धार्मिक प्रवृति तथा गुप्त विद्याओ वाला हाथ | Palmistry explaining Religious Inclination and Mystical Powers

जिस प्रकार व्यक्ति की जन्म कुण्डली से उसके व्यक्तित्व के बारे में बहुत सी जानकारी मिलती है ठीक उसी तरह हस्तरेखाओ के माध्यम से भी व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व के बारे में बहुत सी बाते बताई जा सकती हैं कि वह कैसा होगा और उसके जीवन में किस तरह की घटनाएँ घटित हो सकती है. व्यक्ति विशेष की किन - किन विषयों में रुचि हो सकती है आदि बातों की जानकारी भी हस्तरेखाओ के माध्यम से हो जाती है.

किसी व्यक्ति की अभिरुचि आध्यात्म में हो सकती है या नहीं, इसका पता भी हस्तरेखाओ से पता चल जाता है. व्यक्ति योग विद्या मैम रुचि रखता है, यंत्र, तंत्र अथवा मंत्र में रुचि रखता है आदि की जानकरी हस्तरेखाओ के माध्यम से हो जाती है. व्यक्ति ज्योतिष पढ़ सकता है या हस्तरेखा विशेषज्ञ बन सकता है, इसका भी पता हस्त रेखाओ से लगाया जा सकता है. व्यक्ति मनोविज्ञान में रुचि रखता हे या क्या व्यक्ति सन्यासी बन सकता है इसके बारे में भी हाथ की रेखाएँ काफी कुछ बोलती हैं.

उपरोक्त योगों के बनने में यदि हाथ में एक से अधिक योग मिलते हैं तब उतना ही मजबूत योग बनता है अर्थात जितने अधिक लक्षण उतना बली योग बनता है. जितने कम लक्षण होगें उतना ही कम स्तर के योग भी होगें. यदि किसी हथ में चार या इससे अधिक लक्षण मिल जाते हैं तब निश्चित तौर पर व्यक्ति को शुभ फल मिलते हैं. इस क्षेत्र में व्यक्ति के हाथ में स्थित सूर्य रेखा मुख्य भूमिका निभाती है क्योकि सूर्य यश तथा मान का कारक माना गया है. सूर्य तेज का कारक भी है इसलिए धार्मिकता की ओर रुझान होने और गुप्त विद्याओ की प्राप्ति में सूर्य रेखा सफलता का संकेत देती है. आइए और अधिक जानने का प्रयास करें.

  • व्यक्ति के हाथ में मध्यमा अंगुली लंबी होनी चाहिए.
  • शनि को वैराग्य का कारक माना गया है इसलिए शनि पर्वत अत्यधिक विकसित होना आवश्यक है.
  • व्यक्ति के हाथो की अंगुलियाँ गठीली होनी चाहिए.
  • शनि पर्वत पर अगर त्रिकोण का चिन्ह है तब यह धार्मिक प्रवृति अथवा गुप्त विद्याओ में रुचि रखने वाले व्यक्ति के लक्षण माने जाते हैं.
  • व्यक्ति के हाथ में सुस्पष्ट अंतर्दृष्टि रेखा अगर स्थित है तब भी वह व्यक्ति धार्मिक होगा या गुप्त विद्याओ का जानकार होगा. (यह रेखा चंद्र पर्वत पर स्थित होती है)
  • हाथ में अत्यधिक स्पष्ट चंद्र रेखा स्थित हो. (यह रेखा चंद्र पर्वत पर स्थित होती है)
  • हथेली में स्थित बृहत चतुष्कोण में शनि पर्वत के नीचे या गुरु पर्वत के नीचे गुप्त रुप से क्रॉस बना हो. (यह क्रास ह्रदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के मध्य स्थित होगा)
  • उपरोक्त पंक्तियों में जो बृहत चतुष्कोण बताया गया है उसी में अगर डमरू का चिन्ह बना हो तब भी व्यक्ति की धार्मिक प्रवृति होती है.
  • हथेली में ह्रदय रेखा के आरंभ में या गुरु पर्वत पर त्रिकोण बना हो तब भी व्यक्ति का झुकाव धार्मिकता की ओर होता है.
  • हृदय रेखा की एक शाखा तर्जनी अंगुली के नीचे तक जाती हो तब भी व्यक्ति धार्मिक अथवा गुप्त विद्याओ में रुचि रखता है.
  • सूर्य रेखा अगर चंद्र पर्वत से उदय होती हो तब भी यही परिणाम मिलते हैं.
  • हथेली में स्थित जीवन रेखा से एक पतली सी शनि रेखा निकलकर ऊपर की ओर शनि पर्वत की ओर जाए तब भी व्यक्ति धार्मिक अथवा गुप्त विद्याओं में रुचि रखने वाला हो सकता है.
  • हाथ में गुरु मुद्रिका बनी हो अथवा शुक्र वलय बना हो.
  • व्यक्ति विशेष के हाथ में चंद्र पर्वत तो विकसित हो लेकिन शुक्र पर्वत अविकसित हो.
  • हाथ में मस्तिष्क रेखा और बुध रेखा का क्रास बन रहा हो अर्थात बुध रेखा मस्तिष्क रेखा को काटते हुए ऊपर बुध पर्वत तक जा रही हो.
  • हथेली में सूर्य पर्वत पर अगर मछली का चिन्ह बना हो तब भी व्यक्ति धार्मिक प्रवृति का या गुप्त विद्याओ कि जानकारी रखने वाला होता है.
  • व्यक्ति के हाथ में ह्रदय रेखा में से कोई एक शाखा निकलकर अनामिका अंगुली तक जा रही हो.

उपरोक्त नियमों के आधार पर फलकथन कह्ते समय आपको एक बात अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए कि विकसित शनि पर्वत अथवा लंबी अंगुलियाँ व्यक्ति को सांसारिकता से दूर करने का प्रयास करती हैं. जैसा कि आपको ऊपर भी बताया है कि शनि वैराग्य का कारक ग्रह है. लेकिन अनामिका व सूर्य पर्वत, सूर्य प्रधान व्यक्ति को संसार में रहकर ही नाम, मान तथा यश कमाते हैम. ये सभी क्षैत्र अध्यात्मिक होते हुए भी इनके स्वभाव के कारण इनके फलों में भी अंतर करते हैं. बुध पर्वत और लंबी कनिष्ठिका का योग आध्यात्म में भी लाभ का पक्ष देखने की प्रवृति रखता है.