मघा नक्षत्र फल

मघा नक्षत्र

ज्योतिष शास्त्र में मघा नक्षत्र दसवां नक्षत्र है. राशिचक्र में 120:00 डिग्री से 133:20 डिग्री तक का विस्तार मघा नक्षत्र में आता है. मघा नक्षत्र के तारों की संख्या को लेकर मतभेद रहे हैं. कुछ के अनुसार यह छ: सितारों से बनता है. जबकि अन्य के अनुसार यह पांच तारों का समूह होता है. इसके पांच सितारों से बनी आकृत्ति हंसिया, दरांती या छडी़ का चिन्ह दर्शाती है. वहीं 6 सितारों से बनी आकृति राजमहल का सिंहासन अथवा पालकी के रुप में दिखाई देती है.

मघा नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता पितर हैं. सूर्य का अगस्त मास में मघा नक्षत्र पर गोचर होता है. माघ मास का उत्तरार्ध मघा नक्षत्र का मास माना जाता है. अमावस्या या कृष्ण पक्ष की समाप्ति को मघा की तिथि माना जाता है. मघा नक्षत्र का अर्थ बलवान, महान, उत्कृष्ट धन वैभव संपन्न शब्दों से लिया जाता है.

मघा नक्षत्र - शारीरिक गठन और व्यक्तित्व विशेषताएँ

मघा नक्षत्र के जातक का शरीर मांसल युक्त एवं भराव लिए होता है. मध्यम कद काठी के स्वामी होते हैं. ठुड्डी भी भारी व मांसल युक्त होती है. पेट का हिस्सा थुथलापन लिए होता है. शरीर पर बाल अधिक हो सकते हैं, कंधों के नीचे तिल का निशान हो सकता है. सुंदर व आकर्षक नैन नक्श के होते हैं.

इस नक्षत्र के जातक शक्तिशाली, प्रभावशाली होते हैं. क्रोध अधिक आता है और क्रोध के कारण यह सोचने समझने की शक्ति भी खो देते हैं. यह जहां भी जाते हैं और जो भी कुछ करते हैं उसका प्रभाव सभी पर पड़ता है. मघा नक्षत्र में ऊर्जा होती है जिसके चलते जातक कड़ी मेहनत करने की क्षमता रखता है. इस नक्षत्र में उत्पन्न जातक आशावादी, स्वतंत्र एवं उत्साहित होता है.

मघा नक्षत्र में पैदा हुए लोग अपनी गतिविधियों के द्वारा लोगों को आश्चर्यचकित कर सकते हैं. वे असाधारण चीजें करने में सक्षम होते हैं. आत्मनिर्भर होते हैं और कभी भी अपने गुणों और गरिमा से समझौता नहीं करते हैं. जातक समाज में अपनी प्रतिष्ठा और सम्मान को बनाए रखने में अपना पूरा प्रयास करते हैं. उनकी प्रकृति की एक और विशेषता यह है कि वे जो भी करते हैं, वे बहुत सावधानी पूर्वक ही करते हैं, जबकि एक सामान्य गलतफहमी है कि वे बेचैन और अनिश्चित होते हैं जो कि सही नहीं है.

चूंकि केतु मघा नक्षत्र का स्वामी है, इस नक्षत्र के मूल निवासी बहुत धार्मिक होते हैं. ये लोग सरकार और समाज के उच्च प्रतिष्ठित लोगों के साथ निकट संपर्क बनाए रखते हैं, जिसके चलते उन्हें समाज के इन क्षेत्रों से बहुत सारे लाभ प्राप्त होते हैं.

पारिवारिक जीवन

पारिवारिक जीवन में प्राय: संतोषप्रद जीवन को जीता है. जीवन साथी के साथ सामन्जस्यपूर्ण जीवन की जीने की इच्छा रखता है. विवाहित जीवन का आनंद प्राप्त करता है. किंतु पाप ग्रहों का प्रभाव स्थिति को बदल सकता है. संतान से सुख की प्राप्ति होती है. बच्चों की जिम्मेदारियों को वहन करने के लिए तत्पर रहता है. स्त्री पक्ष की ओर से स्थिति अधिक सुविधाजनक न रह पाए. वाद विवाद उभर सकते हैं, जातिका का व्यवहार रिश्तों में मानसिक तनाव भी ला सकता है. पुत्र संतान प्राप्ती का सुख भी प्राप्त होता है.

मघा नक्षत्र स्वास्थ्य

यह भचक्र का दसवाँ नक्षत्र है और इसका स्वामी ग्रह केतु है. इस नक्षत्र के अन्तर्गत पीठ, दिल, रीढ़ की हड्डी, स्प्लीन, महाधमनी, मेरुदंड का पृष्ठीय भाग आते हैं. जिसके साथ ही नासिका, ओष्ठ व ठोडी़ को मघा नक्षत्र का अंग माना जाता है. जब भी यह नक्षत्र पीड़ित होगा तब व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से होकर गुजरना पड़ेगा. नेत्र से संबंधी रोग जैसे रतौंधी रोग प्रभाव डाल सकता है. रक्त से जुड़े रोग हो सकते हैं. महिलाओं को गर्भाशय की परेशानी या हिस्टीरिया का प्रभाव हो सकता है. कफ और पित से संबंधित रोग भी प्रभावित कर सकते हैं.

मघा नक्षत्र जातक का व्यवसाय

इस नक्षत्र से संबंध कार्यों में प्रशासक के काम, प्रबंधन के काम, राज्य स्तर में उच्च अधिकारी वर्ग के काम में आप भाग ले सकते हैं. समाज में धनी मानी प्रतिष्टित व्यक्तिम सेठ, साहूकार, उद्योगपति, बड़े व्यापारी, संस्थान के अध्यक्ष, वकील, न्यायाधीश के काम में आप अच्छे मौके पा सकते हैं राजनीतिज्ञ, इतिहासकार, पुस्तकाध्यक्ष, प्रवचन कर्ता, कला कर्मी नाट्यकर्मी, परंपरा संरक्षक, से संबंधी काम.

तंत्र, ज्योतिष दुर्लभ वस्तुओं का व्यापार करने वाला, भवन निर्माण के क्षेत्र से जुड़े हुए. प्राचीन इमारतों व संस्कृति सभ्यता से जुडे़ काम मघा नक्षत्र की सूची में आते हैं. अपनी स्पष्टवादिता और व्यापारी बुद्धि के चलते आप कारोबार में अधिक समय तन भी टिक सकें. नौकरी और व्यापार दोनों ही क्षेत्रों में हाथ आजमाते देखे जा सकते हैं.

मघा नक्षत्र का प्रथम चरण

लग्न या चंद्रमा, मघा नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो तो ऐसा जातक अधिक क्रोधी स्वभाव का होता है. पतला पेट और नाक का अग्र भाग लालिमा युक्त होता है. बड़ा सिर व ऊंची मांसल छाती वाला. किसी भी कार्य को करने में अग्रीण होता है. शूरवीर जैसा होता है.

मघा नक्षत्र का दूसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, मघा नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो तो जातक का विशाल व ऊंचा मस्तक होता है. तिरछे नैन नक्श, लम्बी भुजाएं होती हैं. उभरी हुई छाती और मोटी फैली हुई सी नाक होती है.

मघा नक्षत्र का तीसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, मघा नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो तो जातक भारी चौडी़ छाती होना, छाती पर अधिक बाल होना, लालिमा युक्त आंखें, त्यागशील होता है. गोल मांसल युक्त गर्दन होती है.

मघा नक्षत्र का चौथा चरण

लग्न या चंद्रमा, मघा नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो जातक कोमल शरीर और त्वचा में चमक लिए होता है. आंखें बडी़ व पुतली काली होती है. कोमल केश वाला भारी हाथ पैर से युक्त तथा आवाज़ में थोड़ा रुखापन हो सकता है. पेट कुछ मोटा होता है.

मघा नक्षत्र के नामाक्षर

मघा नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 00:00 से 03:20 तक होता है. इसका अक्षर “मा” होता है.

मघा नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 03:20 से 06:40 तक होता है. इसका अक्षर “मी” होता है.

मघा नक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 06:40 से 10:00 तक होता है. इसका अक्षर “मू” होता है.

मघा नक्षत्र के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 10:00 से 13:20 तक होता है. इसका अक्षर “मे” होता है.

मघा नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ पितृभ्य: स्वधायिभ्य स्वाधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: ।

प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्य स्वधानम: अक्षन्न पितरोSमीमदन्त:

पितरोतितृपन्त पितर:शुन्धव्म । ॐ पितरेभ्ये नम: ।

मघा नक्षत्र उपाय

मघा नक्षत्र के बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक को गुरुजनों व पूर्वजों का आदर सम्मान करना चाहिए. नियत तिथि और विशेष अवसरों पर पितरों का स्मरण व पूजन अर्चन करना चाहिए. बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद जातक को बुरे प्रभावों से बचाता है. मां काली और भगवान शिव की उपासना भी इस नक्षत्र के जातकों के लिए शुभदायक होती है. सुनहरे पीले और गहरे रंग के रेशमी वस्त्र धारण करना आपके लिए लाभदायक होता है.

मघा नक्षत्र अन्य तथ्य

नक्षत्र - मघा

राशि - सिंह

वश्य - चतुष्पद

योनी - मूषक

महावैर - बिडाल

राशि स्वामी - सूर्य

गण - राक्षस

नाडी़ - अन्त्य

तत्व - अग्नि

स्वभाव(संज्ञा) - उग्र

नक्षत्र देवता - पितर

पंचशला वेध - श्रवण


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