मृगशिरा नक्षत्र फल

मृगशिरा नक्षत्र

27 नक्षत्रों में मृगशिरा नक्षत्र पांचवें स्थान पर आता है. मृगशिरा नक्षत्र में तीन तारों से हिरण के सिर के समान आकार बनता है, इसलिए वेदों में इसे मृगशीर्ष कहा जाता है. सरल शब्दों में उसे हिरनी या खटोला भी कहा जाता है. इस नक्षत्र का स्वामी मंगल हैं और देवता चंद्रमा है. यह नक्षत्र वृष राशि में 23 अंश 20 कला से मिथुन राशि के 6 अंश 40 कला तक होता है.

तारों से भरे आकाश में मृगशिरा नक्षत्र को ढूंढने के लिए मृगशिरा नक्षत्र के चारों ओर चार प्रकाशवान तारों को ढूंढना होगा. इनके बी़च में 3 तारे एक-दूसरे की सीध में होते है. इसे व्याघ्र का तीर भी कहा जाता है. व्याघ्र का तारा बहुत नीचे हटकर् अतिप्रकाशवान है, इसी से इसे पहचाना जा सकता है. इस नक्षत्र का आकार हिरण के समान होता है.

मृगशिरा नक्षत्र - शारीरिक गठन और व्यक्तित्व विशेषताएँ

मृगशिरा नक्षत्र मंगल का नक्षत्र है, व्यक्ति के स्वभाव को उसका जन्म नक्षत्र अत्यधिक प्रभावित करता है. जातक साहसी, पराक्रमी और कार्य कुशल होता है. सुंदर दृढ़ शरीर का स्वामी होता है. कद लम्बा, मध्यम रंग रुप, लम्बी टांगे व पतली भुजाएं. तीक्ष्ण नैन नक्श. छरहरा शरीर होता है.

जातक बुद्धिमान और चतुर होता है. उसे भौतिक सुख -सुविधाओं में जीवन व्यतीत करने की आदत होती है. अत्यधिक बुद्धिमान होने पर भी कई बार वह समय आने पर अपने इस गुण का पूरी तरह से उपयोग नहीं कर पाता है. बुद्धि और बल का अदभुत मेल होता है. जातक जन्मजात नेता बनने के गुण रखता है. सभा में हो या अपने किसी मित्रों के समूह में उसकी नेतृत्व योग्यता स्पष्ट रुप से पहचानी जा सकती है.

इस जन्म नक्षत्र के जातक कार्यो में बार-बार परिवर्तन करना पसंद नहीं करते. फिर वह व्यापारिक क्षेत्र हो या फिर नौकरी एक बार जिस क्षेत्र से जुड़ जाते है उसी में पहचान बनाने में लगे रहते हैं. स्वभाव से दृ्ढ निश्चयी होने के कारण इनके जीवन लक्ष्य भी शीघ्र बदलने वाले नहीं होते. जीवन में क्या करना है और कैसे करना है इस बारे में किसी प्रकार की कोई ग़लतफहमी नहीं होती है.

हिम्मत और जोश के कामों में आगे रहते है. इन्हें कोई भी कार्य करने के लिए दे दीजिए, उसे उत्साह और उर्जा शक्ति के साथ करना प्रारम्भ करते हैं, आगे का विचार करने के बाद ही कोई नया कार्य शुरु करते हैं. सदैव सत्य बोलना और सत्य सुनना पसंद करते है. धोखा देने वाले व्यक्तियों को माफ नहीं करते है. ये और बात है कि ये किसी को धोखा देने का विचार मन में नहीं लाते हैं.

कभी कभार इनके कामों में जल्दबाजी का भाव भी देखने में आता है, जिसके कारण काम में कुछ कमी भी पाई जाती है. मृगशिरा नक्षत्र के व्यक्ति विश्वसनीय मित्र कहलाते हैं. अपने मित्रों को समय पर सहयोग करते है और दोस्ती में किए गये वादों को पूरा करने का प्रयास करते है. स्वाभिमानी होने के कारण अपने मित्रों से सहयोग या मदद नहीं लेते है. जोखिम लेकर जीवन व्यतीत करना इन्हें बखूबी आता है.

पारिवारिक जीवन

पारिवारिक जीवन अधिक सुखमय नहीं रहता है. उसके सहयोगी उसे लाभ के बदले हानि ही पहुंचा सकते हैं. जातक का प्रेम ओर विश्वास भी दूसरों पर असर न डाल पाए. उसे परिवार की ओर से पूर्ण रुप से सहयोग भी न मिल सके. जातक की गलती न होते हुए भी उसके परिजन उसे गलत समझ सकते हैं. भाग्य का ही प्रभाव उस पर रहता है. जीवन साथी का स्वास्थ्य नरम रह सकता है. दांपत्य जीवन में एक दूसरे से श्रेष्ठ होने की स्थिति अलगाव और तनाव ला सकती है. जातक विवाह पश्चात भी जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत रह सकता है.

स्वास्थ्य

यह नक्षत्र पांचवें स्थान पर आने वाला नक्षत्र है और इसका स्वामी ग्रह मंगल है. इस नक्षत्र के पहले व दूसरे चरण में ठोढ़ी, गाल, स्वरयंत्र, तालु, रक्त वाहिनियाँ, टांसिल, ग्रीवा की नसें आती हैं. तीसरे व चौथे चरण में गला आता है और गले की आवाज़ आती है. बाजु व कंधे आते हैं, कान आता है. ऊपरी पसलियाँ आती हैं. नेत्रों के ऊपर भौहें भी इसी के क्षेत्र में आती हैं. इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर इन अंगों से संबंधित समस्या से जूझना पड़ता है. इस नक्षत्र में मंगल की ऊर्जा होने से इस नक्षत्र का संबंध पित्त दोष से भी होता है.

मृगशिरा नक्षत्र जातक का व्यवसाय

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति को संगीत और कला विषयों का शौक हो सकता है. ये अपने इस शौक से गहराई से जुडे होते है. समय मिलते ही अपने इस शौक को पूरा करने का प्रयास भी करते है. इस क्षेत्र में सक्रिय रुप से भाग लेने पर धन और यश भी पाते है.

अपने शौक पूरे करने के लिए ये कुछ यात्राएं भी करते है और पर्यटन में रुचि इनके जीवन का मुख्य अंग हो सकता है. वन क्षेत्र, खुले मैदान, चारागाह, उद्यान, प्लेस्कूल, नर्सरी, विश्राम घर, छोटी दुकानें, खगोल शास्त्र, ज्योतिष एवं आध्यात्मिक संस्थाएं इसके व्यवसाय में आते हैं. भाषाविद, गायक संगीतकार का कार्य इसमें आता है. भूमि भवन के कार्य, लेखक-विचारक, वस्त्र उद्योग प्रचार कार्य, पशुपालन, सेतु एवं पथ निर्माण के कार्य फैशन से संबंधी काम इसमें आते हैं.

मृगशिरा नक्षत्र का प्रथम चरण

लग्न या चंद्रमा, मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो तो ऐसा जातक शेर की नजर के समान प्रभावशाली दृष्टि वाला होता है, सुंदर दंत कांति, विजय पाने वाला, सधी हुई नाक, तीखे नाखून वाला, मुंहफट हो सकता है. आलस्य भी झलकता है. बाल कुछ मुड़े हुए व काले होते हैं.

मृगशिरा नक्षत्र का दूसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, मृगशिरा नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो तो जातक में धैर्य कम होता है. वह कुछ डरपोक भी हो सकता है. क्रोध से युक्त एवं थोड़ा चालाक. आर्थिक क्षेत्र में उन्नति के लिए अग्रसर रहता है. कम आकर्षक और सामने कुछ न कहे पर पिछे से बड़बडा़ने वाला होता है.

मृगशिरा नक्षत्र का तीसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो तो जातक गंभीर व श्याम नेत्रों वाला, ऊँची नाक, कंधों पर बाल अधिक होना, पतले हाथ पैर वाला हो सकते हैं. श्याम वर्ण का हो सकता है.

मृगशिरा नक्षत्र का चौथा चरण

लग्न या चंद्रमा, मृगशिरा नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो जातक अधिक वाचाल होता है, घात प्रहार में अधिक रुचि रखने वाला, गोल सिर का व बीच से चपटी नाक वाला. अधिक क्रियाशील सेनापति जैसा कर्मठ हो सकता है, अपवित्र कार्य कर सकता है.

मृगशिरा नक्षत्र के नामाक्षर

मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 23:20 से 26:40 तक होता है. इसका अक्षर “वे” होता है.

मृगशिरा नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 26:40 से 30:00 तक होता है. इसका अक्षर “वो” होता है.

मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 00:00 से 03:20 तक होता है. इसका अक्षर “का” होता है.

मृगशिरा नक्षत्र के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 03:20 से 06:40 तक होता है. इसका अक्षर “की” होता है.

मृगशिरा नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ सोमधेनु गवं सोमाअवन्तुमाशु गवं सोमोवीर: कर्मणयन्ददाति

यदत्यविदध्य गवं सभेयम्पितृ श्रवणयोम । ॐ चन्द्रमसे नम: ।

उपाय

मृगशिरा नक्षत्र के जातक के लिए माता पार्वती जी की उपासना करना बहुत उत्तम होता है. माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से अरिष्ट मुक्ति होती है. जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. मार्गशीर्ष माह में चंद्रमा का मृगशिरा नक्षत्र में भ्रमण करने पर मृगशिरा नक्षत्र से संबंधित उपाय उत्तम फल देते हैं. इसके साथ ही मंगल के मंत्र जाप करना भी अनुकूल होता है.

मृगशिरा नक्षत्र अन्य तथ्य

नक्षत्र - मृगशिरा

राशि - वृषभ-2, मिथुन-2

वश्य - चतुष्पद-2, नर-2

योनी - सर्प

महावैर - न्योला

राशि स्वामी - शुक्र -2, बुध- 2

गण - देव

नाडी़ - मध्य

तत्व - पृथ्वी-2, वायु-2

स्वभाव(संज्ञा) - मृदु

नक्षत्र देवता - चंद्रमा

पंचशला वेध - उत्तराषाढा़


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