2024 जानें कब शुरु होगा वैशाख मास स्नान और क्या है इसकी महिमा

वैशाख मास में स्नान, पूजन विधि और जाने इसकी महिमा विस्तार से

चैत्र माह की पूर्णिमा और हनुमान जयंती के साथ ही वैशाख माह के स्नान पर्व की परंपरा आरंभ हो जाती है. हिन्दू पंचाग अनुसार प्रत्येक माह किसी न किसी रुप में बहुत ही प्रभावशाली रुप से असर डालने वाला होता है. वैशाख मास में श्री विष्णु भगवान का पूजन एवं गंगा स्नान की महत्ता बहुत अधिक रही है. इस माह के आरंभ से ही वैशाख माह स्नान का आरंभ होता है. इस पर्व के दौरान पवित्र नदियों एवं धर्म स्थलों पर लोगों का आना आरंभ होने लगता है. इस माह का प्रत्येक दिन किसी न किसी रुप में पूजा-पाठ और जप-तप के संदर्भ में बहुत ही शुभदायक होता है.

शास्त्रों के अनुसार बैशाख प्रतिपदा से ही गर्मी शुरू हो जाती है, और वहीं देश के अलग-अलग स्थानों पर इस उत्सव को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. पंजाब में वैशाखी का पर्व होता है. बंगाल में पहला वैशाख, असम में बिहु बिशु जैसे नाम होते है. ओडिशा में “पाना” संक्रांति इत्यादि नामों से मनाया जाता है.

इस समय पर शुरु होगा वैशाख मास

इस वर्ष वैसाख स्नान का आरंभ 23 अप्रैल से शुरू होकर 23 मई तक रहेगा. वैशाख माह की लंबी अवधि फलदायी होती है. इसी के साथ प्रयागराज व हरिद्वार में इस मौके पर भक्तों का जमावड़ा होता है. बैसाख मास पर कई महत्वपूर्ण पर्व भी आते हैं, जिनके समय वैशाख स्नान की उत्तम तिथि भी होती है. इस समय पर स्नान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है.

वैशाख मास की शुरुआत अप्रैल और मई के मध्य में होती है. कहा गया है कि विशाखा नक्षत्र से सम्बन्ध होने के कारण इस माह को वैशाख नाम प्राप्त हुआ है. इस समय के दौरान जीवन को सुखी और समृद्ध करने के अनेकों अवसर मिलते हैं. इस शुभ समय पर जितना भजन किर्तन एवं दान किया जाए व कई गुना शुभता देने में सहायक बनता है. इस वैशाख मास में भगवान श्री विष्णु , देवी की उपासना का विधान है. श्री बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन भी इसी मास में होते हैं.

वैशाख माह का आरंभ और महत्व

वैशाख माह की प्रतिपदा से ही इस माह के शुभ दिनों का आरंभ होता है. इस दिन पवित्र नदियों अथवा जलाशयों इत्यादि मे स्नान किया जाता है. अगर यह सब संभव न हो पाए तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिला कर स्नान किया जा सकता है. साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करते हुए श्री विष्णु भगवान का स्मरण किया जाता है. तुलसी का पौधा भी लगाया जाता है और संपूर्ण माह इसकी पूजा होती है. इसके साथ ही रात्रि जागरण भजन कार्य होते हैं.

पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं एवं भक्तों की भीड़ सभी देवालयों एवं धर्म स्थलों पर भी लगनी आरंभ हो जाती है. वैशाख माह की सुबह से ही पूजा का सिलसिला शुरू हो जाता है और जो रात्रि भर तक जारी रहता है. इस समय भगवान को भोग स्वरुप मौसम के अनुरुप फल एवं खाद्य पदार्थ अर्पित किए जाते हैं. पानी का दान इस समय पर बहुत ही प्रभावशाली माना गया है. “जल ही जीवन है” और वैशाख माह में इसकी महत्ता भी स्पष्ट रुप से देखने को मिलती है. जल के दान को अत्यंत ही पुण्यदायी माना जाता है.

मान्यता है कि वैशाख मास में जल का दान करने से देव और पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इस दिन से पूरे माह प्रतिदिन मंदिरों में विभिन्न प्रकार के भोज्य पदाथों एवं फलों के भोग लगाने की परंपरा रही है.

वैशाख मास में तुलसी पूजा महत्व

इस माह के दौरान तुलसी पूजन को अत्यंत शुभ माना गया है. इस मास के आरंभ में तुलसी को जल से नियमित रुप से सींचा जाता है. तुलसी के पौधे को लगाते हैं और नियमित रुप से सुबह और संध्या के समय पर तुलसी पूजन होता है. तुलसी जी की पूजा में तुलसी कथा एवं तुलसी आरती की जाती है. तुलसी के समक्ष दीप प्रज्जवलित किया जाता है. इसके सथ ही शालिग्राम का भी पूजन किया जाता है. तुलसी पूजा में तुलसी की माला से जाप भी होता है. श्री विष्णु भगवान का नाम स्मरण भी इस समय पर होता है.

वैशाख मास में होता है दीप दान

वैशाख मास में दीप दान करने की भी बहुत महत्ता होती है.इस दीप दान को जलाश्यों के समीप नदियों में एवं विभिन्न पेड़ पौधों के समक्ष किया जाता है. दीपदान को गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों पर किया जाता है. घरों पर भी मुख्य दरवाजों पर दीपक जलाए जाते हैं. तुलसी, पीपल, वट वृक्ष पर भी दीपक जलाने की परंपरा बहुत प्राचीन समय से चली आती रही है. दीप-दान को प्रात:काल समय और शाम के समय पर किया जाता है. दीप दान के समक्ष मान्यता है की इसके प्रकाश के समक्ष जीवन के सभी अंधकार दूर होते हैं. जीवन में सकारात्मकता का प्रवाह बनता है.

वैशाख स्नान की मुख्य तिथियां

कुछ मुख्य तिथियों के दिन स्नान का महत्वपूर्ण समय रहेगा.स्कन्दपुराण में वैशाख मास की महिमा के विषय में बताया गया है. इसमे वैष्णव खण्ड के अनुसार वैशाख मास में किया गया प्रत्येक शुभ कार्य अत्यंत ही प्रभावशाली फल देने में सक्ष्म होता है. इस मास की तृतीया तिथि, दशमी, एकादशी द्वादशी त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा तिथि बहुत पवित्र और शुभदायी होती हैं. इन तिथियों में स्नान एवं दान ज्प तप करने पर सब पापों का नाश होता है. अगर किसी कारणवश वैशाख मास क्के पूरे समय पर स्नान, व्रत, पूजा के नियम आदि न कर पाए हों तो ऎसे में इन तीन तिथियों में भी उक्त सभी कार्यों को कर लिया जाए तो संपूर्ण फलों की प्राप्ति होती है.

  • वैशाख मास मे शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा स्नान किया जाता है.
  • वैशाख मास में भगवान बुद्ध और परशुराम का जन्म समय की तिथि वैशाख स्नान के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है.
  • इस महीने में भगवान ब्रह्मा ने तिलों का निर्माण किया था अतः तिलों का विशेष प्रयोग भी होता है.
  • वैशाख माह में अक्षय तृतीया तिथि के दिन स्नान की विशेष महत्ता बतायी गयी है.
  • वैशाख माह की शुक्ल पक्ष और कृष्ण प्क्ष की एकादशी तिथि के दिन भी स्नान की विशेष परंपरा है.
  • वैशाख पूर्णिमा तिथि के दिन भी स्नान का अत्यंत शुभ प्रभाव माना गया है.