दस महाविद्या साधना मंत्र । Dasha Mahavidya Mantra Sadhana

दशमहाविद्या साधना गुप्त नवरात्रों में मुख्य रुप से की जाती है. मंत्र साधना एवं सिद्धि हेतु दश महाविद्या की उपासना का बहुत महत्व बताया गया है. माता की उपासना विधि में मंत्र जाप का बहुत महत्व होता है. किसी भी साधक के लिए आवश्यक है की वह उपासना में शुद्धता शुचिता का ध्यान रखे. संपूर्ण एकाग्रता के साथ देवी का ध्यान करते हुए मंत्र जाप द्वारा देवी की साधना करे.

दशमहाविद्या मंत्र साधना में कई मंत्रों का उल्लेख मिलता है. साधक अपने अनुकूल मंत्र को ग्रहण करके उसके जाप द्वारा सिद्धि प्राप्ती के मार्ग पर चल सकता है. किसी भी मंत्र का अपना महत्व और शक्ति होती है.

महाविद्या काली | Kali

माँ काली तंत्र साधना की मुख्य देवी हैं, इनका स्वरुप भयावह एवं शत्रु का संहार करने वाला होता है. मां काली दस महाविद्याओं मे से एक मानी जाती हैं. तंत्र विद्या हेतु काली के रूप की साधना की जाती है.

मंत्र
'ऊँ क्रीं कालिकायै नमः'

महाविद्या तारा | Tara

माँ तारा दशमहाविद्याओं में से एक हैं, इन्हें भी तंत्र साधना के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है.मां तारा सर्वसिद्धिकारक हैं एवं उग्र तारा, नील सरस्वती और एकजटा इन्हीं के रूप हैं. यही राज-राजेश्वरी हैं. देवी माँ तारा कला-स्वरूपा और मुक्ति को प्रदान करने वाली हैं.

मंत्र
ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट

महाविद्या ललिता | Lalita

माँ ललिता गौर वर्ण की, कमल पर विराजमान हैं उनके तेज से दिशाएं प्रकाशित हैं. इनकी साधना द्वारा साधक को समृद्धि की प्राप्त होती है. माँ के मंत्र जाप साधक को माता का आशीर्वाद प्रदान करने में सहायक होते हैं.

मंत्र
'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।'

महाविद्या भुवनेश्वरी | Bhuvaneswari

देवी भुवनेश्वरी को सर्वोच्च सत्ता की प्रतीक कहा गया है. दिव्य प्रकाश से युक्त माता भुवनेश्वरी साधक को शुभता का वरदान देती हैं. माँ भुवनेश्वरी के मंत्र जाप द्वारा उपासक को सुख और ऎश्वर्य की प्राप्ती होती है.

मंत्र
“ऐं हृं श्रीं ऐं हृं”

महाविद्या त्रिपुर भैरवी | Tripura Bhairavi

माँ त्रिपुर भैरवी की साधना द्वारा साधक को सुख और सौभगय की प्राप्ती होती है. माता की पूजा में लाल रंग का उपयोग किया जाता है. मां के मंत्र जाप द्वारा इनकी सिद्धि और शक्ति की प्राप्ति संभव है.

मंत्र
ऊँ ऎं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:

महाविद्या छिन्नमस्तिका॒ | Chinnamasta

माँ छिन्नमस्तिका॒ को मां चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है. शत्रुओं का नाश करने और साधक को भय मुक्ति करके सुख एवं शांति प्रदान करती हैं. माता भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है. सभी चिंताओं का हरण कर लेने के कारण ही इन्हें चिंतपूर्णी कहा जाता है.

मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचिनिये ह्रीं ह्रीं फट स्वाहा ॥

महाविद्या धूमावती | Dhumavati

मां धूमावती दशमहाविद्याओं में एक हैं. इनके दर्शन मात्र से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. माँ धूमावती में शत्रु का संहार करने की सभी क्षमताएं निहित हैं. इनकी साधना द्वारा साधक को शक्ति एवं सामर्थ्य की प्राप्ती होती है.

मंत्र
ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा

महाविद्या बगलामुखी | Maa Baglamukhi

माँ बगलामुखी स्तंभव की अधिष्ठात्री देवी हैं. इन्हें पीताम्बरा भी कहा जाता है. देवी बग्लामुखी की साधना शत्रु का स्तंभन करने, वाकसिद्धि, विवाद में विजय के लिए की जाती है.

मंत्र
ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा’

महाविद्या मातंगी | Matangi

माता मातंगी वाणी और संगीत की देवी मानी जाती हैं. सुखी जीवन एवं समृद्ध की प्राप्ती के लिए मातंगी माता की उपासना का विधान है. माँ मातंगी को उच्छिष्टचांडालिनी, महापिशाचिनी, राजमांतगी, सुमुखी, वैश्यमातंगी, कर्णमातंगी स्वरुप में भी दर्शाया गया है.

मंत्र
‘क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा:’

महाविद्या कमला | Kamla

माँ कमला कमल पर आसीन हुए स्वर्ण से सुशोभित हैं. सुख समृद्धि और अतुल सामर्थ्य की प्रतीक हैं. इनकी साधना से उपासक को सुख समृद्धि का भंडार मिलता है. धन की कभी कमी नहीं रहती है. चारों दिशाओं में उसका यशोगान होता है

मंत्र

श्रीं क्लीं श्रीं नमः॥