आषाढ़ अमावस्या 2024 , विशेष संयोग होने पर रखें इन बातों का ख्याल

आषाढ़ मास को आने वाली अमावस्या तिथि “आषाढ़ अमावस्या” के नाम से जानी जाती है. इस वर्ष 05 जुलाई 2024 को शुक्रवार के दिन आषाढ़ अमावस्या संपन्न होगी. आषाढ़ मास की अमावस्या के समय स्नान - दान और पितरों के लिए दान इत्यादि किया जाता है.

भारतीय पंचांग में कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होकर जो 30वीं तिथि आती है उसे अमावस्या के नाम से जाना जाता है. पंचांग में हर महीना करीब 30 दिन का होता है जिसे दो भागों में बांटा गया है. जिसमें एक पक्ष शुक्ल पक्ष का होता है और दूसरा पक्ष होता है कृष्ण पक्ष का होता है. इन दोनों पक्षों में चंद्रमा की स्थिति में बदलाव होता है. कृष्ण पक्ष की स्थिति के आगमन पर चंद्रमा की स्थिति घटते जाने की होती है. कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि (30) अमावस्या कहा जाता है. अमावस्या तिथि पर सूर्य और चंद्र समान अंशों पर होते हैं और एक ही राशि में स्थित होते है.

आषाढ़ अमावस्या तिथि व मुहूर्त 2024

  • अमावस्या तिथि – शुक्रवार 05 जुलाई 2024.
  • अमावस्या तिथि आरंभ – 28:58 बजे से 04 जुलाई 2024.
  • अमावस्या तिथि समाप्त – 28:27 बजे तक 05 जुलाई 2024.
  • धार्मिक मान्यता अनुसार कृष्ण पक्ष में दैत्य और शुक्ल पक्ष में देव सक्रिय होते हैं. वहीं अमावस्या तिथि को पितरों को दिन कहा जाता है. ऎसे में इस अमावस्या के दिन पितृों को संतुष्ट एवं प्रसन्न किया जाता है. अनुष्ठानों के साथ ही इस तिथि के दिन पवित्र नदियों, धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान का भी विशेष महत्व माना जाता है.

    आषाढ़ अमावस्या में दिन का महत्व

    आषाढ़ अमावस्या के दिन आने वाले समय कौन सा दिन पड़्ता है इसका भी बहुत महत्व होता है. अमावस्या किसी विशेष दिन के संदर्भ में कई प्रकार की होती है और सभी का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न बताया गया है. अमावस्या के दिन अगर सोमवार, मंगलवार या शनिवार का दिन होने पर इस अमावस्या का महत्व कई गुना बढ जाता है. इन दिनों में आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या, भौमवती अमावस्या, या शनि अमावस्या नामों से पुकारा जाता है.

    आषाढ़ सोमवती अमावस्या

    आषाढ़ माह में यदि अमावस्या का दिन सोमवार का हो तो इस दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाएगा. सोमवती अमावस्या के दिन व्रत एवं दान इत्यादि करने से चंद्रमा से उत्पन्न यदि कोई दोष परेशान करता है तो उस दोष की शांति होती है. यह चंद्र दोष को दूर करने के लिए एक अत्यंत ही उत्तम दिन बनता है. आषाढ़ सोमवती अमावस्या होने पर भगवान शिव पर जलाभिषेक करने का भी बहुत महत्व होता है. जीवन में मौजूद कष्ट एवं रोग समाप्त होते हैं.

    सोमवती अमावस्या का शुभ प्रभाव तिथि और दिन के मिलाप से अत्यंत ही प्रभावदायी माना गया है. इस दिन व्रत करने पर पितरों को तो शांति तो प्राप्त होती है साथ ही जीवन में सुख और सौभाग्य का भी आगमन होता है. संतान और दांपत्य सुख की प्राप्ति होती है.

    आषाढ़ भौमवती अमावस्या

    आषाढ़ अमावस्या के दिन मंगलवार पड़ने पर ये अमावस्या भौमवती अमावस्या के नाम से जानी जाती है. मंगल का एक अन्य नाम भौम भी है. इस कारण इसे भौमवती अमावस्या से जोड़ा जाता है. मंगलवार और अमावस्या तिथि का संबंध होने पर इस दिन कर्जों से मुक्ति प्राप्त होती है. इस दिन व्रत एवं पूजा दान इत्यादि करने से मंगल ग्रह की शांति भी होती है. यदि जन्म कुंडली में मंगल के शुभ प्रभाव नहीं मिल पा रहे हों तो इस अमावस्य के दिन व्रत करना मंगल की शांति देने वाला होता है. यह सभी मनोकामना पूर्ण करने वाली अमावस्या होती है.

    आषाढ़ शनि अमावस्या

    आषाढ़ मास के दिन शनिवार होने पर यह दिन शनि अमावस्या के नाम से जानी जाती है. शनिवार के दिन आने वाली ये अमावस्या के दिन शनि ग्रह की शांति के लिए भी बहुत अच्छा माना गया है. शनि अमावस्या के प्रभाव से व्यक्ति के आर्थिक संकट दूर होते हैं. शनि अमावस्या के दिन व्रत करने पर शनि की साढे़साती और शनि ढैय्या के बुरे प्रभाव समाप्त होते हैं.

    आषाढ़ अमावस्या पर करें ये काम

    आषाढ़ अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का दर्शन करना एवं उसका पूजन करना भी बहुत शुभ माना गया है. पीपल पेड़ के सामने दीपक जलाना एवं मंत्र जाप करने से सभी कष्ट दूर होते हैं.

    इस अमावस पर नदियों, सरोवरों और धर्मस्थानों पर स्नान, दान और शांति-कर्म किए जैसे कार्यों को करना भी अत्यंत ही प्रभावशाली माना गया है.

    गरुण पुराण में अमावस्या के विषय में बताया गया है. जिसमें इस दिन किए जाने वाले पूजा एवं दान किस प्रकार से अत्यंत ही आवश्यक होते हैं ओर जिन्हें करने से दोषों की समाप्ति होती है.

    शिव पूजन, पीपल की पूजा करने के साथ शनि की शांति के लिए भी पूजा आदि काम किए जाते हैं.

    आषाढ़ अमावस्या पर नहीं करें ये काम

    अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नही देता है. ऎसे में अंधकार और भी अधिक गहरा होता है. इसलिए इस दिन को काली रात्रि के नाम से भी पुकारा जाता है. अमावस्या के समय पर तंत्र संबंधित अनुष्ठान का प्रभाव जल्द ही फल देने वाला होता है. इसी कारण से अमावस्या के दिन तांत्रिक कर्म अधिक होते हैं. इस तिथि के समय पर कुछ विशेष बातों का ख्याल अवश्य रखना चाहिये. इस दिन से जुड़ी कुछ खास बातें इस प्रकार हैं -

    • सिद्धियों से विभिन्न शक्ति को पाने के लिए इस दिन कार्य किए जाते हैं. तो ऎसे में इस दिन किसी भी प्रकार के बुरे प्रभाव से बचने के लिए भी प्रयास किए जाते हैं.
    • इस दिन ग्रह नक्षत्रों के अनुसार अलग-अलग राशियों के लोगों पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है. इस लिए अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान और भगवान व अपने ईष्ट देव का पूजन करना चाहिए.
    • अमावस्या के दिन व्यक्ति को तामसिक भोजन जैसे मांस व शराब जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.

    क्या है खास आषाढ़ अमावस्या में

    आषाढ़ अमावस्या एक ऎसे समय को भी दर्शाती है जब मौसम में एक प्रकार का बदलाव भी होता है. इस समय के दौरान गरम मौसम से अलग बरसात का आगमन होता है तो ऎसे समय में इस संक्रमण काल में जो भी कार्य किया जाता है उसका लम्बे समय तक असर भी होता है. इस कारण से इस दिन में सात्विकता और शुद्धता का बहुत ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.