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ज्‍योतिष और धन योग

Dr. Bhojraj Dwivedi

Tags : vedic astrology, astrology, Astrology for Wealth,

Categories : Vedic Astrology,


संसार का प्रत्‍येक मनुष्‍य चाहे वह किसी भी जाति, धर्म व संप्रदाय का क्‍यों न हो, धनवान बनने की प्रबल इच्‍छा उसके हृदय में प्रतिपल, प्रतिक्षण विद्यमान रहती है। शास्‍त्र में चार पुरुषार्थ कहे गए हैं—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। धर्म को अर्थ खा गया, काम अर्थ में तिराहित हो गया। मोक्ष की किसी को इच्‍छा नहीं है। अत ले देकर केवल ‘अर्थ’ ही रह गया जिस पर गरीब, अमीर, रोगी, भोगी और योगी सभी का ध्‍यान केंदित है।

पर धन तो भाग्‍य के अनुसार ही मिलता है। दरिद्र योग, भिक्षुक योग, कर्जयोग सदाॠण ग्रस्‍थ योग,लक्षधिपति योग, करोड़पति योग, अरबपति, योग, कुबेर योग, किन-‍किन योगों एवं दिशाओं में मनुष्‍य धनवान बनता है। इन सब पर संपूर्ण विवेचन, उदाहरण सहित पहली बार इस पुस्‍तक में प्रस्‍तुत किया गया है।