माता-पिता तथा पारीवारिक सुख का अध्ययन | Analysis of Relationship with Parents and Domestic Bliss through Palmistry

आज हम हस्त रेखाओं के माध्यम से परिवार संबंधी कुछ बातों पर विचार करने का प्रयास करेगें. हम में से बहुत से लोग खुशनसीब होते हैं जिन के ऊपर माता-पिता का साया बहुत लंबे समय तक बना रहता है लेकिन कुछ ऎसे भी होते हैं जिन्हें माता-पिता का साथ कुछ कम समय के लिए ही मिल पाता है. आज हाथों के ऎसे ही लक्षणों के बारे में चर्चा की जाएगी.

हस्तरेखाओं का सामान्य अध्ययन | Generals Analysis of Lines in Your Palm

सबसे हम हस्तरेखाओ के बारे में कुछ बाते बताना चाहेगें. कुछ विद्वानो के मतानुसार पुरुष के बाएं हाथ की ह्रदय रेखा उसकी पत्नी का प्रतिनिधित्व करती है. स्त्री के दाएँ हाथ की ह्रदय रेखा उसके पति का प्रतिनिधित्व करती है.

पुरुष के बाएँ हाथ की मस्तिष्क रेखा उसके सास के बारे में बताती है कि वह कैसा होगा. रेखा जितनी निर्दोष होगी उतना अच्छा होगा. पुरुष के बाएँ हाथ की जीवन रेखा उसके ससुर के बारे में बताती है.

इसी प्रकार स्त्री के दाएं हाथ की मस्तिष्क रेखा उसके सास के बारे में बताती है. और स्त्री के दाएं हाथ की जीवन रेखा ससुर के विषय में जानकारी देती है. इन सभी रेखाओं का फल उनकी स्थिति के आधार पर आंका जाएगा.

माता-पिता के सुख का अध्ययन गुरु पर्वत से | Analysis of Jupiter Mount to Understand Relationship with Parents

आइए इस भाग में माता-पिता के सुख का अध्ययन गुरु पर्वत से करें. यदि हथेली में जीवन रेखा का आरंभ गुरु पर्वत से हो व्यक्ति को माता-पिता का भरपूर प्यार मिलता है अथवा व्यक्ति जिसके भी संरक्षण में रहता है उसी से अत्यधिक प्यार पाता है.

यदि गुरु पर्वत की कोई रेखा मंगल रेखा को छू रही हो तब भी माता-पिता अथवा संरक्षक का प्यार अधिक मिलता है. गुरु पर्वत की प्रभाव रेखा के मस्तिष्क रेखा को छूने से जातक को माता का सुख लंबे समय तक मिलता है. जीवन रेखा से गुरु पर्वत पर जाने वाली रेखा पर स्टार बनने से परिवार के किसी व्यक्ति का अनिष्ट होने की आशंका बनती है.

शनि रेखा तथा माता-पिता के सुख का अध्ययन | Analysis of Saturn Line to Understand Relationship with Parents

आइए माता-पिता के सुख के संदर्भ में शनि रेखा का अध्ययन करते हैं. यदि हथेली में शनि रेखा अथवा भाग्य रेखा का आरंभ से द्वीप के रुप में हो रहा है तब व्यक्ति माता-पिता के सुख से वंचित रहता है.

यदि शनि रेखा अथवा भाग्य रेखा आरंभ से दो शाखाओ में बंटी हो तब भी व्यक्ति को माता - पिता का सुख नहीं मिलता है. यदि शनि रेखा अथवा भाग्य रेखा के आरंभ में क्रॉस का चिन्ह बना हो तब भी व्यक्ति माता-पिता के सुख से वंचित रहता है.

माता-पिता के सुख से संबंधित अन्य रेखाओं का महत्व | Importance of Other Lines related to Relationship with Parents

माता - पिता के सुख से संबंधित कुछ अन्य बातों की चर्चा इस भाग में की जाएगी. हथेली में ह्रदय रेखा का आरंभ यदि अनेक शाखाओं से हो तब माता-पिता की आयु लंबी होती है. अंगूठे के पोरो को दो भागों में विभाजित करने वाली रेखा यदि दोनो ओर से शाखाओ के रुप में है तब व्यक्ति को मातृसुख में कमी होती है.

जीवन रेखा तथा मस्तिष्क रेखा के आरंभ में सितारा बना हो तो व्यक्ति के बचपन में परिवार में दुखद घटनाएँ घटने की संभावना बनती है. जीवन रेखा का आरंभ दो शाखाओ से हो रहा हो और उनमें से एक शाखा शुक्र पर्वत की ओर जा रही हो तथा दूसरी शाखा कलाई की ओर जा रही हो तब बच्चा बचपन में किसी अन्य व्यक्ति की देख रेख में पलता है.

वैसे तो मंगल रेखा का उदय जीवन रेखा से अलग होता है लेकिन यदि किसी हाथ मे मंगल रेखा का उदय जीवन रेखा की शाखा रुप में हो रहा हो और जीवन रेखा के ही समानांतर मंगल रेखा चलती हुई शुक्र पर्वत को घेरती है तब व्यक्ति को माता-पिता के भरपूर प्यार के साथ उनकी विरासत भी मिलती है. ऎसे व्यक्ति को अपनी संतान से भी बहुत प्यार मिलता है.