माघ माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि के दौरान थाई पूसम का पर्व मनाया जाता है. तमिल संस्कृति में इस दिन का बहुत महत्व रहा है. इस दिन को भक्त भक्ति और उत्साह के साथ मनाते हैं. थाई पूसम एक हिंदू तमिल त्यौहार है जो भगवान मुरुगन की सुरपद्मन नामक

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर व्यक्ति का जीवन नक्षत्रों और ग्रहों की स्थिति से प्रभावित होता है. नक्षत्रों का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह जीवन के प्रत्येक पहलु को प्रभावित करते हैं. नक्षत्रों का असर विवाह, जन्म, शिक्षा, यात्रा, व्यापार,

माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन नर्मदा जयंती का उत्सव मनाया जाता है. इस दिन भक्त माँ नर्मदा का पूजन भक्ति भाव के साथ मनाते हैं. नर्मदा जयंती का पर्व भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह पर्व विशेष रूप से

थाई अमावस्या तमिल हिंदू व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण दिन है। थाई अमावसई या अमावस्या का दिन तमिल हिंदुओं के बीच बहुत बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस दिन पूर्वजों की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं। तमिल कैलेंडर में थाई महीना

गणेश जयन्ती, जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह विशेष रूप से भगवान गणेश के जन्म के रूप में मनाई जाती है और पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन लोग घरों और मंदिरों में गणेश जी की

माघ मास की गुप्त नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से दस महाविद्या के साथ देवी के नौ रूपों की पूजा-अर्चना के लिए मनाई जाती है. यह पर्व आमतौर पर माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक मनाया

फाल्गुन संक्रांति भारतीय संस्कृति में एक प्रमुख पर्व के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, और यह माघ माह के बाद फाल्गुन माह की शुरुआत का प्रतीक है। संक्रांति का शब्द अर्थ है ‘सूर्य का एक राशि से दूसरी

हिंदू धर्म में, देवी को शक्ति के रुप में स्थापित किया गया है जो हर प्रकार के संकट से हमें बचाने वाली होती हैं. हमारे जीवन से समस्याओं को दूर करती हैं. 'मातृका' का अर्थ है दिव्य माँ जो शिव के पसीने से बनी थी. मातृका चक्र का पौराणिक रुप से

मेरु त्रयोदशी का पर्व जैन धर्म में बहुत ही भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है. भारत अपनी समृद्ध परंपराओं और त्यौहारों के लिए जाना जाता है, जिनका आध्यात्मिक महत्व है. ऐसा ही एक त्यौहार है मेरु त्रयोदशी, जिसे पूरे भारत में जैन धर्म के लोग बड़ी

रवि प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है जो विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा से जुड़ा हुआ है. यह व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, जो विशेष रूप से रविवार के दिन पड़ता है और इसे "रवि प्रदोष" कहा

हिंदू धर्म में एकादशी को शुभ माना जाता है. साल में पड़ने वाली एकादशियों में से मलयालम महीने वृश्चिकम में आने वाली वृश्चिका एकादशी का विशेष महत्व है. केरल के गुरुवायुर में श्री कृष्ण मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा का एक महत्वपूर्ण दिन है.

मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि को हनुमान जयंती भी मनाई जाती है. इस त्योहार को हनुमान व्रतम के नाम से भी जाना जाता है. कन्नड़ हनुमान जयंती मुख्य रूप से कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के अन्य हिस्सों में धूमधाम से मनाई जाती

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को परशुराम द्वादशी का उत्सव मनाया जाता है. परशुराम द्वादशी धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के अवतरण का प्रतीक है. इस दिन का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा धार्मिक महत्व

मत्स्य द्वादशी वह दिन है जो भगवान विष्णु को समर्पित है. यह वह दिन है जब भगवान विष्णु मत्स्य के रूप में अवतार लेते हैं. यह दिन मोक्षदा एकादशी के बाद मनाया जाता है जो मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष में आती है. मत्स्य द्वादशी वह दिन है जो

मार्गशीर्ष द्वादशी में आने वाले द्वादशी व्रत का बहुत महत्व है. हर द्वादशी में दो द्वादशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष की द्वादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की द्वादशी. इस द्वादशी में द्वादशी पर गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को वैकुंठदा एकादशी कहते हैं.यह एकादशी व्रत व्यक्ति के कई प्रकार के पापों का नाश करती है. दक्षिण भारत में इस एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने महाभारत के आरंभ से

भगवान सूर्य की पूजा का दिन भानु सप्तमी कहलाता है. इस दिन भानु यानि सूर्य की पूजा की जाती है. शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी व्रत रखा जाता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार, सूर्य देव की पूजा करने वाले भक्तों को धन, स्वास्थ्य और दीर्घायु

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को खंडोबा षष्ठी या खंडोबा मार्तण्ड षष्ठी के नाम से भी मनाया जाता है। मान्यता है कि खंडोबा मार्तण्ड षष्ठी का पर्व भगवान शिव के अवतार खंडोवा को समर्पित है। खंडोवा या खंडोबा को कई अन्य नामों से भी पुकारा

वैवाहिक जीवन व्यक्ति को मनचाहा सुख प्रदान करता है. मार्गशीर्ष माह में आने वाली पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्री राम और सीता जी का विवाह समारोह मनाया जाता है. अगर सुख-सुविधाओं की कमी हो या

एकादशी तिथि को उन विशेष तिथियों में स्थान प्राप्त है जिनके द्वारा व्यक्ति मोक्ष की गति को पाने में भी सक्षम होता है. एक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी दोनों का ही विशेष महत्व रहा है. एकादशी को धार्मिक और