गणपति विसर्जन | Ganpati Visarjan | Ganpati Visarjan 2023

भाद्रपद मास की चतुर्थी से आरंभ भगवान गणेश उत्सव भाद्रपद मास की अनंत चतुर्दशी तक चलता है. दस दिन तक मनाए जाने वाले गणेश जन्मोत्सव का बहुत महत्व होता है. गणेश महोत्सव की धूम भारतवर्ष में देखी जा सकती है. इस महत्वपूर्ण पर्व के समय देश भर में गणेश जी के पंडालों को सजाया जाता है मूर्ति स्थापना के साथ गणेश जी का आहवान किया जाता है.

सभी लोग भगवान गणेश जी की छोटी-बडी़ प्रतिमाओं की स्थापना अपने सामर्थ्य अनुसार घर या मंदिरों में करते हैं. भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन सिद्धि विनायक व्रत भक्ति और उल्ल्लास से पूर्ण होता है. इस पर्व की धूम चारों ओर दिखाई देती है. दस दिनों तक चलने वाला यह पर्व अपने साथ अनेक खुशियां और उम्मीद लेकर आता है.

गणपती महोत्सव की यह धूम चतुर्थी से आरंभ होकर अनंत चतुर्दशी तक चलती है. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार इस व्रत के फल इस व्रत के अनुसार प्राप्त होते हैं. भगवान श्री गणेश को जीवन की विध्न-बाधाएं हटाने वाला कहा गया है और श्री गणेश सभी कि मनोकामनाएं पूरी करते है. गणेशजी को सभी देवों में सबसे अधिक महत्व दिया गया है. कोई भी नया कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व भगवान श्री गणेश को याद किया जाता है.

गणपति पूजन विधि | Ganpati Pujan Vidhi

श्री गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन हुआ था. इसलिये इनके जन्म दिवस को व्रत कर श्री गणेश जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है. इस व्रत को करने की विधि भी श्री गणेश के अन्य व्रतों के समान ही सरल है. गणेश चतुर्थी व्रत प्रत्येक मास में कृष्णपक्ष की चतुर्थी में किया जाता है. गणेशोत्सव प्रतिष्ठा से विसर्जन तक विधि-विधान से की जाने वाली पूजा एक विशेष अनुष्ठान की तरह होती है जिसमें वैदिक एवं पौराणिक मंत्रों से की जाने वाली पूजा शुभ फलदायी होती है.

सभी चतुर्थियों में भाद्रपद माह में पडने वाली चतुर्थी का व्रत करना विशेष कल्याणकारी माना गया है. व्रत के दिन उपवासक को प्रात:काल में जल्द उठना चाहिए. सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नान और अन्य नित्यकर्म कर, सारे घर को गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए. स्नान करने के लिये सफेद तिलों के घोल को जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए.

प्रात: श्री गणेश की पूजा करने के बाद, भगवान गणेश जी के बीजमंत्र ऊँ गं गणपतये नम: का जाप करते हैं. भगवान श्री गणेश का धूप, दूर्वा, दीप, पुष्प, नैवेद्ध व जल आदि से पूजन करना चाहिए. पूजा में घी से बने 21 लड्डूओं से पूजा करनी चाहिए. श्री गणेश को लाल वस्त्र धारण कराने चाहिए तथा लाल वस्त्र का दान करना चाहिए.

विनायक चतुर्थी व्रत भगवान श्री गणेश का जन्म उत्सव का दिन है. यह दिन गणेशोत्सव के रुप में सारे विश्व में श्रद्वा के साथ मनाया जाता है. इस उत्सव का अंत अनंत चतुर्दशी के दिन श्री गणेश की मूर्ति समुद्र में विसर्जित करने के बाद होता है.

गणपति विसर्जन की सवारी में गणपति को एक बडी रेलीनुमा सवारी में ले जाया जाता है. “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” हर तरफ यही नारा गूंज रहा होता है. दस दिन के गणपति को अंतिम विदाई इस उम्मीद के साथ देते हैं कि अगले साल गणपति फिर आएंगे और सभी उनके आशिर्वाद को पुन: प्राप्त कर सकेंगे.

हर तरफ त्यौहार का माहौल है ढोल-नगाड़े और अबीर-गुलाल के बीच गणपति को समंदर में विसर्जित करने का उत्सव अपने चरम पर देखा जा सकता है. सुबह से ही विसर्जन के लिए नदी या जलाश्यों में भक्तों का तांता लगने लगता है लोग अपने घर के छोटे गणपति से लेकर बड़े-बड़े मंडलों के गणपति के साथ आते हैं और उन्हें विदाई देते हैं.