4th भाव- सुख भाव क्या है. | Sukh Bhava Meaning | Fourth House in Horoscope | 4th House in Indian Astrology

कुण्डली के लग्न भाव से क्रम से गिनने चतुर्थ स्थान में आने वाला भाव चतुर्थ भाव कहलाता है. चतुर्थ भाव माता, घरेलू खुशियां, भू-सम्पति, पैतृ्क भूमि, स्थिर-सम्पति, वाहन, नैतिक सदगुण, ईंमानदारी, निष्ठा, मित्र, शिक्षा, मानसिक शान्ति, सुख-सुविधा, संचय, पशु, अनाज, व्यापार, मौसम, घर, बुद्धिमत्ता, बचत, पशु, अनाज, व्यापार, घर, कार, तम्बू, पवेलियन, झूठे आरोप, खेत, खेती, पशुशाला, फसल, खान, गुप्त सम्बन्ध, रहस्य, गुप्त जीवन, सतीत्व, लोकप्रियता, सगे-संबन्धी, प्रसिद्धि. 

चतुर्थ भाव के कारक ग्रह कौन से है. ।  What are the Karaka Planets of 4th Bhava 

चतुर्थ भाव का कारक ग्रह चन्द्र व शुक्र है. चतुर्थ भाव में चन्दमा माता, भावनाओं का कारक ग्रह है.  बुध इस भाव में शिक्षा, ज्ञान का कारक है. शनि इस भाव में भू-सम्पति, मंगल निर्मित भू-सम्पति, शुक्र वाहनों का कारक होता है. 

चतुर्थ भाव स्थूल रुप क्या प्रकट करता है. |  What does the House of Sukh Explain   

चतुर्थ भाव स्थूल रुप में सगे-सम्बन्धियों को प्रकट करता है. 

चतुर्थ भाव सूक्ष्म रुप में क्या प्रकट करता है. | What does the House of Sukh accurately explains.

चतुर्थ भाव सूक्ष्म रुप मे खुशियां प्रकट करता है. 

चतुर्थ भाव से कौन से संबन्ध देखे जा सकते है. | 4th House represents which  relationships. 

चतुर्थ भाव माता, मामा, भान्जा, सगे-सम्बन्धी आदि का विश्लेषण करने के लिए प्रयोग किया जाता है. 

चतुर्थ भाव से शरीर के कौन से अंगों का विश्लेषण किया जा सकता है. | 4th House is the Karak House of which body parts.  

चतुर्थ भाव से छाती, ह्रदय, फेफडे, रक्त वाहिनियां, डायफ्रम, पेट से ऊपर का भाग, द्रेष्कोणों के अनुसार-दायीं नासिका, शरीर का दायां भाग, दायीं जांघ. 

चतुर्थ भाव अन्य भावेशों के साथ कौन से परिवर्तन योग बनाता है. | 4th Lord Privartan Yoga Results  

चतुर्थ और पंचमेश का परिवर्तन योग बनने पर व्यक्ति बुद्धिमान होता है. वह शिक्षित होता है. उसकी संतान उत्तम स्तर से स्थापित होती है. तथा उसे संतान से खुशियां प्राप्त होती है. 

चतुर्थेश और षष्ठेश का परिवर्तन योग बनने पर व्यक्ति को स्वास्थय सम्बन्धी समस्याएं आती है. उसे जीवन में दुर्घटनाओं का सामना करना पडता है. इसके अतिरिक्त इस योग के प्रभाव से व्यक्ति की माता का स्वास्थय भी प्रभावित होता है. 

चतुर्थेश और सप्तमेश का परिवर्तन योग जीवनसाथी के द्वारा सुख और खुशियां देता है. इस योग से युक्त व्यक्ति पूर्ण घरेलू सुख से युक्त होता है. साथ ही यह योग व्यक्ति को वाहन सुख देने की क्षमता देता है.  

चतुर्थेश और अष्टमेश का परिवर्तन योग बनने पर व्यक्ति को अच्छा पारिवारिक जीवन प्राप्त होता है. इस योग के व्यक्ति के माता-पिता आपस में अत्यधिक स्नेह रखते है. व्यक्ति को मातृसुख के अवसर कम प्राप्त होते है.  

चतुर्थेश और नवमेश का परिवर्तन योग व्यकि को वाहन सुख देता है. व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश जाता है. उसे श्रेष्ठ सुख व वैवाहिक सुख भी प्राप्त होता है. व्यक्ति के माता-पिता का आपस में अत्यधिक स्नेह होता है.  

चतुर्थेश और दशमेश दोनों में परिवर्तन योग बन रहा हों, तब व्यक्ति के पास प्रचुर मात्रा में भू-सम्पति होती है. और ऎसा व्यक्ति कई वाहन प्राप्त करने में सफल होता है. इसके अतिरिक्त यह योग सम्पतियां स्वयं क्रय करने में भी सफल होता है. वाहनों और यात्राओं से सम्बन्धी व्यक्ति कार्य कर आय प्राप्त करता है.  

चतुर्थेश और एकादशेश दोनों भावों के स्वामियों में परिवर्तन योग बन रहा हो, तो व्यक्ति को वाहन सुख, माता से लाभ, सम्पति प्राप्ति, वाहनों और यात्राओं से प्रचुर मात्रा में आय. 

चतुर्थेश और द्वादशेश दोनो का परिवर्तन होने पर अशुभ योग बनता है. दुर्घटनाओं के प्रति संवेदनशील, माता की आयु और स्वास्थय को दुष्प्रभावित करता है, सम्पतियों की हानि होती है.