विशाखा नक्षत्र फल

विशाखा नक्षत्र

विशखा नक्षत्र जो नक्षत्र मंडल में सौलहवां स्थान प्राप्त करता है. इस नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति को माना जाता है. विशाखा नक्षत्र तुला राशि में 20 अंश से लेकर वृश्चिक राशि में 3 अंश 20 कला तक रहता है. इस नक्षत्र को त्रिपाद नक्षत्र भी कहा जाता है, क्योंकि इसके तीनों चरण तुला राशि में होते ही होते हैं और अंतिम चरण वृश्चिक राशि में पड़ता है. यह सुनहरे रंग का ग्रह है जो दिखने में मन को मोहित करने वाला होता है.

इस नक्षत्र में चार प्रमुख तारे होते हैं यह तारे दरवाजे या चौखट पर टांगे जाने वाले बन्दनवार अर्थात तोरण की तरह प्रतीत होते हैं. इसलिए इन्हें बर्हिर्द्वार के समान भी कहा जाता है. विशाखा नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता इन्द्राग्नि हैं. इन्द्र और अग्नि को इनका देवता माना जाता है.

विशाखा नक्षत्र - शारीरिक गठन और व्यक्तित्व विशेषताएँ

जातक ज्योतिष विद्या में निपुण होते है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति चित्रकला के अच्छे जानकार हो सकते है. व्यक्ति सदाचारी दूसरों का आदर करने वाले तथा न्यायप्रिय होते हैं. जातक में धर्म के प्रति विशेष रूचि देखी जा सकती है तथा धार्मिक रीति को मानने वाला होता है. विशाखा नक्षत्र के व्यक्ति मधुर वाचक तथा अपनी मीठी वाणी से सभी का मन मोह लेते हैं. यह लोग कटुता पूर्वक नहीं बोलते हैं. बृहस्पति के प्रभाव से इन लोगों में ज्ञान प्राप्ति के लिए उत्सुकता बनी रहती है तथा शिक्षा की दृष्टि से स्थिति अच्छी रहती है जिससे उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करते हैं.

विशाखा नक्षत्र के व्यक्ति बहुत ही महत्वाकांक्षी होते हैं. समाज के नीति नियमों का ये अधिक पालन करने में विश्वास नहीं करते है. जातक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए मेहनत भी करता है जिसके फलस्वरूप इन्हें सफलता मिलती है. जातक धनवान और शक्तिशाली होता है. भाषण देने में कुशल होते हैं और सदैव दूसरों को हितकारी सलाह देते हैं.

विशाखा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावित करने वाला होता है, इनसे लोग जल्द ही आकर्षित हो जाते हैं. जातक विशाल हृदय वाला और दयावान होता है. जातक में नैतिकता, संस्कार और अच्छे गुणों का संगम होता है. इन सब के मिलाप की वज़ह से ही जातक आर्थिक रूप रूप से भाग्यशाली बन पाता है. जातक धन संग्रह करने मे विश्वास रखता है जिसके चलते अपनी इस आदत की वजह से भी इन्हें जीवन में कभी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता. यदि कभी धन की कमी होती भी है तो वह अस्थायी ही होती है.

विशाखा नक्षत्र में जन्मा जातक बातचीत से दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है. प्रतियोगियों का सामना ये बुद्धिमानी के साथ करता है. जातक में दिखावे की भावना बहुत अधिक होती है. इनके स्वभाव में अभिमान का भाव हो सकता है. जातक अपनी विद्या से धन अर्जित करने में सफल होता है. इनके स्वभाव में लोभ की भावना पाई जाती है. विशाखा नक्षत्र गुरु का नक्षत्र है. इसलिए इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति सौम्य स्वभाव के होते है. परन्तु इनके विपरीत कोई भी बात होने पर ये क्रोध भी शीघ्र करते है. अपने स्वभाव के अनुसार ये सदैव एक-दूसरे से लडने को तत्पर रहते है. सामान्यत: ये अपने आप में मग्न रहते है. और बहुत कम मित्र बनाते है. दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना उन्हें बखूबी आता है.

पारिवारिक जीवन

विशाखा नक्षत्र में जन्मा जातक शुरुआती दौर से ही अपने काम को लेकर सचेत होता है. माता-पिता की ओर से अधिक सहयोग न मिल पाए. व्यक्ति पारिवारिक एवं समाजिक तौर पर मिलनसार, मितभाषी और मददगार होते हैं. यह संयुक्त परिवार मे रहना पसंद करते हैं तथा अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारी का निर्वाह करने वाले होते हैं तथा परिवार के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव रखने वाले होते हैं. जीवन साथी के प्रति इन्हें प्रेम रहेगा और बच्चों को भी यह बहुत प्यार करने वाले होते हैं. सामाजिक दृष्टि से दूसरों की सेवा मे तत्पर रहने वाले बहुत ही मिलनसार व्यक्ति होते हैं. तथा सभी से प्रेम और आदर से मिलते हैं इनका सामाजिक दायरा विस्तृत होता है अगर किसी को इनकी जरूरत होती है तो मदद करने में ये पीछे नहीं रहते हैं. धार्मिक रुप से मजबूत होते हैं.

स्वास्थ्य

यह सोलहवाँ नक्षत्र है और इसका स्वामी बृहस्पति हैं. भुजा और वक्ष को इस नक्षत्र का अंग माना जाता है. इस नक्षत्र में इसके अतिरिक्त पेट का निचला हिस्सा, गॉल ब्लैडर के आसपास के अंग, गुर्दा, पेनक्रियाज संबंधित ग्रंथि आती है, ब्लैडर, मूत्रमार्ग, गुदा, गुप्तांग तथा प्रौस्टेट ग्रंथि आती है. यह नक्षत्र कफ प्रधान माना जाता है अत: जातक को उक्त संबंधित रोग भी प्रभावित कर सकते हैं.

विशाखा नक्षत्र जातक का व्यवसाय

विशाखा नक्षत्र में जन्में जातक अपनी योग्यता के आधार पर अच्छे प्रशासनिक पदों को प्राप्त करते हैं. वह नौकरी के लिए पूर्ण रुप से प्रयासशील रहते हैं. जातक को व्यवसाय से अधिक नौकरी करना भाता है. व्यवसाय बदलना इनकी प्रकृति मे शामिल होता है. गुरु का नक्षत्र होने के कारण व्यक्ति गुणवान और योग्यवान होता है. वह धर्म-कर्म को मानने में विश्वास करता है. उसमें उच्च से उच्च पद पाने की महत्वकांक्षाएं भी होती है. प्रशासनिक कार्यो में वह निपुण होता है. न्याय और प्रबंध करना उसे कुशलता के साथ आता है.

अपनी बातों पर वह अडिग रहता है. सरकारी पद प्राप्ति के लिए ललायित होते हैं तथा किसी न किसी रूप में सरकार से भी सम्बन्ध बनाये रखने की कोशिश भी करते हैं. मदिरा उद्योग, फैशन के क्षेत्र में काम, रंगमंच के काम, श्रमिक उधोग, रेडियो व दूर दर्शन कलाकार, फैशन मॉडल उधोग, सक्रिय अधिकारी वर्ग में कार्यरत होते हैं. इसके अतिरिक्त यह न्यायप्रिय लेकिन कट्टर भी होते हैं तथा धार्मिक कट्टरपंथी वर्ग, आंदोलन करने वाले या प्रदर्शन कार्य करने वाले, सैनिक वर्ग, आलोचक, पुलिस अधिकारी, सुरक्षा गार्ड, विवादों का निपटारा करने वाले होते हैं.कुछ मामलों में यह अवैध कार्यों में भी जुड़ सकते हैं.

विशाखा नक्षत्र का प्रथम चरण

लग्न या चंद्रमा, विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो तो ऐसा जातक चमकदार गौर वर्ण का होता है. बुद्धिमान होता है. सामान्य कद का या छोटा कद भी हो सकता है. माथा कम चौड़ा होता है. जातक में लोभ अधिक हो सकता है. जातक एक अच्छा ज्योतिषी और संगीतज्ञ हो सकता है.

विशाखा नक्षत्र का दूसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो तो जातक भोगवान होता है. स्त्रियों से लाभ पाने वाला हो सकता है. भारी कंधे और भरे हुए गालों से युक्त होता है. मजबूत शरीर का कम पर सटीक बात बोलने वाला हो सकता है. माथा कम चौडा होता है लम्बी काली भौंहें होती हैं. शांत मन का और सुंदर देह से युक्त होता है.

विशाखा नक्षत्र का तीसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो तो जातक मध्यम शरीर वाला, सुंदर नेत्र और गोरे रंग का होता है. चतुर और कलाओं में रत रहने वाला, उदार एवं हास परिहास में कुशल होता है. चालाकी द्वारा काम करने वाला होता है. शरीर का कोई अंग प्रभावित हो सकता है.

विशाखा नक्षत्र का चौथा चरण

लग्न या चंद्रमा, विशाखा नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो जातक संघर्ष करने वाला, सौदा पटाने में निपुण होता है. विद्वान होता है. उभरी नाक और उभरे हुए होंठ होते हैं. माथा सुंदर होता है. मजबूत देह का स्वामी होता है. गौर वर्ण का एवं पेट में उभार होता है.

विशाखा नक्षत्र के नामाक्षर

विशाखा नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 20:00 से 23:20 तक होता है. इसका अक्षर “ती” होता है.

विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 23:20 से 26:40 तक होता है. इसका अक्षर “तू” होता है.

विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 26:40 से 30:00 तक होता है. इसका अक्षर “ते” होता है.

विशाखा नक्षत्र के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 00:00 से 03:20 तक होता है. इसका अक्षर “तो” होता है.

विशाखा नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ इन्द्रान्गी आगत गवं सुतं गार्भिर्नमो वरेण्यम ।

अस्य पात घियोषिता । ॐ इन्द्रान्गीभ्यां नम: ।

उपाय

विशाखा नक्षत्र के जातक के लिए भगवान शिव और भगवान विष्णु की आराधना करना शुभदायक होता है. इसके साथ ही “ॐ यम" अथवा "ॐ राम" मंत्र का एक माला जाप करना चाहिए. विशाखा नक्षत्र में चंद्रमा का गोचर होने पर भगवान शिव का भजन कीर्तन, नाम स्मरण करने से कार्यों में सफलता एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है. जातक को लाल, नीला और सुनहरे पीले रंग शुभदायक होते हैं.

विशाखा नक्षत्र अन्य तथ्य

नक्षत्र - विशाखा

राशि - तुला-3,वृश्चिक-1

वश्य - नर-3, कीट-1

योनी - व्याघ्र

महावैर - गौ

राशि स्वामी - शुक्र-3, मंगल-1

गण - राक्षस

नाडी़ - अन्त्य

तत्व - वायु-3, जल-1

स्वभाव(संज्ञा) - मिश्र

नक्षत्र देवता - इन्द्राग्नि

पंचशला वेध - कृतिका


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