पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र फल

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र

पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र जो नक्षत्र मंडल में पच्चीसवां स्थान प्राप्त करता है. इस नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति को माना जाता है. आकाश में कुंभ राशि में 20 अंश से मीन राशि में 3 अंश 20 कला तक पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र रहता है. यह नक्षत्र दो तारों वाला होता है, मण्डल जुड़वां बच्चों की भांति दिखाई पड़ता है. इस कारण इसे यमल सदृश भी कहा जाता है. पूर्वा भाद्रपद को शय्या के आगे वाले दो पाए स्वीकार्य है. इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता अज एकपाद हैं.

पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र - शारीरिक गठन और व्यक्तित्व विशेषताएँ

जातक की कद-काठी सामान्य होती है, नसों में उभार हो सकता है. मध्यम आकार का शरीर और चौडा़ गला और होठ कुछ लालिमा लिए हो सकते हैं. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस नक्षत्र में जिनका जन्म होता है वे सत्य को समझने वाला और उसके अनुरूप व्यवहार करने वाला होता है. वैसे तो जातक शांत स्वभाव का होता है लेकिन क्रोध भी प्रचंड होता है. अतिसिद्धांतवादी होने के कारण मानसिक रुप से उत्पीड़न का शिकार भी हो सकता है.

जातक अच्छे आचरण करने वाले एवं सत्य बोलने वाले होते हैं, ईमानदार होते हैं, अत: छल कपट और बेईमानी से दूर रहते हैं. गुरू के प्रभाव स्वरुप यह गुण देखे जा सकते हैं. जातक में आशावादी भाव भी होता है. किसी भी स्थिति में उम्मीद का दामन नहीं छोड़ता है. जातक परोपकार के काम भी करता है तथा धर्म कर्म से जुड़े विषयों में रुचि रखता है. इस नक्षत्र में पैदा होने वाला जातक शुद्ध साफ मन का अच्छे आचरण वाला होता है. जातक दूसरों का अहित करने की चेष्टा नहीं करता. इनके व्यक्तित्व की इस विशेषता के कारण इन पर विश्वास किया जा सकता है. शिक्षा एवं बुद्धि की दृष्टि से देखा जाए तो इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति बुद्धिमान होते हैं.

जातक दूसरों की सहायता करने हेतु सदैव तत्पर रहता है, संकट में पड़े व्यक्तियों की मदद करने से ये पीछे नहीं हटता है. व्यवहार कुशल एवं मिलनसार होता. सभी के साथ प्रेम एवं हृदय से मेल जोल रखने का प्रयास करता है. छोटी से छोटी बात भी इनके मन में घर कर सकती है. अच्छे खाने के शौकीन होते हैं. धन संचय से ज्यादा सम्मान और इज़्ज़त कमाने की इच्छा रखते हैं. कुछ के अनुसार इस नक्षत्र में जन्मा जातक, क्रूर हिंसक, दैत्य जैसा होता है. कपट और ढोंग उसके स्वभाव में होता है. इसका कारण यह हो सकता है की विद्वानों ने इसे क्रूर व उग्र नक्षत्र में स्थान दिया है.

पारिवारिक जीवन

इस नक्षत्र में उत्पन्न जातक को माता का प्रेम और पूर्ण देखभाल प्राप्त होती है. लेकिन यह स्थिति अधिक समय के लिए नहीं होती जातक माता से दूर हो से दूर हो सकता है. कई के अनुसार यह अलगाव किसी भी कारण स्वरूप हो सकता है. जातक को पिता से सम्मान और प्रतिष्ठा भी प्राप्त हो सकती है. पिता का समाज में बेहतर स्थान होता है. पर कुछ मामलों में जातक के पिता के साथ वाद विवाद भी रह सकते हैं.

स्वास्थ्य

यह भचक्र का पच्चीसवाँ नक्षत्र है और बृहस्पति इसका स्वामी है. विद्वानों अनुसार इसे शरीर का बायां अंग माना जाता है. आंतें, पेट, जंघा, टांग का बायीं ओर वाला भाग इस नक्षत्र का अंग माना जाता है. इस नक्षत्र के पहले, दूसरे व तीसरे चरण में टखने आते हैं. चतुर्थ चरण में पंजे व पांव की अंगुलियाँ आती है. जब भी यह नक्षत्र पीड़ित होगा तब इन अंगों से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. इस नक्षत्र को वायु प्रधान माना जाता है अत: इसे वात पीड़ा देने वाला भी माना जाता है.

पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र जातक का व्यवसाय

पूर्वा भाद्रपद में जन्मा जातक अध्यात्म और ज्योतिषशास्त्र के कार्यों में अच्छे लाभ पाने वाला होता है. गुरु का नक्षत्र व गुरु की राशि मीन में होने से जातक खगोल शास्त्र एवं ज्योतिष में पारंगत होता है. धार्मिक कार्यकर्ता हो सकता है. बुद्धिमान और कवि हो सकता है. जातक शिक्षा अध्यापन का कार्य करके अपनी आजीविका चला सकता है. जातक की रूचि साहित्य में रहती है. साहित्य के अलावा ये विज्ञान विषयों में भी अच्छा काम कर सकता है.

आजीविका की दृष्टि से नौकरी एवं व्यवसाय दोनों ही क्षेत्रों में इन्हें अच्छा लाभ मिल सकता है और दोनों ही जातक के लिए अनुकूल होते हैं. कई बार जातक व्यवसाय की अपेक्षा नौकरी करना विशेष रूप से पसंद करते हैं. नौकरी में उच्च पद पर आसीन होता है. अगर व्यवसाय करे तो मेहनत से उसे आगे बढाता है. साझेदारी में व्यापार करना अच्छा लगता है. अपने कर्तव्य का निर्वाह ईमानदारी से करते हैं. मृतक संस्कार, शव वाहन सेवा, शमशान भूमी व्यवस्था व संस्कार करने वाले, शल्य चिकित्सक, शव परीक्षक, विष से इलाज करने वाले, धर्मोन्मांदी, कट्टरपंथी, आतंकवादी संबंधित जो भी काम हैं वो इनके अन्तर्गत आते हैं.

पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का प्रथम चरण

लग्न या चंद्रमा, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो तो जातक मुंह और आंखें भेड के समान प्रतीत होती हैं. पित्त का प्रभाव व्यक्ति पर अधिक रह सकता है. धैर्य रखने वाला होता है. ग्रामीण जीवन से प्रेम रखता है. स्त्री के समक्ष पराजित होता है. जातक में क्रोध अधिक हो सकता है वह अपने गुस्से के कारण कुछ आक्रामक भी हो सकता है.

पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का दूसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो तो जातक में ऊर्जा अधिक होती है पर वह अपनी इस शक्ति को भौतिक सुखों की और अधिक व्यय कर सकता है. स्थिर बुद्धि वाला, प्रेमी, सुंदर और आकर्षक सा दिखने वाला. बडी़ आंखें और मोटे दांत हो सकते हैं. व्यक्तियों का प्रतिनिधि करने वाला हो सकता है. विशाल व ऊंचा मस्तक होता है. तिरछे नैन नक्श, लम्बी भुजाएं होती हैं. उभरी हुई छाती और मोटी फैली हुई सी नाक होती है.

पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का तीसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो तो जातक सांवले रंग का अच्छा धनी मानी हो सकता है. संतान सुख को पाने वाला होता है. सामर्थशाली होता है. जातक भावुक हो सकता है. उसे भावनाओं की अभिव्यक्ति करनी आती है.

पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का चौथा चरण

लग्न या चंद्रमा, पूर्वा भाद्रपद के चौथे चरण में आता हो तो रंग गोरा व लालिमा युक्त हो सकता है. त्वचा में कांति युक्त हो सकता है. चंचलता अधिक होती है. गर्दन कुछ छोटी और कमर भी पतली होती है.

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के नामाक्षर

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद जो 20:00 से 23:20 तक होता है. इसका अक्षर “से” होता है.

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 23:20 से 26:40 तक होता है. इसका अक्षर “सो” होता है.

पूर्वाभाद्रपदन क्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में में जो 26:40 से 30:00 तक होता है. इसका अक्षर “दा” होता है.

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 00:00 से 03:20 तक होता है. इसका अक्षर “दी” होता है.

पूर्वभाद्रपद नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ उतनाहिर्वुधन्य: श्रृणोत्वज एकपापृथिवी समुद्र: विश्वेदेवा

ॠता वृधो हुवाना स्तुतामंत्रा कविशस्ता अवन्तु ।

ॐ अजैकपदे नम:।

उपाय

पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के जातक के लिए भगवान शिव की आराधना करना शुभदायक होता है. भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना चाहिए. सोमवार का व्रत एवं जाप इत्यादि करना उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है. पूर्वभाद्रपद नक्षत्र में चंद्रमा का गोचर होने पर भगवान शिव का भजन कीर्तन, नाम स्मरण करने से कार्यों में सफलता एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस नक्षत्र के जातक को काले रंगों का परहेज करना चाहिए और हल्के रंग के वस्त्र, आसमानी और नीले रंग के वस्त्र धारण करने से शुभता प्राप्त होती है.

पूर्वभाद्रपद नक्षत्र अन्य तथ्य

नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद

राशि - कुम्भ-3, मीन-1

वश्य - नर-3, जल-1

योनी - सिंह

महावैर - गज

राशि स्वामी - शनि-3, गुरु-1

गण - मनुष्य

नाडी़ - आदि

तत्व - वायु-3, जल-1

स्वभाव(संज्ञा) - उग्र

नक्षत्र देवता - रुद्र

पंचशला वेध - चित्रा


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