रविवार व्रत आरती | Sunday Fast - Ravivar Vrat (Sunday Vrat Aarti) | Sunday Fast Story - Sunday Fast in Hindi

शास्त्रों के अनुसार जिन व्यक्तियों की कुण्डली में सूर्य पीडित अवस्था में हो, उन व्यक्तियों के लिये रविवार का व्रत करना विशेष रुप से लाभकारी रहता है. इसके अतिरिक्त रविवार का व्रत आत्मविश्वास मे वृ्द्धि करने के लिये भी किया जाता है. इस व्रत के स्वामी सूर्य देव है (Sun is the lord of Sunday fast). नवग्रहों में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिये रविवार का व्रत किया जाता है. यह व्रत अच्छा स्वास्थय व तेजस्विता देता है.  

शास्त्रों में ग्रहों की शान्ति करने के लिये व्रत के अतिरिक्त पूजन, दान- स्नान व मंत्र जाप आदि कार्य किये जाते है. इनमें से व्रत उपाय को सबसे अधिक महत्व दिया गया है. पुरे नौ ग्रहों के लिये अलग- अलग वारों का निर्धारण किया गया है. रविवार का व्रत समस्त कामनाओं की सिद्धि, नेत्र रोगों में मी, कुष्ठादि व चर्म रोगों में कमी, आयु व सौभाग्य वृ्द्धि के लिये किया जाता है.  

रविवार व्रत महत्व | Importance of Sunday Fast

यह व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से प्रारम्भ करके कम से कम एक वर्ष और अधिक से अधिक बारह वर्ष के लिये किया जा सकता है (This fast may be started from first Sunday of Shukla Paksha of any month and should be observed for at least one year and maximum upto 12 years). रविवार क्योकि सूर्य देवता की पूजा का दिन है. इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से सुख -समृ्द्धि, धन- संपति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिये इस व्रत का महत्व कहा गया है.

रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से व्यक्ति कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. इस उपवास करने वाले व्यक्ति को मान-सम्मान, धन, यश और साथ ही उतम स्वास्थय भी प्राप होता है. रविवार के व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है. तथा स्त्रियों के द्वारा इस व्रत को करने से उनका बांझपन भी दूर करता है. इसके अतिरित्क यह व्रत उपवासक को मोक्ष देने वाला होता है.   

रविवार व्रत विधि-विधान | Procedure of Sunday Vrata

रविवार के व्रत को करने वाले व्यक्ति को प्रात: काल में उठकर नित्यकर्म क्रियाओं से निवृ्त होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. घर में किसी एकान्त स्थान में ईशान कोण में भगवान सूर्य देव की स्वर्ण निर्मित मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए. इसके बाद गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि से भगवान सूर्य देव का पूजन करना चाहिए. 

पूजन से पहले व्रत का संकल्प लिया जाता है. दोपहर के समय फिर से भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर पूजा करे, और कथा करें. और व्रत के दिन केवल गेहूं कि रोटी अथवा गुड से बना दलिया, घी, शक्कर के साथ भोजन करें. भगवान सूर्य को लाल फूल बेहद प्रिय है. इसलिये इस दिन भगवान सूर्य की पूजा काल रंग के फूलों से करना और भी शुभ होता है.   

रविवार व्रत कथा | Sunday Vrat Katha 

कथा के अनुसार एक बुढिया थी, उसके जीवन का नियम था कि व प्रत्येक रविवार के दिन प्रात: स्नान कर, घर को गोबर से लीप कर शुद्ध करती थी. इसके बाद वह भोजन तैयार करती थी, भगवान को भोग लगा कर स्वयं भोजन ग्रहण करती थी. यह क्रिया वह लम्बें समय से करती चली आ रही थी. ऎसा करने से उसका घर सभी धन – धान्य से परिपूर्ण था. 

वह बुढिया अपने घर को शुद्ध करने के लिये, पडौस में रहने वाली एक अन्य बुढिया की गाय का गोबर लाया करती थी. जिस घर से वह बुढिया गोबर लाती थी, वह विचार करने लगी कि यह मेरे गाय का ही गोबर क्यों लेकर आती है. इसलिये वह अपनी गाय को घर के भीतर बांधले लगी. बुढिया गोबर न मिलने से रविवार के दिन अपने घर को गोबर से लीप कर शुद्ध न कर सकी. इसके कारण न तो उसने भोजन ही बनाया, और न ही भोग ही लगाया. इस प्रकार उसका उस दिन निराहार व्रत हो गया. रात्रि होने पर वह भूखी ही सो गई. 

रात्रि में भगवान सूर्य देव ने उसे स्वप्न में आकर इसका कारण पूछा. वृ्द्धा ने जो कारण था, वह बता दिया. तब भगवान ने कहा कि, माता तुम्हें सर्वकामना पूरक गाय देते है, भगवान ने उसे वरदान में गाय दी, धन, और पुत्र दिया. और मोक्ष का वरदान देकर वे अन्तर्धान हो गयें. 

प्रात: बुढिया की आंख खुलने पर उसने आंगन में अति सुंदर गाय और बछडा पाया. वृ्द्धा अति प्रसन्न हो गई. जब उसकी पड़ोसन ने घर के बाहर गाय बछडे़ को बंधे देखा, तो द्वेष से जल उठी. साथ ही देखा, कि गाय ने सोने का गोबर किया है. उसने वह गोबर अपनी गाय्त के गोबर से बदल दिया. रोज ही ऐसा करने से बुढ़िया को इसकी खबर भी ना लगी. 

भगवान ने देखा, कि चालाक पड़ोसन बुढ़िया को ठग रही है, तो उन्होंने जोर की आंधी चला दी. इससे बुढ़िया ने गाय को घर के अंदर बांध लिया. सुबह होने पर उसने गाय के सोने के गोबर को देखा, तो उसके आश्चर्य की सीमा ना रही. अब वह गाय को भीतर ही बांधने लगी. उधर पड़ोसन ने ईर्ष्या से राजा को शिकायत कर दी, कि बुढ़िया के पास राजाओं के योग्य गाय है, जो सोना देती है. 

राजा ने यह सुन अपने दूतों से गाय मंगवा ली. बुढ़िया ने वियोग में, अखंड व्रत रखे रखा. उधर राजा का सारा महल गाय के गोबर से भर गया. राजा ने रात को उसे स्पने में गाय लौटाने को कहा. प्रातः होते ही राजा ने ऐसा ही किया. साथ ही पड़ोसन को उचित दण्ड दिया. राजा ने सभी नगर वासियों को व्रत रखने का निर्देश दिया. तब से सभी नगरवासी यह व्रत रखने लगे. (kbeautypharm.com) और वे खुशियों को प्राप्त हुए.

रविवार के व्रत के विषय में यह कहा जाता है कि इस व्रत को सूर्य अस्त के समय ही समाप्त किया जाता है. अगर किसी कारणवश सूर्य अस्त हो जाये, और व्रत करने वाला भोजन न कर पाये तो अगले दिन सूर्योदय तक उसे निराहार नहीं रहना चाहिए. अगले दिन भी स्नानादि से निवृ्त होकर, सूर्य भगवान को जल देकर, उनका स्मरण करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए.  

सूर्यास्त में सूर्य देव की पूजा करने के बाद निम्न आरती का श्रवण व गायन करना चाहिए.

आरती | Aarti

कहुँ लगि आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकी जोत विराजे। ।।टेक।।
सात समुद्र जाके चरणनि बसे, कहा भये जल कुम्भ भरे हो राम।
कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा भयो मंदिर दीप धरे हो राम।
भार अठारह रामा बलि जाके, कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम।
छप्पन भोग जाके नितप्रति लागे, कहा गयो नैवेद्य धरे हो राम।
अमित कोटि जाके बाजा बाजे, कहा भयो झनकार करे हो राम।
चार वेद जाको मुख की शोभा, कहा भयो ब्रह्म वेद पढ़े हो राम।
शिव सनकादि आदि ब्रह्मादिक, नारद मुनि जाको ध्यान धरे हो राम।
हिम मंदार जाके पवन झकोरें, कहा भयो शिर चँवर ढुरे हो राम।
लख चौरासी बंध छुड़ाए, केवल हरियश नामदेव गाए हो राम।