पंचमी तिथि | Panchami Tithi

हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार एक तिथि का निर्माण सूर्य के अपने अंश से 12 अंश आगे जाने पर होता है. इस तिथि के देव नाग देवता है. इस तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्ति को नाग देवता का पूजन करना चाहिए. नागों की रक्षा करना और नागों की पूजा करना भी उतम रहता है. यह तिथि पूर्णा तिथियों की श्रेणी में आती है. पूर्णा तिथि को कार्य पूर्ण करने वाली तिथि कहा गया है.

पंचमी तिथि वार योग

तिथि और वार के योग से बनने वाले योगों की श्रेणी में पंचमी तिथि जब शनिवार के दिन होती है. तो वह मृत्युदा योग बनाती है. यह योग अशुभ योगों में से एक है. गुरुवार के दिन पंचमी तिथि हो तो सिद्धिदा योग बनता है. सिद्धिदा योग में किए गए कार्य सिद्ध होते है. पंचमी तिथि के दिन दोनों ही पक्षों में भगवान शिव का पूजन और चिन्तन करना शुभ होता है.

पंचमी तिथि में किए जाने वाले काम

पंचमी तिथि में शुभ कार्यों को किया जा सकता है. इस तिथि में सभी कार्य किए जा सकते हैं केवल किसी उधार देना इस तिथि में सही नहीं माना गया है.

पंचमी तिथि व्यक्ति स्वभाव

पंचमी तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति व्यवहार विषयों में कुशल होता है. वह ज्ञानी होता है. तथा उसके गुणों की प्रशंसा सर्वत्र होती है. ऎसा व्यक्ति माता-पिता का भक्त होता है. दान-धर्म कार्यों में भाग लेने वाला होता है. व्यक्ति के प्रेम प्रसंग अल्पकालीन होते हैं. जातक न्याय के मार्ग पर चलने वाला होता है.

इस तिथि में जन्मा जातक, अपने कार्यों के प्रति बहुत सजग होता है. कुछ आलसी हो सकता है लेकिन चीजों के प्रति ध्यान लगाने में निपुण भी होता है. आसानी से चकमा नहीं खाता है. परिवार के साथ रहना पसंद करता है. जातक कुछ बातों में गहन विचारशील होता है. जातक उच्च शिक्षा को पाता है. विदेश में निवास करता है. धार्मिक एवं आध्यात्मिक रुप से कुछ मजबूत होता है. जातक अपनी व्यवहारकुशलता से जीवन को जीता है और लोगों के मध्य प्रसिद्ध भी होता है.

पंचमी तिथि के समय भगवान शिव का पूजन शुभ माना गया है. मान्यता है की इस तिथि समय भगवान शिव कैलाश में निवास करते हैं. इस कारण से भी इस दिन शिव पूजन अत्यंत प्रभावशाली माना गया है. इस तिथि में जन्मे जातक को अपने जीवन में उत्पन्न संकटों से मुक्ति के लिए भगवान शिव का पूजन करना चाहिए. इसके साथ ही जातक को नाग देव की पूजा भी करनी चाहिए. मंदिर में दूध का दान करना चाहिए एवं शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करना चाहिए.

पंचमी तिथि व्रत व त्यौहार

विभिन्न मासों में पंचमी तिथि के समय पर कई प्रकार के पर्व एवं उत्सव भी मनाए जाते हैं. इस तिथि को भी विधान से उत्सव मनाने की परंपरा रही है.

ऋषि पंचमी -

ऋषि पंचमी का पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. इस दिन ऋषियों व साधु-संतों को नमन करना चाहिए एवं अपने प्राचीन ऋषि मुनियों का पूजन कर भागवत कथा श्रवण करनी चाहिए. इस दिन सतसंग एवं गुरु जनों की वाणी सुनने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है. सप्तऋषियों की पूजा अर्चना द्वारा साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

रंग पंचमी -

फाल्गुन माह में होली के बाद आने वाली पंचमी तिथि को रंग पंचमी के रुप में मनाने की परंपरा रही है. इस समय पर्व विशेष पकवान बनाए जाते हैं. साथ ही इस समय के दौरान में रंगों से खेला जाता है.

नाग पंचमी -

मुख्य रुप से ये त्यौहार नाग देवता की पूजा का विधान होता है. इस तिथि को काल सर्प शांति के लिए उपयुक्त माना गया है. इस तिथि के समय के लिए.