कृत्तिका नक्षत्र फल

कृत्तिका नक्षत्र

27 नक्षत्रों में कृतिका नक्षत्र तीसरे स्थान पर आता है. भचक्र में 26 अंश 40 कला से 40 अंश 00 कला तक का विस्तार कृत्तिका नक्षत्र के अधिकार में आता है. कृत्तिका नक्षत्र के स्वामी ग्रह मंगल हैं. देवता अग्नि हैं. इस नक्षत्र में 6 तारे माने गए हैं. इसके अतिरिक्त प्राचीन वैदिक साहित्य में सात तारों का भी उल्लेख मिलता है. कृतिका नक्षत्र में तारों का समूह खुरपा या फरसे की आकृति के समान दिखाई देता है.

कृत्तिका नक्षत्र - शारीरिक गठन और व्यक्तित्व विशेषताएँ

मध्यम व लम्बा कद, बडी़ नाक, मजबूत व मोटी गर्दन, कंधे चौड़े, पुष्ट मांसपेशियाँ व सुघड़ शरीर, शांत मुखाकृति लिए हुए, सुंदर एवं आकर्षक व्यक्तित्व का होता है.

कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातक अपनी एक अलग पहचान बनाकर रखते हैं. ये भीड़ में भी अलग दिखाई देते हैं. इनके चेहरे पर तेज दिखाई देता है. ये सभा में छाए रहते हैं और बहुत बुद्धिमान होते हैं. व्यक्ति धार्मिक आचरण का पालन करने वाला होता है. दान इत्यादि परमार्थ के कार्यों में इनका मन अधिक रम सकता है.

ये संस्कार युक्त विचारों वाले होते हैं. स्वाध्याय में लगे रहते हैं. कुलीन होते हैं और कुल के अनुसार ही कार्य करते हैं. कृतिका नक्षत्र जातकों की विशेषता होती है कि ये जीवन में आर्थिक रुप से बेहतर धन कमा लेते हैं. अपने कार्य में कुशल होते हैं. काम में अनुशासन बरतने वाले होते हैं. स्वाभिमानी व्यक्तित्व के होते हैं. इनके स्वभाव में तीक्ष्णता होती है. ये बहुत जल्दी तुनक जाते हैं. ये प्रसिद्धि पाते हैं. इनमें लगन अत्याधिक होती है.

स्त्री प्रसँग के शौकीन होते हैं. यदि किसी जातक की कुण्डली में कृतिका नक्षत्र पीड़ित हो, तब वह परस्त्रीगामी हो सकता है. झूठ बोलने की व्यक्ति को आदत हो सकती है. बिना कारण घूमना इन्हें अच्छा लगता है. इनकी वाणी कठोर होती है, ये निन्दित कार्य करने वाले व्यक्ति हो सकते हैं.

पारिवारिक जीवन

परिवार में ये सब को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं. इनका स्वामित्व अच्छा होता है और नेतृत्व करने की बेहतर क्षमता भी होती है. परिवार में प्रेम और समर्पण का भाव होता है. दांपत्य जीवन में स्थिति संतोषप्रद रहती है. माता के प्रति आपका अधिक स्नेह होता है.

स्वास्थ्य

इस नक्षत्र के जातकों की पित्त प्रवृति होती है. अधिक तला तथा गरिष्ठ भोजन करने से इनके पाचन-तंत्र में विकार उत्पन्न होता है. इस नक्षत्र के अन्तर्गत, सिर, आँखें, मस्तिष्क, गर्दन, कण्ठनली, टाँसिल, निचला जबड़ा, नितम्ब, कूल्हा और जंघा आते हैं. इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर आपको इनसे संबंधित बीमारियाँ होने की संभावना बनती है. कृतिका नक्षत्र का जातक यदि मेष राशि मे जन्मा है, तब वह बहुत ही कम भोजन करने वाला होता है. यदि जातक का जन्म वृष राशि में हुआ है, तब वह अधिक भोजन करने वाला होता है.

कृतिका नक्षत्र जातक का व्यवसाय

कृतिका नक्षत्र के जातक अग्नि संबंधी व्यवसाय करते हैं. वे सुनार, लुहार, ढा़बा, रेस्तराँ और तन्दूर चलाने वाले व्यवसाय करने में दिलचस्पी रखते हैं. कपड़ों की रंगाई और कांच का काम करने वाले जातक भी इसी नक्षत्र के अन्तर्गत आते हैं. ज्वलनशील पदार्थों का काम, गैस तथा तेजाब आदि से संबंधित कार्य इसी नक्षत्र में आते हैं. ईंधन का व्यापार करने वाले व्यक्ति, सलाहकार, सफेद फूलों से संबंधित पदार्थ, खजाने में काम करने वाले व्यक्ति भी कृतिका नक्षत्र के अन्तर्गत आते हैं. सुरंग तथा वर्तमान समय में सब-वे का काम, भूगर्भ संबंधित कार्य, गटर तथा मेनहोल के काम आदि सभी इस नक्षत्र में आते हैं.

नाई, ब्यूटी सैलून आदि से संबंधित कार्य भी इस नक्षत्र में आते हैं. भाषा शास्त्री भी इस नक्षत्र के अंदर आते हैं. व्याकरण जानने वाले व्यक्ति, बर्तन बनाने के कार्य, ज्योतिषी तथा पुरोहित, खान में काम करने वाले, खुदाई के कार्य, शमशान के कार्य करने वाले कृतिका नक्षत्र के अंतर्गत आते हैं.

कृत्तिका नक्षत्र का प्रथम चरण

लग्न या चंद्रमा कृत्तिका नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो, तो ऐसा जातक पतले शरीर का और कम चर्बी युक्त होता है, कद लम्बा हो सकता है. घूमने-फिरने का शौकीन होता है. घोड़े के समान मुखाकृति हो सकती है. माथा चौड़ा, भौंहें हल्की सी आपस में मिली हुई होती हैं. कान लटकते हुए से प्रतीत होते हैं अर्थात अंदर की ओर झुके हुए से हो सकते हैं. क्रोध जल्दी आ सकता है व व्यक्ति तुनक मिज़ाज का हो सकता है. जातक के स्वभाव के विषय में बोल पाना कठिन होता है अर्थात विषम स्वभाव का होता है.

कृत्तिका नक्षत्र का दूसरा चरण

लग्न या चंद्रमा कृत्तिका नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो, तो जातक का रंग कुछ हल्का श्याम वर्ण का हो सकता है. व्यक्ति सीधा तनकर चलने वाला होगा. प्रकृति और नियमों के विरुद्ध काम करने की उसकी प्रबल इच्छा रह सकती है. कुछ चीजों को लेकर मन में लोभ भी हो सकता है. आंखों में हल्का सा छोटा-बड़ापन झलक सकता है. साथ ही किसी चीज को देखते समय एक आंख छोटी या बड़ी करके भी देख सकता है.

कृत्तिका नक्षत्र का तीसरा चरण

लग्न या चंद्रमा कृत्तिका नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो, तो व्यक्ति के शरीर में आलस्य अधिक हो सकता है. कंधे झुके हुए और गोल होंगे. बोलने में अधिक रुचि होगी. गर्दन में झुकाव होगा. जीवनसाथी का स्वभाव आपके स्वभाव के विरुद्ध हो सकता है. कान लटकाव लिए हो सकते हैं. आंखों में गंभीरता का भाव झलक सकता है.

कृत्तिका नक्षत्र का चौथा चरण

लग्न या चंद्रमा कृत्तिका नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो जातक शरीर से कोमल और नाजुक हो सकता हैं. आंखें बड़ी और साफ चमक लिए होंगी. सुघड़ नाक, शरीर में भारीपन हो सकता है. सुन्दर एडी व पैर. विचारों में अस्थिरता का भाव झलकेगा. चंचलता अधिक रह सकती है, किसी एक स्थान पर टिक कर न बैठ पाए.

कृत्तिका नक्षत्र के नामाक्षर

कृत्तिका नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 26:40 से 30:00 तक होता है. इसका अक्षर “अ” होता है.

कृत्तिका नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 00:00 से 03:20 तक होता है. इसका अक्षर “इ” होता है.

कृत्तिका नक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 03:20 से 06:40 तक होता है. इसका अक्षर “उ” होता है.

कृत्तिका नक्षत्र के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 06:40 से 10:00 तक होता है. इसका अक्षर “ए” होता है.

कृत्तिका नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ अयमग्नि सहत्रिणो वाजस्य शांति गवं

वनस्पति: मूर्द्धा कबोरीणाम । ॐ अग्नये नम: ।

उपाय

कृत्तिका नक्षत्र के जातक को भगवान कार्तिकेय और हनुमानजी की पूजा करना शुभफलदायक होता है. इसके साथ ही गायत्री मंत्र जाप एवं सूर्य उपासना भी इनके लिए लाभकारी होती है. कृत्तिका नक्षत्र के जातक के लिए केसरिया रंग, पीला रंग, लाल रंग तथा चटख रंगों का उपयोग अच्छा माना जाता है.

कृत्तिका नक्षत्र अन्य तथ्य

नक्षत्र - कृत्तिका

राशि - मेष-1, वृष-3

वश्य - चतुष्पद

योनी - मेढ़ा

महावैर - वानर

राशि स्वामी - मंगल-1, शुक्र-3

गण - राक्षस

नाड़ी - अन्त्य

तत्व - अग्नि-1, पृथ्वी-3

स्वभाव(संज्ञा) - मिश्र

नक्षत्र देवता - अग्नि

पंचशला वेध - विशाखा


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